MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 9 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था

Ashok Nayak
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Unit 9 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था

Table of content (TOC)

MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 9 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था

सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था Important Questions

सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –

प्रश्न (a)
सार्वजनिक बजट की अवधि होती है –
(a) 5 वर्ष
(b) 2 वर्ष
(c) 1 वर्ष
(d) 10 वर्ष।
उत्तर:
(c) 1 वर्ष

प्रश्न (b)
संसद में बजट पेश करता है –
(a) प्रधानमंत्री
(b) गृहमंत्री
(c) वित्तमंत्री
(d) रक्षामंत्री।
उत्तर:
(c) वित्तमंत्री


प्रश्न (c)
लोकसभा में बजट पर भाषण दिया जाता है –
(a) राष्ट्रपति द्वारा
(b) प्रधानमंत्री द्वारा
(c) वित्तमंत्री द्वारा
(d) गृहमंत्री द्वारा।
उत्तर:
(c) वित्तमंत्री द्वारा

प्रश्न (d)
वृत्ति कर लगाया जाता है –
(a) केन्द्र सरकार द्वारा
(b) राज्य सरकार द्वारा
(c) नगर निगम द्वारा
(d) ग्राम पंचायत द्वारा।
उत्तर:
(b) राज्य सरकार द्वारा

प्रश्न (e)
प्रत्यक्ष कर के अंतर्गत निम्नलिखित में किसे शामिल किया जाता है –
(a) आयकर
(b) उपहार कर
(c) और (b) दोनों
(d) उत्पाद कर।
उत्तर:
(c) और (b) दोनों


प्रश्न (f)
भारत में एक रुपया का नोट कौन जारी करता है –
(a) भारतीय रिजर्व बैंक
(b) भारत सरकार का वित्त मंत्रालय
(c) भारतीय स्टेट बैंक
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) भारत सरकार का वित्त मंत्रालय

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. …………………………… एक सरकारी दस्तावेज है जिसमें सरकार के आय एवं व्यय का ब्यौरा होता है।
  2. आयकर एक ……………………………… कर है।
  3. ……………………………… कर वस्तुओं के मौद्रिक मूल्यों के आधार पर लगाये जाते हैं।
  4. सेवाकर ……………………………… सरकार द्वारा लगाया जाता है।
  5. …………………………….. का बजट आजकल अच्छा बजट माना जाता है।
  6. केन्द्रीय सरकार का बजट ……………………………… माह के अंतिम दिन प्रस्तुत किया जाता है।
  7. वित्त विधेयक में …………………………….. संबंधी प्रस्ताव होते हैं।

उत्तर:

  1. बजट
  2. प्रत्यक्ष
  3. मूल्यानुसार
  4. केन्द्रीय
  5. घाटे
  6. फरवरी
  7. कर।


प्रश्न 3.
सत्य /असत्य बताइये –

  1. घाटे का बजट एक अच्छा बजट नहीं माना जाता है।
  2. विद्युत् शुल्क राज्य सरकार द्वारा लगाया जाता है।
  3. बजट भाषण वित्तमंत्री द्वारा दिया जाता है।
  4. केन्द्रीय शुल्क प्रत्यक्ष कर है।
  5. ब्याज भुगतान योजनागत मद है।
  6. मंदी के समय आधिक्य का बजट बनाया जाता है।
  7. भारत का रेल बजट सामान्य बजट में शामिल नहीं होता।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. सत्य
  4. असत्य
  5. असत्य
  6. सत्य
  7. सत्य।

प्रश्न 4.
सही जोड़ियाँ बनाइये –

Unit 9 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था



उत्तर:

  1. (b)
  2. (d)
  3. (a)
  4. (e)
  5. (c).


प्रश्न 5.
एक शब्द/वाक्य में उत्तर दीजिये –

  1. अतिरेक बजट का अर्थ लिखिए?
  2. शिक्षा का व्यय कैसा व्यय माना जाता है?
  3. प्रतिवर्ष वित्तमंत्री द्वारा प्रस्तुत देश के बजट को कौन पारित करता है?
  4. सरकार द्वारा जुलाई 2017 से कौन – सा कर लगाया गया है?
  5. सरकार बजट कितने वर्ष के लिए बनाती है?
  6. जी. एस. टी. का पूरा नाम बताइए?
  7. भू – राजस्व कर किसके द्वारा लगाया जाता है?
  8. बजट को किस योजना की संज्ञा दी जाती है?

उत्तर:

  1. आय अधिक एवं व्यय कम
  2. विकासात्मक
  3. संसद
  4. जी. एस. टी.
  5. एक वर्ष
  6. वस्तु एवं सेवा कर
  7. राज्य सरकार द्वारा
  8. सरकार की मास्टर वित्तीय योजना।

सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सरकारी बजट से क्या आशय है? यह कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
एक वित्तीय वर्ष के दौरान मदों के अनुसार, अनुमानित प्राप्तियों एवं व्ययों को दिखाया जाता है। भारत में वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक माना जाता है। केन्द्र सरकार के वार्षिक वित्तीय विवरण को ‘संघीय बजट’ कहा जाता है। बजट दो प्रकार के होते हैं – राजस्व बजट तथा, पूँजीगत बजट।

प्रश्न 2.
प्राथमिक घाटा किसे कहते हैं? यह क्या दर्शाता है?
उत्तर:
प्राथमिक घाटा:
राजकोषीय घाटे से ब्याज भुगतान की राशि को घटाकर प्राथमिक घाटे की गणना कर सकते हैं, यह राजकोषीय घाटा तथा ब्याज भुगतान का अंतर होता है। प्राथमिक घाटा ब्याज अदायगी रहित राजकोषीय घाटे को पूरा करने हेतु सरकार की ऋण संबंधी जरूरतों को दर्शाता है।


प्रश्न 3.
कर क्या है?
उत्तर:
वह अनिवार्य भुगतान जो करदाताओं द्वारा सरकार को किया जाता है तथा जिसके बदले करदाता किसी प्रत्यक्ष लाभ की आशा नहीं करते हैं उसे कर कहते हैं, जैसे – आयकर, संपत्ति कर, उत्पाद कर, आयात शुल्क, निर्यात शुल्क आदि।

प्रश्न 4.
बजट घाटा क्या है?
उत्तर:
बजट घाटा:
बजटीय से आशय सरकार के कुल व्यय का कुल प्राप्तियों से अधिक होना है। अन्य शब्दों में, सरकार की राजस्व एवं पूँजीगत प्राप्तियों का योग जब राजस्व एवं पूँजीगत व्ययों के योग से कम होता है,तो उसे बजटीय घाटा कहा जाता है।

प्रश्न 5.
पूरक बजट से क्या आशय है?
उत्तर:
पूरक बजट:
जब सरकार के किसी विभाग का बजट में स्वीकृत धनराशि से काम नहीं चलता है तो इस स्थिति में अतिरिक्त माँगों को पूरा करने के लिए लोकसभा में एक और बजट प्रस्तुत करके स्वीकृति ली जाती है। इसी को पूरक बजट कहते हैं।

प्रश्न 6.
शून्य प्राथमिक घाटा क्या है?
उत्तर:
जब सरकार को केवल ब्याज के दायित्वों को पूरा करने के लिए ऋण लेना पड़ता है, तो इसे शून्य प्राथमिक घाटा कहते हैं।


प्रश्न 7.
लेखा अनुदान से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
लेखा अनुदान:
यदि किसी वर्ष बजट 1 अप्रैल से पूर्व पारित नहीं हो पाता है, तो 1 अप्रैल से बजट पारित होने की तिथि तक की अवधि के लिए सरकार अपने व्ययों को पूरा करने के लिए संसद से लेखा अनुदान के आधार पर स्वीकृति ले लेती है।

प्रश्न 8.
कर वंचन क्या है?
उत्तर:
बिना कर का भुगतान किए कर से मुक्त होना कर वंचन कहलाता है।

प्रश्न 9.
बचत पूर्ण बजट क्या है?
उत्तर:
बचत पूर्ण बजट:
वह बजट, जिसमें कुल आय में से कुल व्यय कम होता है, उसे बचतपूर्ण बजट कहते हैं।

प्रश्न 10.
संतुलित बजट क्या है?
उत्तर:
संतुलित बजट:
वह बजट, जिसमें कुल आय तथा कुल व्यय बराबर होते हैं, वह संतुलित बजट कहलाता है।

प्रश्न 11.
कर गुणक का सूत्र लिखिए?
उत्तर:

कर गुणक = (– C)/ (1 – C)

प्रश्न 12.
ऋण जाल से क्या आशय है?
उत्तर:
सामान्यतः विकासशील अर्थव्यवस्थाएँ अपनी विकास परियोजनाओं को पूरा करने के लिए विदेशों से ऋण प्राप्त करती हैं। फलतः विकासशील देशों पर विदेशी ऋणों के साथ-साथ ऋण ब्याज का भी भार बढ़ जाता है। इसके परिणामस्वरूप ऋणों को चुकाने के लिए इन्हें पुनः ऋण लेना पड़ता है। अतः ये देश एक स्थान से ऋण ‘ लेकर दूसरे स्थान पर चुकाते रहते हैं। इस तरह से देश उत्तरोत्तर ऋण प्राप्त कर ऋण चक्र में फँसते चले जाते हैं। इंसी को ऋण जाल कहा जाता है।

प्रश्न 13.
राजस्व घाटा और राजकोषीय घाटा में संबंध बताइए?
उत्तर:
राजस्व घाटा एवं राजकोषीय घाटा में संबंध:
राजस्व घाटा तथा राजकोषीय घाटा दोनों में ही राजस्व व्यय तथा राजस्व प्राप्तियाँ सम्मिलित होती हैं। चूँकि
राजस्व घाटा = राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ
राजकोषीय घाटा = कुल व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ + गैर – ऋण से सृजित पूँजीगत प्राप्तियाँ।

प्रश्न 14.
सार्वजनिक वस्तु सरकार के द्वारा ही प्रदान की जानी चाहिए, क्यों? व्याख्या कीजिए?
उत्तर:
सार्वजनिक वस्तुएँ:
राष्ट्रीय सुरक्षा, सड़कें, लोक प्रशासन आदि वस्तुओं एवं सेवाओं को सार्वजनिक वस्तु कहा जाता है। सार्वजनिक वस्तुएँ सरकार द्वारा प्रदान की जानी चाहिए, क्योंकि –

  1. सार्वजनिक वस्तुओं का लाभ केवल एक व्यक्ति तक सीमित न होकर सभी को मिलना चाहिए।
  2. ये वस्तुएँ प्रतिस्पर्धात्मक नहीं होती हैं।
  3. सार्वजनिक वस्तु के उपयोग से किसी को भी वंचित नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 15.
सरकारी घाटे और सरकारी ऋण – ग्रहण में क्या संबंध है? व्याख्या कीजिए?
उत्तर:
सरकारी घाटे की पूर्ति हेतु वित्त व्यवस्था के रूप में ऋण:
ग्रहण किया जाता है इस प्रकार सरकारी घाटे एवं ऋण – ग्रहण में धनात्मक संबंध पाया जाता है अतः जब सरकारी घाटा कम होता है तो ऋण – ग्रहण में भी कमी आती है अत: विपरीत परिस्थिति में घाटे में वृद्धि के साथ – साथ ऋण – ग्रहण भी बढ़ती है।


प्रश्न 16.
बजट के घाटे संबंधी अवधारणा को स्पष्ट कीजिए?
उत्तर:
घाटे का बजट:
जब बजट में सार्वजनिक व्यय, सार्वजनिक आय की तुलना में अधिक का दिखाया जाता है तो उसे घाटे का बजट कहा जाता है।

घाटे का बजट:
अनुमानित सार्वजनिक आय < अनुमानित सार्वजनिक व्यय।

सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आय प्राप्ति के साधन बताइए?
उत्तर:
सार्वजनिक आय का अर्ध:
सार्वजनिक आय से तात्पर्य, सरकार की उन सभी मौद्रिक प्राप्तियों से है, जो सरकारी व्यय के लिए आवश्यक है।

सरकार की आय प्राप्ति के साधन –

  1. चालू आय प्राप्तियाँ: जैसे – कर, फीस, सरकारी उद्यमों की आय इत्यादि।
  2. पूँजीगत प्राप्तियाँ: जैसे – सार्वजनिक ऋण, सरकारी अनुदान, घाटे की वित्तीय व्यवस्था आदि।

चालू आय प्राप्तियाँ:
चालू आय प्राप्तियाँ दो प्रकार की होती हैं –

  1. कर आय प्राप्तियाँ
  2. गैर – कर आय प्राप्तियाँ।

प्रश्न 2.
प्रगतिशील कर एवं प्रतिगामी कर में अन्तर बताइये?
उत्तर:
प्रगतिशील कर एवं प्रतिगामी कर में अन्तर:

प्रगतिशील कर एवं प्रतिगामी कर में अन्तर बताइये

प्रश्न 3.
पूँजीगत प्राप्तियों एवं राजस्व प्राप्तियों में अन्तर स्पष्ट कीजिए?
उत्तर:
पूँजीगत प्राप्तियों एवं राजस्व प्राप्तियों में अन्तर:

पूँजीगत प्राप्तियों एवं राजस्व प्राप्तियों में अन्तर स्पष्ट कीजिए

प्रश्न 4.
बचत का बजट, संतुलित बजट एवं घाटे का बजट पर संक्षिप्त नोट लिखिए?
उत्तर:
बचत का बजट:
जब बजट में वर्ष की अनुमानित आय अनुमानित व्यय की तुलना में अधिक हो तो ऐसे बजट को बचत का बजट कहा जाता है। बचत का बजट सरकार की वित्तीय सुदृढ़ता का परिचायक होता है, फिर भी ऐसा बजट जनता में अच्छा नहीं माना जाता।

संतुलित बजट:
संतुलित बजट उस बजट को कहते हैं जिसमें सरकार की वर्ष की अनुमानित आय अनुमानित व्यय के बराबर हो। इस बजट को साधनों की सीमा में रहने का बजट कहा गया है। इस बजट या नीति का लगभग कोई भी सरकार समर्थन नहीं करती।

घाटे का बजट:
घाटे का बजट वह स्थिति है जब सरकार का अनुमानित व्यय, चालू वर्ष में उसकी अनुमानित आय से अधिक हो। ऐसा बजट जनता हिवार्थ बजट माना जाता है। कई सरकारें ऐसा बजट जानबूझकर तैयार करती हैं।

प्रश्न 5.
सरकारी बजट क्या होता है? बजट के तीन उद्देश्य बताइये?
उत्तर:
एक वित्तीय वर्ष में सरकार की प्रत्याशित आय एवं प्रत्याशित ब्यौरा जो 1 अप्रैल से 31 मार्च तक के अनुमानों को प्रगट करता है। जिसमें गतवर्ष की उपलब्धियों एवं कमियों का प्रतिवेदन भी प्रस्तुत किया जाता है। सरल शब्दों में, एक वित्तीय वर्ष में सरकार की अनुमानित आय एवं अनुमानित व्यय का विवरण ही सरकारी बजट कहलाता है। इसके निम्न उद्देश्य होते हैं –

  • आर्थिक स्थिरता बनाये रखना।
  • उपलब्ध संसाधनों का कुशलतम आबंटन एवं विदोहन।
  • आय एवं संपत्ति का पुनः वितरण।
  • सार्वजनिक उद्यमों का प्रबंधन।


प्रश्न 6.
बजट द्वारा आय की असमानताओं को कैसे दूर किया जा सकता है?
अथवा
आयु की असमानता को दूर करने में सरकारी बजट की क्या भूमिका है? समझाइये?
उत्तर:
आय की असमानता को दूर करने का उद्देश्य आय के समान प्रतिमान स्थापित कर धनिकों पर अधिक करारोपण कर उसे निर्धनों के कल्याण पर खर्च करना, अमीर व्यक्तियों पर अधिक कर लगाने का उद्देश्य उनकी प्रयोज्य आय को कम करना है। निर्धनों को आर्थिक सहायता देकर उन्हें आय एवं संपत्ति के मायनों में अन्य लोगों की बराबरी पर लाना है। इसके लिये प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर धनिकों पर लगाकर वह राजस्व प्राप्त किया जाता है जिससे आय की असमानता दूर हो सके।

प्रश्न 7.
सरकारी बजट से आर्थिक स्थिरता कैसे प्राप्त की जा सकती है? संक्षेप में समझाइये?
उत्तर:
सरकार बजट के माध्यम से करारोपण, आर्थिक सहायता एवं सार्वजनिक व्ययों के माध्यम से समग्र माँग एवं समग्र पूर्ति को नियंत्रित कर मुद्रा स्फीति एवं मुद्रा संकुचन की स्थिति पर नजर रखती है, जिससे देश में आर्थिक स्थिरता प्राप्त की जा सके। सामान्यतया आर्थिक स्थिरता मुद्रा स्फीति पर नियंत्रण, व्ययों में कमी, करों में वृद्धि करती है इससे कीमतों पर नियंत्रण स्थापित हो जाता है और मुद्रा संकुचन के समय व्ययों में वृद्धि एवं करों में कमी करके कीमतों को नियंत्रित कर आर्थिक स्थिरता को प्राप्त करती है।


प्रश्न 8.
संसाधनों के कुशल आबंटन में सरकार का क्या दृष्टिकोण ( भूमिका) होता है? समझाइये?
उत्तर:
देश में उपलब्ध संसाधनों के कुशल आबंटन में सरकार प्रथमतः प्राथमिकताएँ निधारत करती हैं एवं उनके अनुरूप सामाजिक, आर्थिक एवं संतुलित विकास बजट का उद्देश्य होता है। सरकार द्वारा इसके लिये वांछनीय एवं आवश्यक वस्तुओं पर आर्थिक सहायता दी जा सकती है। शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, भोजन, वस्त्र आदि पर आबंटन निःशुल्क उपलब्ध कराकर आर्थिक सहायता प्रदान करती है। सरकार द्वारा ऐसी अवांछनीय एवं हानिकारक वस्तुओं पर अधिक कर लगाकर आपूर्ति में कमी करके इन वस्तुओं को अधिक महँगा बनाकर संसाधनों का कुशलतम प्रयोग एवं आबंटन किया जाता है।

प्रश्न 9.
सार्वजनिक व्यय के चार प्रकार लिखिए?
उत्तर:
सार्वजनिक व्यय के प्रकार:
सार्वजनिक व्यय के निम्नलिखित प्रकार हैं –

1. विकासात्मक व्यय:
विकासात्मक व्यय वह व्यय है जो आर्थिक विकास तथा सामाजिक कल्याण के लिए किया जाता है । इसके अंतर्गत शिक्षा, चिकित्सा, उद्योग, कृषि, परिवहन, सड़कों, नहरों इत्यादि पर किया गया व्यय विकासात्मक व्यय होता है।

2. गैर – विकासात्मक व्यय:
गैर – विकासात्मक व्यय, वह व्यय है जो सरकार के प्रशासन की सुरक्षा, कानून व्यवस्था आदि पर खर्च किया जाता है। इसके अंतर्गत कर्मचारियों का वेतन, सेना, पुलिस, जेल व्यवस्था ऋण पर ब्याज आदि पर किया गया व्यय गैर – विकासात्मक व्यय होता है।

3. योजना व्यय:
योजना व्यय में वह व्यय शामिल किया जाता है जो वर्तमान आर्थिक योजना के अंतर्गत क्रियान्वित कार्यों पर सरकार द्वारा किया जाता है। जैसे – कृषि, बिजली, उद्योग, परिवहन, संचार, शिक्षा, स्वास्थ्य इत्यादि पर किया जाने वाला व्यय।

4. गैर – योजना व्यय:
गैर – योजना व्यय में वे सभी व्यय आते हैं जो वर्तमान योजना से संबंधित नहीं हैं। इसके अंतर्गत ब्याज का भुगतान, रियायतें, सुरक्षा कर पर खर्च पुलिस, पेंशन इत्यादि व्यय शामिल हैं।


प्रश 10.
प्रत्यक्ष कर एवं अप्रत्यक्ष कर के बीच अंतर स्पष्ट कीजिये?
उत्तर:
प्रत्यक्ष कर एवं अप्रत्यक्ष कर में अन्तर –

प्रत्यक्ष कर एवं अप्रत्यक्ष कर के बीच अंतर स्पष्ट कीजिये

प्रश्न 11.
राजस्व व्यय एवं पूँजीगत व्यय में अंतर स्पष्ट कीजिये?
उत्तर:
राजस्व व्यय एवं पूँजीगत व्यय में अन्तर:

राजस्व व्यय एवं पूँजीगत व्यय में अंतर स्पष्ट कीजिये

प्रश्न 12.
विकासात्मक व्यय एवं गैर – विकासात्मक व्यय में अन्तर स्पष्ट कीजिये?
उत्तर:
विकासात्मक व्यय एवं गैर – विकासात्मक व्यय में अन्तर –

विकासात्मक व्यय एवं गैर – विकासात्मक व्यय में अन्तर स्पष्ट कीजिये

प्रश्न 13.
बजट का अर्थ एवं इसकी तीन विशेषताएँ लिखिए?
उत्तर:
बजट का अर्थ:
बजट शब्द की उत्पत्ति फ्रेंच शब्द ‘Bougette’ से हुई है, जिसका अर्थ होता है छोटा चमड़े का थैला (Bag) अथवा बटुआ (Purse Money Bag) है। इंग्लैण्ड में राजकोष का चान्सलर प्रत्येक वर्ष लोकसभा में आर्थिक प्रस्ताव एक चमड़े के बैग में लेकर आया करता था। इस प्रकार बजट सरकार के आय एवं व्यय का ब्यौरा होता है, अर्थात् बजट एक दस्तावेज है, जिसमें सरकार के वार्षिक राजस्व और व्यय का अनुमान होता है। जॉनसन के अनुसार “एक राजकीय बजट आने वाले समय अर्थात् प्रायः एक वर्ष में राज्य के अनुमानित आय-व्ययों का विवरण है।”

बजट की विशेषताएँ:

  1. विवरण: बजट एक विवरण होता है जिसमें व्यय एवं आय का ब्यौरा लिखा जाता है। यह विस्तृत रूप से दिया जाता है जिससे पूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके।
  2. निश्चित अवधि से पूर्व: इस विवरण को एक निश्चित अवधि से पूर्व बनाया जाना आवश्यक होता है।
  3. साधनों का ब्यौरा: बजट में आगामी समय में प्राप्त किये जाने वाले उद्देश्यों के लिए अपनाये जाने वाले साधनों का ब्यौरा दिया जाता है।
  4. संतुलित बजट: बजट में संतुलन होना वित्तीय स्थायित्व की विशेषता है किन्तु परिस्थिति के अनुरूप अतिरेक बजट एवं घाटे के बजट बनाये जा सकते हैं।


प्रश्न 14.
बजट के उद्देश्यों को लिखिए?
उत्तर:
सरकार बजट के माध्यम से निम्नलिखित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये प्रयास करती है –

1. संसाधनों का पुनः आबंटन:
कई बार बाहरी शक्तियाँ संसाधनों के कुशलतम आबंटन में विफल रहती है। सरकार बजट के माध्यम से राष्ट्र के संसाधनों को सामाजिक व आर्थिक हितों के अनुरूप पुनः आबंटित करने का प्रयास करती है।

2. आय एवं सम्पत्ति का पुनः वितरण:
सरकार बजट के माध्यम से देश में आय एवं सम्पत्ति की विषमताओं को कम करने के लिए उनके पुनः वितरण का प्रयास करती है। इसके लिए सरकार अमीरों पर ऊँचे कर लगाकर निर्धन वर्ग के लोगों के कल्याण पर व्यय करती है।

3. आर्थिक स्थिरता:
सरकारी बजट का एक उद्देश्य देश में आर्थिक स्थिरता बनाए रखना भी है। सरकार मूल्यों में उतार – चढ़ाव रोकने और अर्थव्यवस्था में आय व रोजगार के ऊँचे स्तर से प्राप्त करने के उद्देश्य से कार्य करती है।

4. सार्वजनिक उद्यमों का प्रबंध:
सरकार सार्वजनिक उद्यमों के माध्यम से व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन करती है। कुछ उद्योग जैसे-रेलवे, विद्युत् उत्पादन आदि ऐसे हैं जिन पर सरकारी एकाधिकार सामाजिक कल्याण की दृष्टि से आवश्यक माना जाता है।

प्रश्न 15.
क्या सार्वजनिक ऋण बोझ बनता है? व्याख्या कीजिए?
उत्तर:
सरकार द्वारा घाटे के व्यय को पूरा करने हेतु जनता से ऋण लिया जाता है जिसे सार्वजनिक ऋण कहा जाता है। यह ऋण बॉण्ड आदि के रूप में जनता को निर्गमित किये जाते हैं। जिससे जनता द्वारा खरीदकर सरकार को ऋण दिया जाता है। किन्तु इस प्रकार के ऋणों का भुगतान सरकार द्वारा अधिक लंबी अवधि में किया जाता है। जिससे इस प्रकार का ऋण भावी पीढ़ी पर भार होते हैं।

प्रश्न 16.
वस्तु एवं सेवा कर (GST) से आप क्या समझते हैं? पुरानी कर व्यवस्था के मुकाबले KdST व्यवस्था कितनी श्रेष्ठ है? इसकी श्रेणियों की व्याख्या कीजिये?
उत्तर:
वस्तु एवं सेवा कर या जी.एस.टी. (GST) भारत सरकार की नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है जो 11 जुलाई, 2017 से लागू की गई यह कर वस्तु एवं सेवा कर, उत्पाद को सेवा प्रदायकों से सीधे ही वस्तु एवं सेवाओं की पूर्ति पर लगाया गया एकल व्यापक अप्रत्यक्ष कर है। यह एक ही प्रकार की वस्तुओं/सेवाओं पर एक ही दर वाला पूरे भारत में लागू कर है।

पुरानी कर व्यवस्था के मुकाबले GST –

  1. पुरानी कर व्यवस्था के स्थान पर GST में एक टैक्स वाली अर्थव्यवस्था बन जाएगी।
  2. GST से टैक्स का ढांचा सरल हो जाएगा।
  3. GST से समय व पैसे दोनों की बचत होगी।
  4. पुरानी टैक्स व्यवस्था के मुकाबले GST से विकास की दर तेजी से बढ़ेगी।
  5. किन्तु पुरानी टैक्स व्यवस्था की तुलना में कुछ समय तक GST से महँगाई दर में वृद्धि की आशंका बनी रहेगी।
  6. वस्तुओं एवं सेवा कर के लिए GST Act, UTGST Act और SGST Acts पारित किये गये।


प्रश्न 17.
आय प्राप्ति के साधन बताइए?
उत्तर:
सार्वजनिक आय का अर्थ:
सार्वजनिक आय.से तात्पर्य, सरकार की उन सभी मौद्रिक प्राप्तियों से है, जो सरकारी व्यय के लिए आवश्यक है।
सरकार की आय प्राप्ति के साधन –

  1. चालू आय प्राप्तियाँ: जैसे – कर, फीस, सरकारी उद्यमों की आय इत्यादि।
  2. पूँजीगत प्राप्तियाँ: जैसे – सार्वजनिक ऋण, सरकारी अनुदान, घाटे की वित्तीय व्यवस्था आदि।
  3. चालू आय प्राप्तियाँ: चालू आय प्राप्तियाँ दो प्रकार की होती हैं
    • कर आय प्राप्तियाँ
    • गैर – कर आय प्राप्तियाँ।

प्रश्न 18.
हम मान लेते हैं कि C = 70 + 0.70 YD, I = 90, G = 100, T = 0 – 10Y

(a) संतुलन आय ज्ञात कीजिए।
(b) संतुलन आय पर कर राजस्व क्या है? क्या सरकार का बजट संतुलित बजट है?

उत्तर:
(a) Y = (frac{1}{1 – 0.70}) (70 + 90 + 100)
या
Y = (frac{1}{0.30}) (260)
= (frac{260}{0.30})
= 866.66

(b) संतुलन आय पर कर राजस्व (T) = 0.10 Y = 0.10 (866.66) = 86.66.

प्रश्न 19.
मान लीजिए कि एक विशेष अर्थव्यवस्था में निवेश 200 के बराबर है, सरकार के क्रय की मात्रा 150 है, निवल कर (अर्थात् एकमुश्त कर से अंतरण को घटाने पर) 100 है और उपभोग C = 100 + 0.75 Y दिया हुआ है, तो –

(a) संतुलन आय का स्तर क्या है?
(b) सरकारी व्यय गुणक और कर गुणक के मानों की गणना करें?
(c) यदि सरकार के व्यय में 200 की बढ़ोतरी होती है, तो संतुलन आय में क्या परिवर्तन होगा?

उत्तर:

(a) सूत्र,
संतुलन आय
Y = (frac{1}{1 – C})
दिया है, C = 0.75, C = 100, T – TR = 100, I = 200, G = 150
इसलिए cT + c(bar { T } )R = 0.75 x 100 = 75
सूत्र में मान रखने पर,
Y = (100 – 75 + 200 + 150)
Y = (frac{1}{0.25})(375), Y = 4 x 375 = 1,500

(b) सरकारी व्यय गुणक

सरकारी व्यय गुणक

(c) यदि सरकार के व्यय में 200 की वृद्धि हो जाये थो संतुलन आध की गणना –
सूत्र –
संतुलन आध (Y) = (frac{1}{1 – C}) ((bar { C } ) – ((bar { C } ) – cT + c(bar { T } )R + I + G)
दिया है, C = 0.75, (bar { C } ) = 100, I = 200, G = 150 + 200 + 350, T – (bar { T } )R = 100
अतः cT – c (bar { T } )R = 0.75 x 100 = 7.5
मान रकने पर,
संतुलन आय (Y) = (frac{1}{1 – 0.75}) (100 – 75 + 200 + 350)
या
Y = (frac{1}{0.25})(575) = 4 x 575 = 2,300.


प्रश्न 20.
एक ऐसी अर्थव्यवस्था पर विचार कीजिए, जिसमें निम्नलिखित फलन हैं –
C = 20 + 0 – 80 Y, I = 30,G = 50, TR = 100

(a) आय का संतुलन स्तर और मॉडल में स्वायत्त व्यय गुणक ज्ञात कीजिए?
(b) यदि सरकार के व्यय में 30 की वृद्धि होती है, तो संतुलन आय पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
(c) यदि एकमुश्त कर 30 जोड़ दिया जाए, जिससे सरकार के क्रय में बढ़ोतरी का भुगतान किया जा सके, तो संतुलन आय में किस प्रकार का परिवर्तन होगा?

उत्तर:

(a) सूत्र
संतुलन आय
Y = (frac{1}{1 – C}) ((bar { C } ) – cT + c(bar { T } )R + I + G)
दिया है, C = 0.80, C = 20, I = 30, G = 50, TR = 100,
मान रखने पर,
Y = (frac{1}{1 – 0.80}) (20 – 0.30 (0) + 0.80(100) + 30 + 50)
या
Y = (frac{1}{0.20}) (20 – 0 + 80 + 30 + 50)
या
Y = (frac{1}{0.20}) (180) = 5 x 180 = 900
स्वायत्त व्यय गुणक ((frac ({ triangle Y }{ triangle G }) ) = ((frac{1}{1 – C}))
या
{ triangle Y }{ triangle G } = (frac{1}{1 – 0.80}) = (frac{1}{0.20}) = 5

(b) सरकार के व्यय में 30 की वृद्धि होने पर संतुलन आय पर प्रभाव –
सन्तुलन आय में परिवर्तन (∆Y) = (frac{1}{1 – C}) ∆G
∆Y = (frac{1}{1 – 0.80}) x 30 = (frac{1}{0.20}) x 30 = 5 x 30 = 150
अतः
नई संतुलन आय = 900 + 150 = 1,050
अतः स्पष्ट है कि सरकार के व्यय में 30 की वृद्धि होने से संतुलन आय 150 बढ़कर 1,050 हो जाएगी।

(c) यदि एकमुश्त कर 30 जोड़ दिया जाए तो संतुलन आय में परिवर्तन –
संतुलन आय में परिवर्तन (∆Y) = (frac{- C}{1 – C}) ∆G
∆Y = (frac{- 0.80}{1 – 0.80}) x 30 = (frac{- 0.80}{0.20}) x 30 = – 4 x 30 = 1 – 120
अतः
नई संतुलन आय = 900 – 120 = 780
अतः स्पष्ट है कि सरकार के व्यय में 30 की वृद्धि होने से संतुलन आय 120 बढ़कर 780 हो जाएगी।


प्रश्न 21.
उपर्युक्त प्रश्न अंतरण में 10 की वृद्धि और एकमुश्त करों में 10 की वृद्धि का निर्गत पर पड़ने वाले प्रभाव की गणना कीजिए? दोनों प्रभावों की तुलना कीजिए?
उत्तर:
अन्तरण में 10 की वृद्धि करने पर निर्गत पर प्रभावसन्तुलन आय
(Y) = (frac{1}{1 – C}) ((bar { C } ) – cT + c(bar { T } )R + I + G)
दिया है,
C = 0.80, (bar { C } ) = 20, I = 30,G = 50, TR = 100 + 10 = 110
मान रखने पर,
Y = (frac{1}{1 – 0.80}) (20 – 0.80 (0) + 0.80 (110) + 30 + 50)
या
Y = (frac{1}{0.20}) (20 – 8 + 80 + 30 + 50)
= 5 x 172 = 860.
अत: उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि जब अन्तरण में 10 की वृद्धि की गयी तो निर्गत (Y) बढ़कर 940 हो गया तथा जब एकमुश्त कर में 10 की वृद्धि की गई तो निर्गत (Y) घटकर 860 रह गया। निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि अन्तरण में वृद्धि निर्गत को बढ़ा रही है तथा एकमुश्त करों में वृद्धि निर्गत को घटा रही है।


सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बजट के प्रकारों को समझाइए?
उत्तर:
बजट के प्रकार:
बजट के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं –

1. केन्द्रीय बजट और राज्य बजट:
केन्द्रीय बजट केन्द्रीय सरकार तैयार करती है जो केन्द्रीय सरकार के द्वारा अनुमानित प्राप्तियों और प्रस्तावित खर्चों तथा भुगतानों का विस्तृत वर्णन करता है, जैसे – रेल बजट।
राज्य बजट – राज्य बजट राज्य सरकारें तैयार करती हैं, जैसे-छ. ग. सरकार का बजट, उ. प्र. सरकार का बजट इत्यादि।

2. राजस्व बजट तथा पूँजीगत बजट:
आजकल बजट को दो भागों में बाँटा जाता है –

  1. राजस्व बजट तथा
  2. पूँजीगत बजट।

राजस्व बजट में कर राजस्व और गैर – कर राजस्व प्राप्तियाँ और इस राजस्व से संबंधित खर्च सम्मिलित हैं। इसके विपरीत, पूँजीगत बजट के अंतर्गत सरकार की पूँजीगत प्राप्तियाँ और पूँजीगत खर्चे आते हैं। इसके अंतर्गत आते हैं – बाजार से उधार, विदेशी ऋण और अन्य पार्टियों से लिया गया अग्रिम धन।

3. योजना बजट और गैर:
योजना बजट-योजना बजट एक दस्तावेज है, जो केन्द्रीय योजना में सम्मिलित परियोजनाओं, कार्यक्रमों और अन्य योजनाओं के लिए बजट संबंधी प्रावधान प्रस्तुत करता है। जैसेकृषि और उससे संबंधित विवरण प्रस्तुत करना है। जबकि गैर – योजना बजट का संबंध योजना खर्च के अतिरिक्त होता है।

4. मुख्य बजट और अनुपूरक बजट:
मुख्य बजट सरकार के द्वारा संपूर्ण वर्ष के लिए प्रस्तुत अनुमानित प्राप्तियों और खर्च का एक वित्तीय वार्षिक विवरण है। जबकि अनुपूरक बजट, वह बजट है जो किसी देश की सरकार के द्वारा युद्ध, भूकम्प, बाढ़ जैसे आपातकालीन परिस्थितियों में संसद में प्रस्तुत किया जाता है।


प्रश्न 2.
भारत में बजट निर्माण की प्रक्रिया बताइए?
उत्तर:
भारत में बजट बनाने की प्रक्रिया निम्नलिखित है –

1. बजट की तैयारी:
बजट बनाने से पूर्व बजट की तैयारी की जाती है। वित्त मंत्रालय विभिन्न मंत्रालयों से अनुमानित आय – व्यय के लेखे माँगता है। भारत में संघीय शासन व्यवस्था होने के कारण राज्यों व केन्द्र के अलग – अलग बजट होते हैं।

2. बजट पेश करना:
बजट बन जाने के बाद उसे राज्यसभा व संसद के द्वारा पारित किया जाता है। जब तक बजट स्वीकृत नहीं हो जाता, यह प्रभावी नहीं माना जाता है। लोकसभा द्वारा बजट का पारित होना अनिवार्य है।

3. सामान्य बहंस:
वित्त मंत्री द्वारा पूरा भाषण पढ़ लेने के पश्चात् भाषण के लिए बहस का दिन अलग से तय कर दिया जाता है, जिस पर पक्ष एवं विपक्ष के सदस्यों द्वारा सामान्य रूप से चर्चा की जाती है।

4. मतदान:
बजट पर सामान्य बहस हो जाने के बाद विभिन्न विभागों के मंत्री अपने-अपने विभागों के लिए अनुदान की माँग रखते हैं और इन पर अलग-अलग बहस होती है। कुछ मदें ऐसी होती हैं जिनके व्यय पर सदस्य सन्तुष्ट नहीं होने तथा अनुदान की माँगों में कटौती लाने का प्रस्ताव भी पेश किया जाता है। यदि वित्तमंत्री के स्पष्टीकरण से सदस्य सन्तुष्ट न हों तो वे उस पर मतदान करा सकते हैं। जब माँगों पर वोटिंग समाप्त हो जाती है तब केन्द्र में राष्ट्रपति और राज्यों में राज्यपाल की स्वीकृति ली जाती है।

5. विनियोग विधेयक:
बजट की मांगों पर बहस के पश्चात् विनियोग विधेयक रखा जाता है, जिसमें करों के लगने के सभी प्रस्ताव होते हैं। नये कर लगाने तथा वर्तमान करों की दरों में वृद्धि करने के प्रस्तावों पर बहस होती है। जब लोकसभा में वित्त विधेयक पारित हो जाता है, तब उसे स्वीकृति के लिए राज्यसभा में भेज दिया जाता है।

6. कटौती प्रस्ताव:
माँग में कमी करने के उद्देश्य से सदस्यों द्वारा कटौती प्रस्ताव रखे जाते हैं, जो कि तीन प्रकार के होते हैं –

  1. पूर्ति को मना करना
  2. नाममात्र की कटौती
  3. मितव्ययिता की कटौती।

यदि सरकार इस पर सन्तुष्ट है तो कटौती प्रस्ताव वापस ले लिया जाता है। यदि वह सन्तोषप्रद नहीं है, तो प्रस्ताव को विभाजन के लिए रख दिया जाता है जो कि बहुमत द्वारा ही निश्चित किया जाता है। यदि सरकार विभाजन पर हार जाती है तो उसका परिणाम मंत्री को इस्तीफा देना होता है।

7. पूरक बजट:
आपातकालीन परिस्थितियों में वित्तमंत्री द्वारा लोकसभा में पूरक बजट भी संसद द्वारा स्वीकृत व्ययों को पूर्ण करने के लिए रखा जाता है। इसमें व्ययों को पूर्ण करने के उद्देश्य से नवीन करों को लगाने के प्रस्ताव रखे जाते हैं। यह कर स्वीकृति प्राप्त होने के उपरान्त ही लगाये जाते हैं।


प्रश्न 3.
सार्वजनिक आय के कर-साधन आय का उल्लेख कीजिए?
उत्तर:
सार्वजनिक आय के कर-साधन आय निम्नलिखित हैं –

1. कर:
कर एक अनिवार्य अंशदान है जिसे जनता या उत्पादक को सरकार के बनाये कर कानूनी नियम के अनुसार चुकाना पड़ता है। सरकार के द्वारा इस कर या अंशदान के बदले किसी प्रकार की सेवा प्रदान नहीं की जाती। यदि कोई व्यक्ति सरकार द्वारा लगाये गए कर को देने से मना कर देता है तो उसे कानूनी दण्ड मिलता है।

2. करों के प्रकार:
करों के निम्नलिखित प्रकार हैं –

  1. प्रगतिशील कर: आय वृद्धि के साथ – साथ कर की दर में भी वृद्धि होती जाती है तो उसे प्रगतिशील कर कहा जाता है।
  2. अनुपाती कर: अनुपाती कर उसे कहते हैं जो सभी व्यक्तियों पर समान दर से लगाई जाती है।
  3. प्रतिगामी कर: प्रतिगामी कर के अनुसार अधिक आय वाले व्यक्तियों पर कर की दर कम तथा कम आय वाले व्यक्तियों पर ऊँची दर से कर लगाई जाती है।
  4. प्रत्यक्ष कर: जिस कर का कराघात तथा करापात एक ही व्यक्ति पर पड़ता है उसे प्रत्यक्ष कर कहा जाता है।

प्रश्न 4.
सार्वजनिक आय के गैर – कर साधन आय का उल्लेख कीजिए?
उत्तर:
सार्वजनिक आय के मुख्य गैर – कर साधन निम्नांकित हैं –
(I) फीस, लाइसेंस तथा परमिट – सरकार की गैर – कर आय का एक मुख्य साधन शुल्क (फीस), लाइसेंस तथा परमिट से प्राप्त आय है –

1. शुल्क:
सरकार द्वारा व्यक्तियों को प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लिए दिया गया भुगतान शुल्क कहलाता है। सैलिंगमैन के अनुसार, “शुल्क उस भुगतान को कहते हैं जो सरकार को उसके द्वारा मुख्यतः जनहित में बार – बार की जाने वाली सेवा की लागत के रूप में किया जाता है तथा जिससे शुल्क देने वाले को एक विशेष लाभ पहुँचता है। इसको मापा जा सकता है।”
उदाहरणार्थ – भूमि की रजिस्ट्रेशन फीस, जन्म तथा मृत्यु के रजिस्ट्रेशन की फीस, पासपोर्ट की फीस, कोर्ट फीस आदि।

2. लाइसेंस तथा परमिट:
व्यक्तियों को कुछ कार्य करने की अनुमति देने के लिए उनसे जो भुगतान लिया जाता है, उसे लाइसेंस या परमिट फीस कहा जाता है। जैसे-ड्राइविंग लाइसेंस, आयात लाइसेंस।

(II) एसचीट:
एसचीट से तात्पर्य, सरकार की उस आय से है जो उन लोगों की सम्पत्ति से प्राप्त होती है जिनकी मृत्यु बिना किसी कानूनी उत्तराधिकारी को नियुक्त किये हो जाती है। इस सम्पत्ति को लावारिस सम्पत्ति कहते हैं। लावारिस सम्पत्ति पर सरकार का अधिकार होता है।

(III) विशेष आंकन:
सरकार की गैर – कर आय का एक साधन विशेष – आंकन है। विशेष – आंकन वह भुगतान है जो सरकारी कार्यों के फलस्वरूप किसी सम्पत्ति में सुधार होने या उसके मूल्य में वृद्धि होने के कारण उसके मालिकों द्वारा सरकार को किया जाता है।

(IV) जुर्माना व जब्ती:
जुर्माने तथा जब्ती वे भुगतान हैं, जो कानून तोड़ने पर आर्थिक दण्ड के रूप में कानून तोड़ने वाले व्यक्ति द्वारा सरकार को देना पड़ता है। इनका मुख्य उद्देश्य आय प्राप्त करना नहीं होता। उनका उद्देश्य लोगों को कानून पालन करने के लिए मजबूर करना होता है।


प्रश्न 5.
मान लीजिए कि एक विशेष अर्थव्यवस्था में निवेश 200 के बराबर है, सरकार के क्रय की मात्रा 150 है, निवल कर (अर्थात् एकमुश्त कर से अंतरण को घटाने पर) 100 है और उपभोग C = 100 + 0 – 75Y दिया हुआ है, तो (a) संतुलन आय का स्तर क्या है? (b) सरकारी व्यय गुणक और कर गुणक के मानों की गणना करें? (c) यदि सरकार के व्यय में 200 की बढ़ोतरी होती है, तो संतुलन आय में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर:
(a) सूत्र, संतुलन आय Y = (frac{1}{1 – C}) ((bar { C } ) – cT + c ((bar { T } )R + I + G)
दिया है,
C = 0.75,
((bar { C } ) =100,
I = 100, I = 200, G = 150 + 200 + 350, T – ((bar { T } ) = 100
अत:
cT – c ((bar { T } )R = 0.75 x 100 = 75
मान रकने पर,
संतुलन आय (Y) = (frac{1}{0.75}) (100 – 75 + 200 + 350)
या
Y = (frac{1}{0.25}) (575) = 4 x 575 = 2,300.


Final Words

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