परियोजना प्रतिवेदन का अर्थ (pariyojana prativedan kya hai) | Meaning of Project Report

Ashok Nayak
0

परियोजना प्रतिवेदन का अर्थ (pariyojana prativedan kya hai) | Meaning of Project Report

परियोजना प्रतिवेदन का अर्थ (pariyojana prativedan kya hai) | Meaning of Project Report

परियोजना प्रतिवेदन शुरू की जाने वाली प्रस्तावित परियोजना के संबंध मे विभिन्न तथ्यों, सूचनाओं तथा विश्लेषणों का सारांश होता है। यह किसी परियोजना के संबंध मे विनियोग अवसरों के निर्धारण, मूल्यांकन तथा नियोजन के बाद तैयार किया गया एक प्रलेख है, जो प्रस्तावित योजना के बारे मे विविध जानकारी, जैसे- परियोजना के उद्देश्य, संक्षिप्त विवरण, वित्तीय संरचना, संयंत्र, उपकरण, कच्चे माल, तकनीक श्रम, विभिन्न भौतिक संसाधन, प्रबंधकीय व्यवस्था, बाजार, विपणन व्यवस्था, निर्यात लागत, लाभदायक, रोकड़, प्रवाह आदि प्रदान करता है।

सामान्य शब्दों मे कह सकते है कि " परियोजना प्रतिवेदन किसी फर्म अथवा उद्यमी के द्वारा आरंभ की जाने वाली परियोजना की विभिन्न क्रियाओं तथा उनकी तकनीक, वित्तीय, वाणिज्यक एवं सामाजिक व्यवहार्यताओं का एक लिखित लेखा है। परियोजना वैज्ञानिक आधार पर तैयार की गई कार्ययोजना है जिसे विशिष्ट अवधि मे विशेष उद्देश्य को पाने के लिये तैयार किया जाता है।


आगे जानेंगे परियोजना प्रतिवेदन की विशेषताएं और परियोजना प्रतिवेदन की आवश्यकता एवं उद्देश्यों के बारें मे।


परियोजना प्रतिवेदन की विशेषताएं (pariyojana prativedan  ki visheshta)

1. परियोजना प्रतिवेदन तब तैयार किया जाता है जबकि परियोजना मे आने वाली प्रारम्भिक बाधाओं को पार कर लिया जाता है तथा परियोजना की आवश्यकता अनुभव की जाने लगती है।
2. यह परियोजना का एक विस्तृत प्रलेख होता है जिसमे परियोजना का सम्पूर्ण विवरण दिया होता है।
3. यह प्रतिवेदन, परियोजना क्रियाओं का मार्गदर्शक होता है।
4. विभिन्न विकल्पों पर विचार करने के बाद यह परियोजना के अन्तिम आशुचित्र को दर्शाता है।
5. यह परियोजना क्रियाओं के अनुक्रम को भी दर्शाता है।


परियोजना प्रतिवेदन के उद्देश्य (pariyojana prativedan ke uddeshya)

परियोजना प्रतिवेदन के आधार पर उधोग का पंजीकरण, उधोग लगाने हेतु भूमि का आबंटन, श्रण स्वीकृति, अनुदान स्वीकृति, बिक्री पर छूट, कच्चे माल के कोटा का आबंट एवं अन्य सहायतायें आदि का लाभ मिलता है। अतः प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करना उधमी का एक अति आवश्यक तथा लाभप्रद कार्य है। परियोजना प्रतिवेदन के मुख्य उद्देश्य निम्न प्रकार है--
1. परियोजना प्रतिवेदन का प्रमुख उद्देश्य विभिन्न विनियोग अवसरों का मूल्यांकन करना है ताकि किसी श्रेष्ठ विनियोग प्रस्ताव का चयन किया जा सके।
2. वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए विभिन्न बैंकों, वित्तीय संस्थाओं व विनियोग निगमों को परियोजना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाना आवश्यक होता है। इसी आधार पर वे विनियोग प्रस्ताव की लाभदायक एवं व्यवहार्यता का अध्ययन करते है तथा संतुष्टि होने पर वित्तीय सहायता उपलब्ध कराते है।

3. विभिन्न दशाओं मे परियोजना प्रतिवेदन उधोग निदेशालय, सरकारी विभाग व जिला उधोग केन्द्र को भेजना आवश्यक होता है। परियोजना के पंजीयन एवं अनुमोदन हेतु इसकी आवश्यकता होती है।
4. परियोजना प्रतिवेदन से अनुमानित लागत व सम्भावित आय की तुलनात्मक समीक्षा करके नवीन परियोजनाओं की व्यावसायिक लाभदेयता व सुदृढ़ता की जाँच की जा सकती है।
5. इससे परियोजना के उद्देश्यों तथा उपबंध साधनों की परिसीमाओं का ज्ञान किया जा सकता है। यह प्रतिवेदन वास्तव मे परियोजना के क्रियान्वयन हेतु एक कार्य-योजना (action plan) का कार्य करता है।
6. परियोजना प्रतिवेदन प्रारंभ की जाने वाली परियोजना का एक संक्षिप्त विवरण (summung up) एवं दर्पण है। यह परियोजना के सम्बन्ध मे विभिन्न शंकाओं एवं जिज्ञासाओं का समाधान प्रस्तुत करता है। इस प्रकार यह उधमी के समय एवं शक्ति को बचाता है।
7. यह सरकार व अन्य संस्थाओं द्वारा करों मे छूट, आर्थिक, सहायता, सुविधायें व प्रेरणायें प्रदान करने मे एक उपयुक्त आधार प्रदान करता है।
8. परियोजना प्रतिवेदन विनियोग निर्णयों के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण ( systematic approach) है। उधमी के इसके आधार पर अपनी परियोजना मे भावी सुधार कर सकता है। यह उद्यमी के लिए पथ-प्रदर्शक का कार्य करता है।


परियोजना प्रतिवेदन के साथ संलग्न प्रलेखों की सूची 

परियोजना प्रतिवेदन मे दी गई सामग्री व सूचनाओं के स्पष्टीकरण एवं व्याख्या के लिए विभिन्न प्रलेखों व विवरण-पत्रों को संलग्न किया जाना आवश्यक होता है। इससे परियोजना के विभिन्न पहलुओं का स्पष्ट ज्ञान हो जाता है। साथ संलग्न किये जाने वाले कुछ प्रमुख प्रलेखों व उनके प्रारूपों (proform) के उदाहरण निम्न प्रकार है--
1. आवश्यक उपकरणों की सूची (equipments required)
2. प्रारंभिक व्ययों का विवरण (details preliminary expenses)
3. कार्य पूँजी आवश्यकतायें ( Working capital requirements)
4. श्रम एवं कार्यचारी आवश्यकता (Labour and staff requirements)
5. सम-विच्छेद बिन्दु (Break-even point)
6. ॠण-सेवा विस्तार अनुपात (debt-service coverage ratio)
7. उत्पादन लागत एवं लाभदायकता अनुमान (cost of production and profitability estimates)
8. रोकड़ प्रवाह विवरण-पत्र (cash flow statement)


परियोजना प्रतिवेदन की आवश्यकता तथा प्रासंगिकता (pariyojana prativedan ki avashyakta)

परियोजना प्रतिवेदन देखकर भविष्य के सम्बन्ध मे भविष्यवाणी करने के प्रयास किये जा सकते है। इसलिए इसकी आवश्यकता निम्म बिन्दुओं के आधार पर अभिव्यक्ति की जा सकती है-


1. इकाई की वर्तमान स्थिति
किसी इकाई का परियोजना प्रतिवेदन देखकर भी उस इकाई की वर्तमान स्थिति, जैसे वर्तमान मे उस उत्पादन से सम्बंधित कितने अन्य विक्रेता बाजार मे है, आदि की समीक्षा की जा सकती है।


2. परियोजना के औचित्य का परीक्षण
परियोजना प्रतिवेदन के अन्तर्गत व्यावसायिक इकाई की लागत तथा कीमत का अनुमान, वस्तु की कुल माँग और कुल पूर्ति, मौसमी माँग एवं विपणन व्यूह रचना का उल्लेख होता है, इस आधार पर परियोजना के औचित्य का मूल्यांकन किया जा सकता है।


3. भविष्य की सम्भावनाएं
इसकी वर्तमान स्थिति क्या है, से लेकर इसका अनुमानित भविष्य क्या होगा अर्थात् यह कितने समय मे लाभ प्राप्त करने की स्थिति मे आयेगी।


4. ॠण प्राप्त करने हेतु
परियोजना प्रतिवेदन की आवश्यकता ॠण प्राप्त करने हेतु मानी जाती है। अर्थात् अगर कोई व्यावसायिक संस्था या उधमी बैंक या वित्तीय संस्थाओं से ऋण प्राप्त करना चाहता है, तो उसे परियोजना प्रतिवेदन प्रस्तुत करना पड़ता है। वित्तीय संस्थायें प्रतिवेदन के आधार पर ही ॠण-राशि की स्वीकृति प्रदान करती है।


5. लाभदायक तथा सुदृढ़ता की जाँच
परियोजना प्रतिवेदन के द्वारा उपक्रम की वास्तविक लाभदायक तथा सुदृढ़ता की स्थिति प्रस्तुत की जाती है। इससे संस्था की वित्तीय सुदृढ़ता का अनुमान होता है।


6. प्रगति जानने के लिए आवश्यक

अपनी इकाई की प्रगति की जानकारी के लिए परियोजना प्रतिवेदन की आवश्यकता होती है। अगर परियोजना प्रतिवेदन मे दी गई योजनानुसार कार्य सम्पन्न नही हो रहा है, तो इसके लिए निदानात्मक कदम उठाये जा सकते है।


7. व्यावसायिक इकाई का पंजीयन एवं अनुमोदन
परियोजना प्रतिवेदन से उपक्रम के पंजीयन तथा अनुमोदन की सुविधा प्राप्त होती है, क्योंकि किसी व्यावसायिक इकाई का पंजीयन और अनुमोदन कराने हेतु परियोजना प्रतिवेदन जरूरी होता है।


8. विनियोग अवसरों का मूल्यांकन
परियोजना प्रतिवेदन का उद्देश्य विभिन्न विनियोग अवसरों के मूल्यांकन के आधार पर श्रेष्ठ विनियोग अवसर का चयन करना होता है। इसी आधार पर उधमी अपनी विनियोग का निर्धारण कर सकता है।
परियोजना प्रतिवेदन को अद्यतन एवं विस्तृत रूप से बनाने का प्रयत्न करना चाहिए, जिससे समय पर समुचित विनियोग निर्णय लिया जा सके।


Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

If you liked the information of this article, then please share your experience by commenting. This is very helpful for us and other readers. Thank you

If you liked the information of this article, then please share your experience by commenting. This is very helpful for us and other readers. Thank you

Post a Comment (0)
!
Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !

Adblocker detected! Please consider reading this notice.

We've detected that you are using AdBlock Plus or some other adblocking software which is preventing the page from fully loading.

We don't have any banner, Flash, animation, obnoxious sound, or popup ad. We do not implement these annoying types of ads!

We need money to operate the site, and almost all of it comes from our online advertising.

×