सौरमंडल ( Solar System )
सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले विभिन्न ग्रहों , क्षुद्रग्रहों . धूमकेतुओं , उल्काओं तथा अन्य आकाशीय पिडों के समूह को सौरमंडल ( Solar system ) कहते हैं । सौरमंडल सूर्य का प्रभुत्व है , क्योंकि सौरमंडल निकाय के द्रव्य का लगभग 99.999 द्रव्य सूर्य में निहित है । सौरमंडल के समस्त ऊर्जा का स्रोत भी सूर्य ही है ।
सूर्य ( Sun ) सौरमंडल का प्रधान है । यह हमारी मंदाकिनी दुग्धमेखला ( Galaxy milkway) के केन्द्र से लगभग 30,000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर एक कोने में स्थित है ।
यह दुग्धमेखला मंदाकिनी ( Galaxy milkway) के केन्द्र के चारों ओर 250 किमी / से ० की गति से परिक्रमा कर रहा हैं । इसका परिक्रमण काल ( दुग्धमेखला के केन्द्र के चारों ओर एक बार धूमने में लगा समय ) 25 करोड़ वर्ष है , जिसे ब्रह्मांड वर्ष ( Cosmos year ) कहते हैं ।
> सूर्य अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम ओर घूमता है । इसका मध्य भाग 25 दिनों में व ध्रुवीय भाग 35 दिनों में एक धूर्णन करता है ।
> सूर्य एक गैसीय गोला है जिसमें हाइड्रोजन 71 % हीलियम 26.5 % एवं अन्य तत्व 2.5 % होता है ।
> सूर्य का केन्द्रीय भाग क्रोड़ ( Core ) कहलाता है , जिसका ताप 1.5 x 10^7 °C होता तथा सूर्य के बाहरी सतह का तापमान 6000 °C है ।
> हैस वेथ ( Hans Bethe ) ने बताया कि 10^7 °C ताप पर सूर्य के केन्द्र पर चार हाइड्रोजन नाभिक मिलकर एक हीलियम नाभिक का निर्माण करता है । अर्थात् सूर्य के केन्द्र पर नाभिकीय संलयन ( Nuclear fusion ) होता है सूर्य की ऊर्जा का स्रोत है ।
> सूर्य की दीप्तिमान सतह को प्रकाश - मंडल ( Photosphere ) कहते हैं । प्रकाश - मंडल के किनारे प्रकाशमान नहीं होते , क्योंकि सूर्य का वायुमंडल प्रकाश का अवशोषण कर लेता है । इसे वर्णमंडल ( Chromosphere ) कहते हैं । यह लाल रंग का होता है ।
सूर्य किरीट( Corona )
सूर्य ग्रहण के समय सूर्य के दिखाई देनेवाले भाग को सूर्य किरीट ( Corona ) कहते हैं । यह x - ray उत्सर्जित करता है । इसे सूर्य का मुकुट कहा जाता है । सूर्य ग्रहण के समय सूर्य किरीट से प्रकाश की प्राप्ति होती है ।
> सूर्य की उम्र 5 बिलियन वर्ष है ।
> भविष्य में सूर्य द्वारा ऊर्जा देते रहने का समय 10^11 वर्ष है ।
> सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में 8 मिनट 16.6 सेकेण्ड का समय लगता है ।
> सौर ज्वाला को उत्तरी ध्रुव पर औरोरा बोरियलिस और दक्षिणी ध्रुव पर औरोरा ऑस्ट्रेलिस कहते हैं ।
> सूर्य के धब्बे ( चलते हुए गैसों के खोल ) का तापमान आसपास के तापमान से 1500 ° C कम होता है । सूर्य के धब्बों का एक पूरा चक्र 22 वर्षों का होता है पहले 11 वर्षों तक यह धब्बा बढ़ता है और बाद के 11 वर्षों तक यह धब्बा घटता है । जब सूर्य की सतह पर धब्बा दिखलाई पड़ता है । उस समय पृथ्वी पर चुम्बकीय झंझावत ( Magnetic Storms ) उत्पन्न होते हैं । इससे चुम्बकीय सुई की दिशा बदल जाती है एवं रेडियो , टेलीविजन , विजली चालित मशीन आदि में गड़बड़ी उत्पन्न हो जाती है ।
> सूर्य का व्यास ( Diameter of the sun ) 13 लाख 92 हजार किमी है , जो पृथ्वी के व्यास का लगभग 110 गुना है ।
> सूर्य हमारी पृथ्वी से 13 लाख गुना बड़ा है , और पृथ्वी को सूर्यताप का 2 अरबवां भाग मिलता है ।
सौरमंडल के पिंड ( Objects of the solar system)
> अन्तर्राष्ट्रीय खगोलशास्त्रीय संघ ( International Astronomical Union - IAU ) की प्राग सम्मेलन 2006 के अनुसार सौरमंडल में मौजूद पिंडों को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है
1. परम्परागत ग्रह ( Traditional planets ) : बुध , शुक्र , पृथ्वी , मंगल , बृहस्पति , शनि , अरुण एवं वरुण ।
2. बौने ग्रह ( Dwarf planets ) : प्लूटो , चेरॉन , सेरस , 2003 यूवी 313 ।
3. लघु सौरमंडलीय पिंड ( Small Solar Atmosphere ): धूमकेतु , उपग्रह , एवं अन्य छोटे खगोलीय पिंड ।
ग्रह क्या होते हैं ?
● ग्रह ( Planet) : ग्रह वे खगोलीय पिंड है जो निम्न शर्तों को पूरा करता हों ग्रह कहलाता है -
( i ) जो सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करता हो
( ii ) उसमें पर्याप्त गुरुत्वाकर्षण बल हो जिससे वह गोल स्वरूप ग्रहण कर सके ।
( iii ) उसके आस - पास का क्षेत्र साफ हो यानि उसके आस पास अन्य खगोलीय पिंडो की भीड़ - भार न हो ।
ग्रहों की उपर्युक्त परिभाषा INU की प्राग सम्मेलन ( अगस्त -2006 ) में तय की गई है । ग्रह की इस परिभाषा के आधार पर यम ( Pluto ) को ग्रह के श्रेणी से निकाल दिया गया फलस्वरूप परम्परागत ग्रहों की संख्या 9 से घटकर 8 रह गयी । यम को बौने ग्रह की श्रेणी में रखा गया है ।
ग्रहों को दो भागों में विभाजित किया गया है
● (¡) CEO पार्थिव या आन्तरिक ग्रह ( Terrestrial or inner planet ) : बुध , शुक्र , पृथ्वी एवं मंगल को पार्थिव ग्रह कहा जाता है क्योंकि ये पृथ्वी के सदृश होते हैं ।
● ( ii ) बृहस्पतीय या बाह्य ग्रह Jovean or outer planet ) : बृहस्पति , शानि , अरुण एवं वरुण को बृहस्पतीय ग्रह कहा जाता है ।
कुल 8 ग्रहों में से केवल पाँच को नंगी आँखों से देखा जा सकता है जो है- बुध , शुक्र , शनि , बृहस्पति एवं मंगल ।
आकर के अनुसार ग्रहों का क्रम ( घटते क्रम में ) है : बृहस्पति , शनि , अरुण , वरुण , पृथ्वी , शुक्र , मंगल एवं बुध । अर्थात सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति और सबसे छोटा ग्रह बुध है
घनत्व के आधार पर ग्रहों का क्रम ( बढ़ते क्रम में ) हैं : शनि , यूरेनस , वृहस्पति , नेप्च्यून , मंगल एवं शुक्र ।
> शुक्र एवं अरुण ( यूरेनस ) को छोड़कर अन्य सभी ग्रहों का धूर्णन एवं परिक्रमण की दिशा एक ही है ।
बुध ( Mercury)-
> यह सूर्य का सबसे नजदीकी ग्रह है , जो सूर्य निकलने के दो घंटा पहले दिखाई पड़ता है ।
> यह सबसे छोटा ग्रह है , जिसके पास कोई उपग्रह नहीं है ।
> इसका सबसे विशिष्ट गुण है — इसमें चुम्बकीय क्षेत्र का होना ।
> यह सूर्य की परिक्रमा सबसे कम समय में पूरी करता है ।
शुक ( Venus )
> यह पृथ्वी का निकटतम ग्रह है ।
> यह सबसे चमकीला एवं सबसे गर्म ग्रह है ।
> इसे साँझ का तारा या भोर का तारा कहा जाता है ।
> यह अन्य ग्रहों के विपरीत दक्षिणावर्त ( anticlockwise ) चक्रण करता है ।
> इसे पृथ्वी का भगिनी ग्रह कहते है । यह घनत्व , आकार एवं व्यास में पृथ्वी के समान है ।
> इसके पास कोई उपग्रह नहीं है ।
बृहस्पति ( Jupiter )
> यह सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है । इसे अपनी धुरी पर चक्कर लगाने में 10 घंटा ( सबसे कम ) और सूर्य की परिक्रमा करने में 12 वर्ष लगते हैं ।
> इसके उपग्रहों की संख्या 63 है , जिसमें ग्यानीमीड ) सबसे बड़ा उपग्रह है । यह पीले रंग का उपग्रह है ।
मंगल ( Mars )
> इसे लाल ग्रह ( Red Planet ) कहा जाता है , इसका रंग लाल , आयरन ऑक्साइड के कारण है ।
> यहाँ पृथ्वी के समान दो धुव है तथा इसका कक्षातली ( म के कोण पर झुका हुआ है , जिसके कारण यहाँ पृथ्वी के समान ऋतु परिवर्तन होता है ।
> इसके दिन का मान एवं अक्ष का झुकाव पृथ्वी के समान है । यह अपनी धुरी पर 24 घंटे में एक बार पूरा चक्कर लगाता है ।
> इसके दो उपग्रह हैं — फोबोस ( Phobos ) और डीमोस ( Deimos ) |
> सूर्य की परिक्रमा करने में इसे 687 दिन लगते हैं ।
> सौरमंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी ओलिपस मेसी एवं सौरमंडल का सबसे ऊँचा पर्वत --निक्स ओलम्पिया ( Nix olympia ) जो माउंट ऐवरेस्ट से तीन गुना अधिक ऊँचा है , इप्सी ग्रह पर स्थित है ।
शनि ( Saturn )
> यह आकार में दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है ।
> यह आकाश में पीले तारे के समान दिखाई पड़ता है ।
> इसकी विशेषता है - इसके तल के चारों ओर वलय का होना ( मोटी प्रकाश वाली कुंडली ) ।
> इसके उपग्रहों की संख्या 60 है ; जो सबसे अधिक है ।
> शनि का सबसे बड़ा उपग्रह टाइटन ( Titan ) है । यह आकार में बुध के बरावर है ।
> फोये नामक शनि का उपग्रह इसकी कक्षा में घूमने की विपरीत दिशा में परिक्रमा करता है ।
अरुण ( Uranus )
> यह आकार में तीसरा सबसे बड़ा ग्रह है ।
> इसकी खोज 1781 ई ० में विलियम हर्शल द्वारा की गयी है ।
> इसके चारों ओर ना चलयों में पाँचवलयों का नाम अल्फा ( d ) , बीटा ( B ) , गामा ( ४ ) . डेल्टा ( A ) एवं इप्सिलॉन है ।
> यह अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है , जबकि अन्य ग्रह पश्चिम से पूर्व की ओर घूमते हैं ।
> यह अपनी धुरी पर सूर्य की ओर इतना झुका हुआ है कि लेटा हुआ - सा दिखलाई पड़ता है ,
> इसके सभी उपग्रह भी पृथ्वी की विपरीत दिशा में परिभ्रमण करते हैं । , यहाँ सूर्योदय पश्चिम की ओर एवं सूर्यास्त पूरब की ओर होता है । इसलिए इसे लेटा हुआ ग्रह कहा जाता है ।
> इसका तापमान 18 ° C है ।
> इसके 27 उपग्रह हैं जिसमें सबसे बड़ा उपग्रह टाइटेनिया ( Titania ) है ।
वरुण ( Neptune )
> इसकी खोज 1846 ई ० में जर्मन खगोलज्ञ जहॉन गाले ने की है ।> नई खगोलीय व्यवस्था में यह सूर्य से सबसे दूर स्थित ग्रह है ।
> यह हरे रंग का ग्रह है ।
> इसके चारों ओर अति शीतल मिथेन का बादल छाया हुआ है ।
> इसके 13 उपग्रह हैं जिनमें ट्रिटॉन ( Triton ) प्रमुख है ।
पृथ्वी ( Earth )
> यह आकार में पाँचवों सबसे बड़ा ग्रह है ।> यह सौरमंडल का एकमात्र ग्रह है , जिस पर जीवन है ।
> इसका विषुवतीय व्यास 12,756 किमी और ध्रुवीय व्यास 12.714 किमी है ।
> पृथ्वी अपने अक्ष पर 23 , झुकी हुई है ।
> यह अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व 1610 किमी प्रतिघंटा की चाल से 23 घंटे 56 मिनट और 4 सेकेण्ड में एक पूरा चक्कर लगाती है । पृथ्वी की इस गति को घूर्णन या दैनिक गति कहते हैं । इस गति के कारण ही दिन रात होते हैं ।
> पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट 46 सेकेण्ड ( लगभग 365 दिन 6 घंटे ) का समय लगता है । सूर्य के चातुर्दिक पृथ्वी के इस परिक्रमा को पृथ्वी की वार्षिक गति अथवा परिक्रमण कहते हैं । पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा करने में लगे समय को सौर वर्ष कहा जाता है । प्रत्येक सौर वर्ष , कलेण्डर वर्ष से लगभग 6 घंटा बढ़ जाता है , जिसे हर चौथे वर्ष में लीप वर्ष बनाकर समायोजित किया जाता है । लीप वर्ष 366 दिन का होता है , जिसके कारण फरवरी माह में 28 के स्थान पर 29 दिन होते हैं ।
पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन , इसकी अक्ष पर झुके होने के कारण तथा सूर्य के सापेक्ष इसकी स्थिति में परिवर्तन यानि वार्षिक गति के कारण होती है ।
● वार्षिक गति के कारण ही पृथ्वी पर दिन - रात छोटा - बड़ा होता है । ● आकार एवं बनावट की दृष्टि से पृथ्वी शुक्र के समान है । जल की उपस्थिति के कारण इसे नीला ग्रह भी कहा जाता है । इसका अक्ष इसकी कक्षा के सापेक्ष 66.5 ° का कोण बनाता है ।
> सूर्य के बाद पृथ्वी के सबसे निकट का तारा प्रॉक्सिमा सेन्चुरी है , जो अल्फा सेन्चुरी समूह का एक तारा है । यह पृथ्वी से 4.22 प्रकाश वर्ष दूर है ।
> पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह है जिसे चन्द्रमा कहते है ।
नोट : 24 अगस्त , 2006 mine गोल विज्ञानी संघ ( आईएयू ) की प्राग ( चेक गणराज्य ) चैटक में खगोल विज्ञानियों ने प्लूटो का ग्रह होने का दर्जा खत्म कर दिया क्योंकि इसकी कक्षा वृत्ताकार नहीं है और यह वरूण ग्रह की कक्षा से होकर गुजरती है । नई खगोलीय व्यवस्था में प्लूटो को बौने ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है ।
चंद्रमा ( Moon )
> चन्द्रमा की सतह और उसकी आन्तरिक स्थिति का अध्ययन करने वाला विज्ञान सेलेनोलॉजी चन्द्रमा ( Moon ) कहलाता है ।
> इस पर धूल के मैदान को शान्ति सागर कहते हैं । यह चन्द्रमा का पिछला भाग है , जो अंधकारमय होता है ।
> चन्द्रमा का ऊच्चतम पर्वत लीबनिट्न पर्वत है , जो 35000 फुट ( 10,668 मी ० ) ऊँचा है । यह चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्थित है ।
> चन्द्रमा को जीवाश्म ग्रह भी कहा जाता है ।
> चन्द्रमा पृथ्वी की एक परिक्रमा लगभग 27 दिन 8 घंटे में पूरी करता है और इतने ही समय में अपने अक्ष पर एक घूर्णन करता है । यही कारण है कि चन्द्रमा का सदैव एक ही भाग दिखाई पड़ता है । पृथ्वी से चन्द्रमा का 57 % भाग को देख सकते हैं ।
> चन्द्रमा का अक्ष तल पृथ्वी के अक्ष के साथ 58-48 ° का अक्ष कोण बनाता है । चन्द्रमा पृथ्वी के अक्ष के लगभग समानान्तर है ।
> चन्द्रमा का व्यास 3,480 किमी तथा द्रव्यमान , पृथ्वी के द्रव्यमान का लगभग
> पृथ्वी के समान इसका परिक्रमण पथ भी दीर्घ वृत्ताकार है ।
> सूर्य के संदर्भ में चन्द्रमा की परिक्रमा की अवधि 29.53 दिन ( 29 दिन , 12 घंटे , 44 मिनट और 2.8 सैकेण्ड ) होती है । इस समय को एक चन्द्रमास या साइनोडिक मास कहते हैं । नाक्षत्र समय के दृष्टिकोण से चन्द्रमा लगभग 27.5 दिन ( 27 दिन . 7 घंटे , 43 मिनट और 11.6 सेकेण्ड ) में पुनः उसी स्थिति में होता है । 27.5 दिन की यह अवधि एक नाक्षत्र मास कहलाती है ।
> ज्वार उठने के लिए अपेक्षित सौर एवं चन्द्रमा की शक्तियों का अनुपात 11 : 5 है ।
> ओपोलो के अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा लाए गए चट्टानों से पता चला है कि चन्द्रमा भी उतना ही पुराना है जितना पृथ्वी ( लगभग 460 करोड़ वर्ष ) । इसकी चट्टानों में टाइटेनियम की मात्रा अत्यधिक मात्रा में पायी गयी है ।
बौने ग्रह
यम ( Pluto )
> इसकी खोज 1930 ई ० मे क्लाड टामवो ने की थी ।> अगस्त 2006 की आई ० ए ० यू ० की प्राग सम्मेलन में ग्रह कहलाने के मापदंड पर खरे नहीं उतरने के कारण यम को ग्रह की श्रेणी से अलग कर बौने ग्रह की श्रेणी में रखा गया है ।
> यम को ग्रह की श्रेणी से निकाले जाने का कारण है-
( i ) आकार में चन्द्रमा से छोटा होना
( ii ) इसकी कक्षा का वृत्ताकार नहीं होना
( iii ) वरुण की कक्षा को काटना
> आईएयू ने इसका नया नाम 131340 रखा है ।
सेरस ( Ceres )
> इसकी खोज इटली के खगोलशास्त्री पियाजी ने किया था ।
> आई ए यू की नई परिभाषा के अनुसार इसे वीने ग्रह की श्रेणी में रखा गया है , जहाँ इसे संख्या 1 से जाना जाएगा ।
> इसका व्यास युथ के व्यास का 1/5 भाग है । अन्य बौने ग्रह है चेरॉन एवं 2003 UB 313 ( इरिस ) ।
लघु सौरमंडलीय पिंड
क्षुद्र ग्रह ( Asteroids ) : मंगल एवं बृहस्पति ग्रह की कक्षाओं के बीच कुछ छोटे छोटे आकाशीय पिंड है जो सूर्य की परिक्रमा कर रहे हैं , उसे क्षुद्र ग्रह कहते हैं । खगोलशास्त्रियों के अनुसार ग्रहों के विस्फोट के फलस्वरूप टूटे टूकड़ों से क्षुद्र ग्रह का निर्माण हुआ है ।
> क्षुद्र ग्रह जब पृथ्वी से टकराता है , तो पृथ्वी के पृष्ठ पर विशाल गर्त बनता है । महाराष्ट्र में लोनार झील ऐसा ही एक गर्त है ।
> फोर वेस्टा एकमात्र क्षुद्र ग्रह है जिसे नंगी आँखों से देखा जा सकता है ।
घूमकेतु ( Comet )
सौरमंडल के छोर में अनेक छोटे छोटे पिंड विद्यमान हैं जो धूमकेतु या पुच्छल तारे कहलाते हैं ।
> यह गैस एवं धूल का संग्रह है , जो आकाश में लम्बी चमकदार पूंछ सहित प्रकाश के चमकीले गोले के समान दिखाई देते हैं।
> सौरमंडल के छोर पर बहुत ही छोटे - छोटे अरवों पिंड विद्यमान हैं , जो धूमकेतु या पुच्छल धूमकेतु केवल तभी दिखाई पड़ता है जब वह सूर्य की ओर अग्रसर होता है क्योंकि सूर्य किरणें इसकी गैस को चमकीली बना देती हैं ।
> धूमकेतु की पूँछ हमेशा सूर्य से दूर होता दिखाई देता है । धूमकेतु का परिक्रमण काल 76 वर्ष है , यह अंतिम बार 1986 में दिखाई दिया था । अगली बार यह 1986 +76 = 2062 में दिखाई देगा ।
> धूमकेतु हमेशा के लिए टिकाऊ नहीं होते हैं , फिर भी प्रत्येक धूमकेतु के लौटने का समय गोले के रूप में दिखाई देते हैं ।
> हैले नामक निश्चित होता है ।
उल्का ( Meteors )
> उल्काएँ प्रकाश की चमकीली घारी के रूप में देखते है जो आकाश में क्षणभर के लिए दमकती हैं और लुप्त हो जाती हैं ।
> उल्काएँ क्षुद्र ग्रहों के टुकड़े तथा धूमकेतुओं द्वारा पीछे छोड़े गए घूल के कण होते हैं ।
If you liked the information of this article, then please share your experience by commenting. This is very helpful for us and other readers. Thank you