मुख्य रूप से गाइगर-म्यूलर काउंटर में एक गैस से घिरे इलेक्ट्रोड की एक जोड़ी होती है। इसके इलेक्ट्रोड एक उच्च वोल्टेज पर होते है। आमतौर पर इसमे इस्तेमाल होने वाली गैस हीलियम या आर्गन होती है। जब विकिरण ट्यूब में प्रवेश करती है तो यह गैस को आयनित कर देती है। और ये आयन (इलेक्ट्रॉन) इलेक्ट्रोड्स से आकर्षित होने लगते हैं और आवेशित आयन इलेक्ट्रोडों पर निष्प्रभावी हो जाते हैं,
इसप्रकार इलेक्ट्रोडों पर एक विद्युत प्रवाह उत्पन्न हो जाता है। और ट्यूब में उच्च वोल्टेज ट्यूब के अंदर एक विद्युत क्षेत्र का उत्पादन करता है। एक स्केल विद्युत कंपनों को गिनता रहता है और इसप्रकार जब भी विकिरण गैस को आयनित करती है तो एक "गणना" प्राप्त हो जाती है।
गाइगर-म्यूलर काउंटर के भाग : Parts of the Gaiger-Müller counter
गाइगर-म्यूलर काउंटर में दो भाग होते हैं,
1. ट्यूब 2.(counter + power supply)
गाइगर-म्यूलर ट्यूब आमतौर पर बेलनाकार होती है, जिसमें केंद्र के नीचे एक तार लगा होता है। दूसरे भाग (counter + power supply) में वोल्टेज नियंत्रण और टाइमर विकल्प होते हैं। तथा सिलेंडर को एक उच्च वोल्टेज रखा जाता है।
गाइगर-म्यूलर काउंटर की क्षमता: Capacity of Gaigar-Mular counter
ε ≡ number of particles of radiation detected/number of particles of radiation emitted.
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गाइगर-म्यूलर काउंटर के उपयोग करने के लाभ : Benefits of using the Gaigar-Müller counter
a) ये अपेक्षाकृत सस्ता हैं।b) ये टिकाऊ और आसानी से पोर्टेबल होता हैं।
c) इससे सभी प्रकार के विकिरण का पता लगा सकता हैं।
गाइगर-म्यूलर काउंटर के उपयोग करने के नुकसान : Disadvantages of using the Gaiger-Muller counter
a) यह अंतर नहीं कर सकता कि किस प्रकार के विकिरण का पता लगाया जा रहा है।b) इसका उपयोग विकिरण का पता लगाने के लिए सटीक ऊर्जा निर्धारित करने के लिए नहीं किया जा सकता है।
c) इसकी दक्षता बहुत कम है।
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