प्रश्न क्र. 1 सही विकल्प का चयन कीजिए
अ - जल का मोलर द्रव्यमान है
( a ) 5
( b ) 18
( C ) 3
( d ) 10
उत्तर: 18
ब - इनमे से कोन सा ऊर्जा स्तर ( कोश ) नाभिक से दर होगा
( a ) M
( b ) N
( c ) O
( d ) K
उत्तर: K
स- इनमे में से किसका आयनन विभव न्यूनत्म होगा
( a ) Li
( b ) Na
( c ) K
( d ) Rb
उत्तर: Rb
द- N , की आबन्ध कोटि
( a ) 3
( b ) 2
( c ) 1
( d ) 0
उत्तर: 3
ई . Li द्वितीय समुह के किस धातु से से समानता रखता हैं ।
( a ) Be
( b ) Mg
( c ) Ca
( d ) Ra
उत्तर: Mg
प्रश्न क्र 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
अ) - L = 10 की घात 3 dm3 ।
ब) - द्विगंशी क्वांटम संख्या ( एल ) के प्रत्येक मान के लिए m का मान .... ( -1....से....+1 ) होगा ।
स)- BF3, की आणण्विक ज्यामिती .......( त्रिकोणीय समतल )होती हैं ।
द)- भारी जल का सूत्र .........( D2O) हैं ।
ई)- NaH .......( लवणीय ) प्रकार का हायड्राइड हैं ।
प्रश्न क्र 3 - सही जोड़ियाँ बनाइए
A B
¡ ताप अ - उभयधर्मी
ii- उत्कृष्ट गेसें ब - वर्ग 1
iii - S ब्लॉक स - केल्विन
iv - हायड्रोजन द - वर्ग 1 व 2
v- जल ई - वर्ग -0
उत्तर:
¡ ताप स - केल्विन
ii- उत्कृष्ट गेसें ई - वर्ग -0
iii - S ब्लॉक द - वर्ग 1 व 2
iv - हायड्रोजन ब - वर्ग 1
v- जल अ - उभयधर्मी
प्रश्न क्र. 4 एक शब्द / वाक्य मे उत्तर दीजिए .
अ- पहली बोर त्रिज्या का मान क्या होता है ।
उत्तर: पहली बोर त्रिज्या का मान (a0) = 5.29177210903(80)×10−11 m.
ब- आवर्त सारणी में वर्ग किसे कहते हैं , आवर्त सारणी में कितने वर्ग हैं ।
उत्तर: आवर्त सारणी में ऊर्ध्वाधर स्तंभों ( खड़े खानों ) को वर्ग कहते हैं। और आवर्त सारणी में कुल 18 वर्ग हैं ।
स- CH4 में किस प्रकार का संकरण पाया जाता हैं ।
उत्तर: CH 4 में कार्बन का Sp 3 संकरण होता है
द - बर्फ की संरचना किस प्रकार की होती हैं ।
उत्तर: बर्फ आम तौर पर ठोस, मिश्रित क्रिस्टल जैसी संरचना में होता है। और बर्फ जल की ठोस अवस्था होती है।
ई - वर्ग एक के तत्वो को क्षार धातु क्यों कहते हैं ।
उत्तर: वर्ग 1 के सभी तत्व गैर मुक्त तत्व के रूप में प्राकृतिक रूप से लवण में पाए जाते हैं। और साथ ही ये सभी धातु लवण क्षारीय गुण वाले होते हैं । इसीलिए वर्ग 1 के तत्त्वों को क्षारीय धातु कहते हैं।
प्रश्न क्र 5. मोलरता की परीभाषा लिखिए
उत्तर: मोलरता की परीभाषा - एक लीटर विलयन में उपस्थित विलेय के ग्राम अणुओ की संख्या ही उस विलयन की मोलरता कहलाती है।
अथवा : पदार्थ A के 4 ग्राम को 18 ग्राम जल में विलियन बनाया गया । विलियन का द्रव्यमान प्रतिशत ज्ञात कीजिए
उत्तर: कुछ समय बाद उत्तर आएगा
प्रश्न क्र 6. हाइड्रोजन के समस्थानिक प्रोटियम , ट्रीयटियम मे न्यूट्रॉन की संख्या लिखिए
उत्तर: प्रोटियम हाइड्रोजन का सबसे प्रचुर मात्रा में उपलब्ध समस्थानिक होता है। इसमें मात्र एक प्रोटॉन ही होता है और न्यूट्रॉन अनुपस्थित होता है। यह मूल रूप से हाइड्रोजन परमाणु होता है।
ट्राइटियम हाइड्रोजन का एक रेडियोधर्मी समस्थानिक होता है। इसे ट्राइटॉन भी कहते हैं। ट्राइटियम के नाभिक में एक प्रोटॉन और दो न्यूट्रॉन होते हैं,
अथवा पोटेशियम , रूबिडियम के ईलेक्ट्रानिक विन्यास लिखिए
उत्तर: पोटैशियम का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
1s2, 2s2 2p6, 3s2 3p6, 4s1 होता है।
रूबिडियम का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
1s2 2s2 2p6 3s2 3p6 3d10 4s2 4p6 5s1 होता है।
प्रश्न क्र 7 - वर्ग 2 में कितने तत्व हैं उनके नाम लिखिए ।
उत्तर: वर्ग 2 में 6 तत्व हैं उनके नाम निम्न प्रकार है-
बेरिलियम (Be),
मैग्नेशियम (Mg),
कैल्शियम (Ca),
स्ट्रॉन्शियम (Sr),
बेरियम (Ba) एवं
रेडियम (Ra) हैं।
अथवा : वर्ग 2 के ऑक्साइड , हेलाइड , हायड्रोऑक्साइड व सल्फेट के सामान्य सूत्र लिखिए ।
प्रश्न क्र 8 - निम्नलिखित के तुईस बिन्दु संरचना बनाइए- CO2 - F2, H2O.
उत्तर: 1. कार्बन डाइऑक्साइड की लुइस संरचना
कार्बन डाइऑक्साइड में कार्बन परमाणु के साथ ऑक्सीजन के दो परमाणु जुड़े होते हैं। कार्बन की परमाणु संख्या 6 होती है और इसके बाहरी कक्ष में चार इलेक्ट्रॉन होते हैं। इसे अष्टक बनाने की लिए चार इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है। ऑक्सीजन को केवल 2 इलेक्ट्रॉनों की बाहरी कक्ष में आवश्यकता होती है। इसलिए उसका इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना होगी C की परमाणु संख्या = 6 इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 2, 4 O की परमाणु संख्या = 8 इलेवट्रॉनिक विन्यास = 2, 6
2. F2 की लुइस संरचना
अथवा सिग्मा और पाई बंध मे तीन अंतर लिखिए ।
प्रश्न क्र 9 - क्षार धातु और उनके योगिक बुनसेन ज्वाला मे अभिलक्षाणिक रंग प्रदान करते हैं समझाइए ।
उत्तर:
अथवा क्षार धातु और क्षारीय मृदा धातु की तुतला निम्न बन्दु पर करें-
( i ) - ऑक्सीकरण अवस्था
( ii ) ऑक्साइड के प्रकार
( iii ) हेलाइड की विलयता ।
प्रश्न क्र 10 जल मृदू और कठोर क्यो होते हैं कारण लिखिए ?
उत्तर: कठोर जल एवं मृदु जल : साबुन के साथ झाग बनाने व नहीं बनाने के आधार पर जल दो प्रकार का होता है –
1. मृदु जल (soft water) : वह जल जो साबुन के साथ आसानी से झाग बनाता है , मृदु जल कहलाता है।
2. कठोर जल (hard water) : वह जल जो साबुन के साथ आसानी से झाग नहीं बनाता है , कठोर जल कहलाता है।
जल की कठोरता के कारण
जल में उपस्थित विलयशील Ca (कैल्शियम) और Mg (मैग्नीशियम) लवण जल की कठोरता के कारण होते है।
जल में उपस्थित ये लवण साबुन के साथ अभिक्रिया करके एक अविलेय यौगिक बनाते है जिससे साबुन का अधिकांश भाग जल में उपस्थित लवणों से अभिक्रिया करने में खर्च हो जाता है।
उच्च कार्बन के वसीय अम्लों के Na (सोडियम) लवणों को साबुन कहते है।
उदाहरण : सोडियम स्टियरेट (C18H35NaO2)
सोडियम स्टियरेट निम्न प्रकार से आयनित होता है –
C18H35NaO2 → C17H35COO– + Na+
घुलनशील सोडियम स्टियरेट कठोर जल के साथ अभिक्रिया करके Ca2+ व Mg2+स्टियरेट के रूप अवक्षेपित हो जाता है।
2C17H35COONa + M2+ → (C17H35COO)2M + 2Na+
यहाँ M2+ = Ca2+ व Mg2+ है।
यह कठोर जल धुलाई के लिए उपयुक्त नहीं होता है।
अथवा बर्फ की संरचना समझाइए ।
उत्तर:
प्रश्न क्र. 11- निम्नलिखित को तीन सार्थक अंको तक निकटित कीजिए
( i ) 34.214
( ii ) 10.41047
( iii ) 0.04597
( iv ) 2808
उत्तर: ( i ) 34.126 का तीन सार्थक अंकों तक निकटित = 34.2
( ii ) 10.4107 का तीन सार्थक अंकों तक निकटित = 10.4
( iii ) 0.04597 का तीन सार्थक अंकों तक निकटित = 0.0460
( iv ) 2808 का तीन सार्थक अंकों तक निकटित = 2810
अथवा 18 ग्राम जल मे उपस्थित जल आणुओ की संख्या ज्ञात करें ।
उत्तर :
प्रश्न क्र 12 - हुण्ड के नियम को उदाहरण सहित समझाइए ।
उत्तर: हुण्ड के नियम (Hund's Rule) के अनुसार,
किसी भी कक्षक (ऑर्बिटल) के उपकक्षक में इलेक्ट्रॉन पहले एक एक कर भरते हैं, ततपश्चात ही उसका जोड़ा बनना प्रारम्भ होता है। पूर्ण रूप से आधा भरा हुआ या पूरा भरा हुआ ऑर्बिटल पूर्ण रूप से आधे भरे हुए या पूरा भरे हुए ऑर्बिटल से अधिक स्थाई होता है।
हुण्ड का नियम क्रोमियम (Cr) तथा कॉपर (Cu) आदि के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास को सही सही लिखने तथा उसे समझने के काम में मदद करता है।
Cr (क्रोमियम) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronic configuration)
Cr (क्रोमियम) की परमाणु संख्यां (Atomic number) = 24
Cr (क्रोमियम) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronic configuration) = 1s2 2s2 2p6 3s2 3p6 4s1 3d5
या, Cr (क्रोमियम) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronic configuration) : 1s2 2s2 2p6 3s2 3p6 3d5 4s1
[∵ 4s का उर्जा स्तर 3d के उर्जा स्तर से कम है, अत: इलेक्ट्रॉन पहले 4s में जाता है तत्पश्चात 3d ऑर्बाइटल में (Aufbau 's Principle के अनुसार)]
हुंड के नियम के अनुसार Hund's Rule, पूर्ण रूप से आधा भरा हुआ आधे से कम या आधे से अधिक भरे हुए ऑर्बाइटल से ज्यादा स्थाई होता है।
अत: Cr (क्रोमियम) के केस में ऑर्बाइटल को ज्यादा स्थाई बनाने के लिए 4s4s से एक इलेक्ट्रॉन 3d3d में चला जाता है। इस प्रकार 3d3d में इलेक्ट्रॉन की संख्यां 44 से बढ़कर 55 हो जाती है तथा 4s4s से एक इलेक्ट्रॉन 3d3d में चले जाने के कारण 4s4s में इलेक्ट्रॉन की संख्यां 11 हो जाती है।
अत: Cr (क्रोमियम) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास है: [Ar] 4s1 3d5
या, [Ar] 4s1 3d5
या, [Ar] 3d5 4s1
या, 2, 8, 8, 6
Cr (क्रोमियम) का संयोजी इलेक्ट्रॉन (Valence electrons) = बाहरी कक्षा में संयोजी इलेक्ट्रॉन की संख्यां = 6
[∵ अंतिम इलेक्ट्रॉन dd-ऑर्बाइटल में जाता है, अत: Cr (क्रोमियम) एक dd-ब्लॉक element है। dd-ब्लॉक elements के लिए संयोजी इलेक्ट्रॉन (Valence electrons) की गणन dd-ब्लॉक में वर्तमान इलेक्ट्रॉन के साथ की जाती है।]
प्रश्न क्र 13- S ब्लॉक व P ब्लॉक के तत्वों में 4 अंतर लिखिए ।
उत्तर: S और P ब्लॉक तत्वों के बीच अंतर
1. परिभाषा में अंतर:
S ब्लॉक तत्व: S ब्लॉक तत्व ऐसे तत्व होते हैं जो अपने बाहरी इलेक्ट्रॉनों को अपने सबसे बाहरी कक्षीय कक्ष में रखते हैं।
P ब्लॉक तत्व: P ब्लॉक तत्व ऐसे तत्व होते हैं जो अपने सबसे बाहरी पी ऑर्बिटल में वैलेंस इलेक्ट्रॉन होते हैं।
2. ऑक्सीकरण संख्या में अंतर:
S ब्लॉक तत्व: S ब्लॉक तत्वों में 0, +1 या +2 ऑक्सीकरण अवस्थाएं हो सकती हैं।
P ब्लॉक तत्व: पी ब्लॉक तत्व ऑक्सीकरण राज्यों की संख्या -3, 0 से +5 (स्थिर ऑक्सीकरण संख्या) तक भिन्न होते हैं।
3. रासायनिक संबंध में अंतर:
S ब्लॉक तत्व: S ब्लॉक एलिमेंट मेटैलिक बॉन्ड और आयनिक बॉन्ड बनाते हैं।
P ब्लॉक तत्व: P ब्लॉक तत्व सहसंयोजक बंधन या आयनिक बांड (धातुओं के साथ) बनाते हैं।
4. धातु के गुण में अंतर:
S ब्लॉक तत्व: सभी ब्लॉक तत्व धातु हैं।
P ब्लॉक तत्व: अधिकांश p ब्लॉक तत्व अधातु हैं, अन्य धात्विक हैं।
5. वैद्युतीयऋणात्मकता में अंतर:
S ब्लॉक तत्व: S ब्लॉक तत्वों की विद्युतगतिशीलता तुलनात्मक रूप से कम है।
P ब्लॉक तत्व: P ब्लॉक तत्वों की विद्युतगतिशीलता तुलनात्मक रूप से उच्च है।
प्रश्न क्र 14 - सहसंयोजी बन्ध एक उदाहरण सहित परिभाषित कीजिए ।
उत्तर: सहसंयोजी बंध (covalent bond) वह रासायनिक आबंध है जिसमें परमाणुओं के बीच एलेक्ट्रान-युग्मों का सहभाजन (sharing) होता है। सहसंयोजी आबंधन में अनेक प्रकार की पारस्परिक क्रियाएँ (interaction) होते हैं जिनमें से σ-आबन्धन, π-आबन्धन, धातु-धातु आबन्धन आदि प्रमुख हैं।
जब दो परमाणुओं की विधुत ऋणात्मकता के बीच का अंतर शून्य के बराबर होता है तब परमाणुओं के बीच सहसंयोजी बंध अथवा आणविक बंध का निर्माण होता है
उदाहरण:
मीथेन अणु ( CH4 ) का निर्माण : एक कार्बन परमाणु इसके बाह्यतम कोश ( संयोजी कोश ) में चार इलेक्ट्रॉन रखता है । ये इसके संयोजी इलेक्ट्रॉनों का चार H परमाणुओं के साथ सांझा करता है । अत : कार्बन का एक परमाणु चार H परमाणुओं के साथ चार एकल सहसंयोजक बंध बनाता है । मीथेन अणु को चित्र के रूप में प्रदर्शित किया जा सकता है ।
प्रश्न क्र. 15 Be और Mg बुनसन ज्वाला में अभिलाक्षिक रंग प्रदान नहीं करते । कारण समझाइये ?
उत्तर:
अथवा Li अपने समूह के अन्य सदस्यो से प्रबल अपचायक हैं | कारण समझाइए ?
प्रश्न क्र. 16- क्वान्टम संख्या किसे कहते हैं इनके प्रकारों को रागझाइए ।
उत्तर: क्वांटम संंख्याए -
ऐसी संख्या जो किसी परमाणु में उपस्थित इलूक्ट्रान के कोश , उपकोश , कक्षक और इलेक्ट्रॉन कि चक्रण की दिशा को व्यक्त करता है,उसे क्वांटम संंख्याए कहते हैं।
ये चार प्रकार की होती हैं।
1. मुख्य क्वांटम संख्या
2. द्विगंशी क्वांटम संख्या
3. चुम्बकीय क्वांटम संख्या
4. चक्रण क्वांटम संख्या
1. मुख्य क्वांटम संख्या (प्रथम क्वाण्टम सख्या):
यह इलेक्ट्रान कि ऊर्जा नाभिक से दुरी व आकार दशाती है।
मुख्य क्वांटम संख्या इलेक्ट्रान की कक्षा संख्या या कोश संख्या व्यक्त करती है | बोर - सोमरफील्ड माडल के अनुसार n का कोई पूर्णांक मान 1,2,3,4,5,6,7,..... हो सकता है | n=1 को इलेक्ट्रान की पहली कक्षा या K कोश , n = 2 को द्वितीय कक्षा या L कोश तथा n = 3 को इलेक्ट्रान की तृतीय कक्षा या M कोश कहते है |
वैसे n का मान इलेक्ट्रान की कक्षा का आकार तथा उस कक्षा में इलेक्ट्रान की उर्जा बताता है
2. द्विगंशी क्वांटम संख्या (द्वितीयक सख्या):
यह उप ऊर्जा स्तरो की सख्या प्रदर्शित करती है।
यह क्वांटम संख्या इलेक्ट्रान कक्षा की आकृत व्यक्त करती है यहाँ n के किसी मान के लिए l का मान 0 से n-1 तक कुछ भी हो सकता है | यानी की n के किसी मान के लिए l के कुल n मान होते है जिस प्रकार n का मान इलेक्ट्रान की कोश व्यक्त करता है , उसी प्रकार क्वांटम संख्या l का मान इलेक्ट्रान की उपकोश व्यक्त करता है , l=0 का s उपकोश , l=1 का p उपकोश ,l=3 का f उप्कोश ,.........कहते है | इसी प्रकार n=4 के लिए l= 0,1,2,........ होता है यानि n कोश में चार उपकोश क्रमशः s,p, d तथा f होगा | s,p, d तथा f का मान जितना अधिक होता है , इलेक्ट्रान का नाभिक के साथ बंधन उतना ही क्षीण होता है |
3. चुम्बकीय क्वांटम संख्या:
यह जीमन प्रभाव की व्याख्या करती है।
इस क्वांटम संख्या के द्वारा इलेक्ट्रॉनों के चुंबकीय गुण का ज्ञान होता है यह कुछ हद तक आकार एवं विन्यास को प्रदर्शित करता है इसे m से प्रदर्शित करते हैं
4. स्पिन या चक्रण क्वांटम संख्या:
यह + १/२ या -१/२ दर्शाता है। किसी कक्षक मे वामावर्त व दक्षिणावर्त मे होते है। चक्रण क्वांटम संख्या में इलेक्ट्रान न केवल नाभिक के चारो ओर कक्षीय गति करता है , बल्कि अपनी कक्षा के परितः भी घूमता है , यानि चक्रण गति भी करता है
अथवा s , p , d , कक्षकों की आकृति बनाइए
प्रश्न क्र. 17 आयनन एनथेल्पी को परिभाषित करें और इसका वर्ग व आवर्त मे परिवर्तन समझाइए ।
उत्तर: आयनन एन्थैल्पी की परिभाषा
किसी विलगित (आइसोलेटेड) गैसीय अवस्था वाले परमाणु के सबसे शिथिलतः बद्ध इलेक्ट्रान को परमाणु से अलग करने के लिये आवश्यक ऊर्जा, आयनन ऊर्जा ( ionization energy (IE)) या 'आयनन विभव' या 'आयनन एन्थैल्पी' कहलाती है।
जहाँ A(g) किसी रासायनिक तत्त्व का गैसीय अवस्था में स्थित परमाणु है; Ei, आयनन ऊर्जा है जिसको प्रथम आयनन ऊर्जा भी कहते हैं। दूसरे सबसे शिलिलतः बद्ध इलेक्ट्रान को परमाणु से बाहर निकालने के लिये आवश्यक ऊर्जा को द्वितीय आयनन ऊर्जा कहते हैं। द्वितीय आयनन ऊर्जा, प्रथम आयनन ऊर्जा से अधिक होती है।
आययन ऊर्जा को इलेक्ट्रान वोल्ट (eV) में, या 'जूल प्रति मोल' में व्यक्त किया जाता है।
1 eV = 1,6 × 10-19 C × 1 V = 1,6 × 10-19 J
प्रथम आयनन ऊर्जा, एक आवर्ती गुण है। आवर्त सारणी के किसी पिरियड में बायें से दायें चलने पर प्रथम आयनन ऊर्जा का मान बढ़ता है। किसी एक ही समूह में ऊपर से नीचे उतरने पर आयनन ऊर्जा का मान कम होता है। मुख्य ब्लाकों में यह गुण विशेष रूप से दिखायी पड़ता है।
प्रश्न क्र. 18 - क्षार धातु के द्रव अंगोनिया मे विलयेता समझाइए |
उत्तर: क्षार धातुएँ द्रव NH3 में विलेय होती हैं एवं इस विलयन का रंग गहरा नीला होता है। यह विलयन मुक्त इलेक्ट्रॉन के कारण विद्युत का सुचालक होता है।
M + (x + y) NH3+ [M(NH3)x]+ + [e(NH3)y]–
इस विलयन का नीला रंग अमोनीकृत इलेक्ट्रॉन के कारण होता है। ये इलेक्ट्रॉन प्रकाश के दृश्य क्षेत्र की ऊर्जा का अवशोषण करके विलयन को नीला रंग प्रदान करते हैं।
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