कोठारी आयोग या राष्ट्रीय शिक्षा आयोग क्या है ? | Kothari Ayog In Hindi

Ashok Nayak
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कोठारी आयोग या राष्ट्रीय शिक्षा आयोग क्या है ? | Kothari Ayog In Hindi

इस पोस्ट में आप जानेंगे कि कोठारी आयोग या राष्ट्रीय शिक्षा आयोग क्या है ? और इससे संबंधित जानकारी को समझेंगे। 

कोठारी आयोग या राष्ट्रीय शिक्षा आयोग क्या है ? | Kothari Ayog In Hindi

Table of contents (toc)

1964 में, भारत की केंद्र सरकार ने स्कूली शिक्षा प्रणाली को एक नया आकार और नई दिशा देने के उद्देश्य से डॉ. दौलत सिंह कोठारी की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया। इसे कोठारी आयोग के नाम से जाना जाता है। डॉ. कोठारी उस समय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष थे। आयोग ने स्कूली शिक्षा की गहन समीक्षा प्रस्तुत की, जिसे अभी भी भारत में शिक्षा के इतिहास में सबसे गहन अध्ययन माना जाता है। कोठारी आयोग (1964-66) या राष्ट्रीय शिक्षा आयोग भारत में पहला ऐसा शिक्षा आयोग था, जिसने अपनी रिपोर्ट में सामाजिक परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए कुछ ठोस सुझाव दिए।

आयोग ने 29 जून 1966 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसमें 23 सिफारिशें थीं।

कोठारी आयोग या राष्ट्रीय शिक्षा आयोग के सुझाव

  • समान पाठयक्रम के जरिए बालक-बालिकाओं को विज्ञान व गणित की शिक्षा दी जाय। दरअसल, समान पाठयक्रम की अनुशंसा बालिकाओं को समान अवसर प्रदान करती है।
  • 25 प्रतिशत माध्यमिक स्कूलों को ‘व्यावसायिक स्कूल’ में परिवर्तित कर दिया जाए।
  • सभी बच्चों को प्राइमरी कक्षाओं में मातृभाषा में ही शिक्षा दी जाय। माध्यमिक स्तर (सेकेण्डरी लेवेल) पर स्थानीय भाषाओं में शिक्षण को प्रोत्साहन दिया जाय।
  • 1 से 3 वर्ष की पूर्व प्राथमिक शिक्षा दी जाए
  • 6 वर्ष पूरे होने पर ही पहली कक्षा में नामांकन किया जाए
  • पहली सार्वजनिक परीक्षा 10 वर्ष की विद्यालय शिक्षा पूरी करने के बाद ही हो
  • विषय विभाजन कक्षा नौ के बदले कक्षा 10 के बाद हो
  • उच्च शिक्षा में 3 या उससे अधिक वर्ष का स्नातक पाठ्यक्रम हो और उसके बाद विविध अवधि के पाठ्यक्रम हों
  • माध्यमिक विद्यालय दो प्रकार के होंगे, उच्च विद्यालय और उच्चतर विद्यालय।
  • कॉमन स्कूल सिस्टम लागू किया जाए तथा स्नातकोत्तर तक की शिक्षा मातृभाषा में दी जाए
  • शिक्षक की आर्थिक, सामाजिक व व्ययसायिक स्थिति सुधारने की सिफारिश की।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (1986)

भारत की पहली राष्ट्रीय शिक्षा नीति 24 जुलाई 1986 को घोषित की गई थी। यह पूरी तरह से कोठारी आयोग की रिपोर्ट पर आधारित थी।  सामाजिक दक्षता, राष्ट्रीय एकता और समाजवादी समाज की स्थापना का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसमें शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन करके 10+2+3 प्रणाली का विकास, संपर्क भाषा के रूप में हिंदी का विकास, शिक्षा के अवसरों की समानता के प्रयास, विज्ञान और तकनीकी शिक्षा पर जोर दिया और नैतिक और सामाजिक मूल्यों का विकास शामिल था ।

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