प्रथम आंतरिक मूल्यांकन 2020-21 कक्षा 8 विषय - हिंदी पूरा हल [First Internal Exams 2020-21 class 8 hindi solution]

Ashok Nayak
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First Internal Exams 2020-21 class 8 Subject hindi solution: दोस्तों यदि आप कक्षा 8 वीं के प्रथम आंतरिक मूल्यांकन - 2020-21 का हल

First Internal Exams 2020-21 class 8 Subject hindi solution:
 दोस्तों यदि आप कक्षा 8 वीं के प्रथम आंतरिक मूल्यांकन - 2020-21 का हल खोज रहे हैं तो आप बिलकुल सही जगह पर पहुंच चुके हैं। यहाँ हमने प्रथम आंतरिक मूल्यांकन - 2020-21 कक्षा 8 विषय हिंदी पूरा हल प्रस्तुत किया है। इस पोस्ट का उद्देश्य केवल विद्यार्थियों में डिजिटल लर्निंग की रुचि बढ़ाना है। हम नकल या चोरी के सख्त खिलाफ है। 


प्रश्न .1 सही विकल्प चुनिये - 

( 1 ) वर दे कविता के रचियता कौन है।

( अ ) सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ( ब ) जयशंकर प्रसाद 

( स ) गिरधर ( द ) इनमें से कोई नहीं 

उत्तर: ( अ ) सूर्यकांत त्रिपाठी निराला


( 2 ) वृक्ष का पर्यायवाची शब्द है - 

( अ ) कानन ( ब ) तरू 

( स ) गिरि ( द ) चक्षु 

उत्तर: ( ब ) तरू 


( 3 ) तानसेन के गुरू कौन थे ।

( अ ) बैजू बावरा ( ब ) स्वामी हरिदास 

( स ) मानसिंह तोमर ( द ) पं . विष्णु दिगम्बर 

उत्तर: ( ब ) स्वामी हरिदास 


( 4 ) तुलसीदास की भक्ति नि.लि. में से किस भाव की है । 

( अ ) सखा भाव ( ब ) दासभाव 

( स ) मित्र भाव ( द ) गुरू भाव 

उत्तर: ( ब ) दासभाव 


( 5 ) नि.लि. रचनाकारों में से किसका संबंध राजस्थान से है

( अ ) सूर ( स ) मीरा

( ब ) तुलसी ( घ ) रहीम 

उत्तर: ( स ) मीरा


प्रश्न .2 सत्य / असत्य लिखिये 

( 1 ) रचना की दृष्टि से वाक्य तीन प्रकार के हैं ।

उत्तर: सत्य

( 2 ) भेड़ाघाट के लेखक माखनलाल चतुर्वेदी हैं । 

उत्तर: सत्य

( 3 ) कमल का पर्यायवाची जलद है । 

उत्तर: असत्य

( 4 ) लेखक से मुफ्तानंद ने कालिदास ग्रंथावली मांगी । 

उत्तर: सत्य

( 5 ) मुखिया शब्द में ईया प्रत्यय है । 

उत्तर: सत्य


प्रश्न .3 नि.लि. मुहावरों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिये । 

( 1 ) अंधे की लाठी मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

उत्तर: 

अर्थ: एक मात्र सहारा

प्रयोग: विकास अपने बड़े पिता के लिए अंधे की लाठी के समान है।

( 2 ) घी के चिराग जलाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

उत्तर: 

अर्थ: कार्य सिद्ध होने पर आनंद मनाना, प्रसन्न होना।

प्रयोग: बोर्ड परीक्षा में प्रथम आने पर कोमल के घर में सबने घी के दिए जलाये।

( 3 ) लोहा मानना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

उत्तर: 

अर्थ: महत्त्व या श्रेष्ठता स्वीकार करना।

प्रयोग: वह ऐसे प्रतिभावान थे कि अच्छे-अच्छे विद्वान उनका लोहा मानते थे

( 4 ) अक्ल का दुश्मन मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

उत्तर: 

अर्थ: मूर्ख, बेवकूफ़ी के काम करने वाला

प्रयोग: तुम उसे कितना भी समझाओ, वह समझने वाला नहीं वह अक्ल का दुश्मन जो है।

( 5 ) सीधे मुँह बात न करना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

उत्तर: 

अर्थ: घमंड करना

प्रयोग: जब से अर्पित विदेश से लौटा है वह किसी से सीधे मुँह बात नहीं करता।


प्रश्न .4 नि.लि. प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिये 

( 1 ) वेद कितने प्रकार के होते हैं नाम लिखिये ।

उत्तर: वेद चार प्रकार के होते है। 

चार वेदों के नाम है -ऋग्वेद,यजुर्वेद,सामवेद और अथर्वेद।

( 2 ) पाषाण युग किसे कहते हैं । 

उत्तर: पाषाण युग इतिहास का वह काल है जब मानव का जीवन पत्थरों (संस्कृत - पाषाणः) पर अत्यधिक आश्रित था। इसके तीन चरण माने जाते हैं, पुरापाषाण काल, मध्यपाषाण काल एवं नवपाषाण काल जो मानव इतिहास के आरम्भ (25 लाख साल पूर्व) से लेकर काँस्य युग तक फैला हुआ है।

( 3 ) आहार कितने प्रकार का होता है । 

उत्तर: आहार – आज के युग में सभी प्रकार के भोजन में मिलावट की चीजें आ गई हैं। जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है जिस प्रकार मानव जीवन हवा पर निर्भर करता है। उसी प्रकार भोजन भी मनुष्य को जीवित रखने के लिए जरूरी है। तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आहार के कितने प्रकार होते हैं और संतुलित भोजन क्या है।

आहार के प्रकार

  1. सात्विक
  2. राजसिक
  3. तामसिक


( 4 ) पद्मासन से होने वाले लाभ लिखिये । 

उत्तर: पद्मासन होने वाले लाभ

  1. पद्मासन में बैठने से शरीर की ऐसी स्थिति बनती है जिससे श्वसन तंत्र, ज्ञानतंत्र और रक्ताभिसरणतंत्र सुव्यवस्थित ढंग के कार्य कर सकते हैं। 
  2. पद्मासन के अभ्यास से उत्साह में वृद्धि होती है। स्वभाव में प्रसन्नता बढ़ती है। मुख तेजस्वी बनता है। बुद्धि का अलौकिक विकास होता है। चित्त में आनन्द-उल्लास रहता है। चिन्ता, शोक, दुःख, शारीरिक विकार दब जाते हैं। 
  3. श्रम और कष्ट रहित एक घण्टे तक पद्मासन पर बैठने वाले व्यक्ति का मनोबल खूब बढ़ता है। 
  4. कुष्ठ, रक्तपित्त, पक्षाघात, मलावरोध से पैदा हुए रोग, क्षय, दमा, हिस्टीरिया, धातुक्षय, कैन्सर, उदरकृमि, त्वचा के रोग, वात-कफ प्रकोप, नपुंसकत्व, वन्धव्य आदि रोग पद्मासन के अभ्यास से नष्ट हो जाते हैं। 
  5. पद्मासन में बैठने से भूख खुलती है, भोजन सरलता से पचता है, जल्दी थकान नहीं होती। स्मरणशक्ति एवं आत्मबल में वृद्धि होती है।


( 5 ) मोहनदास की माँ को बरसात के दिनों में अक्सर भूखा क्यों रहना पड़ता था । 

उत्तर: मोहनदास की माँ सूर्यदर्शन के बाद ही भोजन ग्रहण करती थीं। परंतु बरसात के समय कई दिनों तक सूर्य के दर्शन नही होते थे। इसलिए मोहनदास की माँ को बरसात के दिनों में अक्सर भूखा रहना पड़ता था । 

प्रश्न .5 नि.लि. प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिये । 

( 1 ) संगीत की महिमा अपने शब्दों में व्यक्त कीजिये । 

उत्तर: संगीत की महिमा अनन्त है। संगीत में मौजूद शास्त्रीयता से साधना को महत्त्व दिया जाता है। संगीत में विद्यमान मधुरता से हमें आत्मिक शान्ति मिलती है तथा जीवन को जीने की उमंग व उत्साह भी उत्पन्न होता है। गीतों को संगीत में डालकर मनुष्य के पैर अपने आप ही थिरक उठते हैं। मनुष्य में करुणा का भाव पैदा हो जाता है जिससे उसकी आँखों से अनायास ही आँसू बह उठते हैं। यही संगीत का सामाजिक महत्त्व व प्रभाव है।

( 2 ) आर्यभट्ट को प्राचीन भारतीय विज्ञान का सबसे चमकीला सितारा क्यों कहा जाता है । 

उत्तर: आर्यभट्ट दक्षिणापथ में गोदावरी तट क्षेत्र में अश्मक जनपद के रहने वाले थे, बाद में ये अश्मकाचार्य के नाम से प्रसिद्ध हुए। आर्यभट्ट बचपन से ही तेजबुद्धि थे। वे गणित और ज्योतिष. के अध्ययन में गहरी रुचि लेते थे। वे इन दोनों विषयों-गणित और ज्योतिष के अध्ययन के लिए अश्मक जनपद से पाटलिपुत्र पहुँचे। इन दोनों स्थानों के मध्य की दूरी हजारों मील थी। आर्यभट्टआँख मूंदकर पुरानी गलत बातें नहीं मानते थे। वे सदा ही अपनी विचारधारा को बिना किसी डर के और बिना झिझक के प्रस्तुत कर देते थे। ग्रहण सम्बन्धी बात ही नहीं, दूसरी भी आकाशीय घटनाओं के सम्बन्ध में स्वतन्त्रतापूर्वक अपने विचार रखते थे। वे एक साहसी ज्योतिषी वैज्ञानिक थे। उन्होंने पृथ्वी की गति के बारे में अपने विचार खुलकर सबके सामने रखे थे। वे सबसे पहले ज्योतिषी थे जिन्होंने स्पष्ट रूप से अपने शब्दों में कहा कि पृथ्वी स्थिर नहीं है। यह अपनी धुरी पर चक्कर लगाती है। स्थिर तो आकाश का तारामण्डल है। इसके अतिरिक्त आर्यभट्ट ने हमारे देश में गणित और ज्योतिष के अध्ययन की एक नई स्वस्थ परम्परा शुरू की। इसलिए आर्यभट्ट को प्राचीन भारतीय विज्ञान का सबसे चमकीला सितारा कहा जाता है।

( 3 ) लेखिका की दृष्टि में डॉ . चन्द्रा सामान्य जनों से किन बातों में भिन्न थी । 

उत्तर: डॉ. चन्द्रा सामान्य जनों से अनेक बातों में भिन्न थीं। वे असामान्य रूप से शारीरिक अक्षमता व रोग से पीड़ित थीं। उनके शरीर का निचला धड़ निष्प्राण मांस पिण्ड मात्र था फिर भी वे सदा उत्फुल्ल रहती थीं। उनके चेहरे पर विषाद की कोई रेखा भी नहीं दिखती थी। उनमें अदम्य साहस और उत्कट जिजीविषा थी। उनके मुखमण्डल पर बुद्धि की दीप्तता झलकती थी। उनका व्यक्तित्व अनेक महत्त्वाकांक्षाओं से परिपूर्ण था। उन्हें अपने शरीर की अपंगता से बेचैनी नहीं थी।


उनमें अद्भुत साहस भरा था। उन्होंने अपनी थीसिस पर डॉक्टरेट की उपाधि ग्रहण की। वे कभी भी किसी से सामान्य-सा सहारा नहीं चाहती थीं। उन्होंने अपनी विलक्षणता से एम. एस-सी. में प्रथम स्थान प्राप्त करके बंगलौर (बंगलूरु) के प्रसिद्ध इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में अपने लिए स्पेशल सीट अर्जित की और बाद में शोधकार्य भी किया। राष्ट्रपति से गर्ल गाइड में स्वर्ण कार्ड पाने वाली प्रथम अपंग बालिका थी। उसमें संगीत के प्रति भी रुचि थी।


( 4 ) लेखक ने कबीर का रहस्यवाद किस संदर्भ में कहा है ।

उत्तर: आचर्य रामचंद्र शुक्ल के शब्दों में “कबीर की वाणी में स्थान स्थान पर भावात्मक रहस्यवाद की जो झलक मिलती है, वह सूफियों के सत्संग का प्रसाद है.” सूफी कवि भी किसी एक परोक्ष ईश्वर को अपने प्रेय का आलंबन बनाते हैं और प्रेम के रहस्यवादी साधना में प्रवृत्त होते हैं. वह परोक्ष शक्ति दिव्य और अलौकिक रूप वाली है.

( 5 ) जहाज का पंछी किस बात का प्रतीक है । 

उत्तर: ‘जहाज का पक्षी’ भगवान कृष्ण रूपी जहाज पर स्थल के दूर या समीप होने की जानकारी देने वाला पक्षी रूप भक्त है। जिस तरह समुद्र से यात्रा करने वाले जहाज से जमीन किधर है और कितनी दूर है, इसकी जानकारी लेने के लिए पक्षियों को छोड़ा जाता था। जब जमीन कहीं नहीं दीखती और जमीन पक्षियों की पहुँच से बाहर होती थी, तो पक्षी लौटकर जहाज पर ही आ जाते थे। यदि जमीन दूर या समीप होती, तो पक्षी उसी दिशा में उड़ते हुए चले जाते थे और वह जमीन ही उनकी शरण स्थल बन जाती थी। नाविक भी जहाज को उसी दिशा में खेने लग जाते थे। उस जमीन पर जाकर जहाज अपना लंगर डाल देता था। यह उस समय होता था जब कुतुबनुमा आदि दिशासूचक यन्त्रों का आविष्कार नहीं हुआ था। इस पद में कवि ने अपने आपको जहाज के पक्षी के (भक्त) रूप में चित्रित किया है जो बार-बार सभी ओर से निराश होकर श्रीकृष्ण के चरणों रूपी जहाज पर शरण प्राप्त करता है।


प्रश्न .6 पर्यायवाची शब्द लिखिये । 

( 1 ) चंद्रमा का पर्यायवाची

उत्तर: चाँद, चंद्र, हिमांशु, सुधांशु

( 2 ) आँख का पर्यायवाची

उत्तर: अक्षि, अंबक, ईक्षण, चक्षु

( 3 ) पृथ्वी का पर्यायवाची

उत्तर: भू, धरणी, वसुंधरा, अचला

( 4 ) जल का पर्यायवाची

उत्तर: पानी, अंबु, नीर, सलिल

( 5 ) पर्वत का पर्यायवाची

उत्तर: पहाड़, गिरि, अचल, भूमिधर


प्रश्न .7 अलंकार की परिभाषा उदाहरण व भेदों के नाम लिखिए |

 उत्तर: अलंकार दो शब्दों से मिलकर बना होता है – अलम + कार। यहाँ पर अलम का अर्थ होता है ‘ आभूषण।’ मानव समाज बहुत ही सौन्दर्योपासक है उसकी प्रवर्ती के कारण ही अलंकारों को जन्म दिया गया है। जिस तरह से  एक नारी अपनी सुन्दरता को बढ़ाने के लिए आभूषणों को प्रयोग में लाती हैं उसी प्रकार भाषा को सुन्दर बनाने के लिए अलंकारों का प्रयोग किया जाता है। अथार्त जो शब्द काव्य की शोभा को बढ़ाते हैं उसे अलंकार कहते हैं।

साहित्यों में रस और शब्द की शक्तियों की प्रासंगिकता गद्य और पद्य दोनों में ही की जाती है परंतु कविता में इन दोनों के अलावा भी अलंकार, छंद और बिंब का प्रयोग किया जाता है जो कविता में विशिष्टता लाने का काम करता है हालाँकि पाठ्यक्रम में कविताओं को अपना आधार मानकर ही अलंकार, छंद, बिंब और रस की विवेचना की जाती है।

उदाहरण :-  ‘भूषण बिना न सोहई – कविता, बनिता मित्त।’


प्रश्न .8 संधि विच्छेद करिये ।

( 1 ) सत्याग्रह 

उत्तर: सत्य + आग्रह ( दीर्घ स्वर संधि )

( 2 ) सदाचार 

उत्तर: सत् + आचार ( व्यंजन संधि )

( 3 ) सम्मान 

उत्तर: सम् + मान ( व्यंजन संधि )

( 4 ) परोपकार 

उत्तर: पर + उपकार ( गुण संधि )


प्रश्न .9 अपने प्रधानाचार्य को एक पत्र लिखिये जिसमें कक्षा नवम् में प्रवेश हेतु अनुरोध किया गया हो । 

उत्तर:

सेवा में, 

श्री प्रधानाचार्य जी, 

हैप्पी टाइम पब्लिक स्कूल, शहडोल, मध्यप्रदेश 484110


विषय: कक्षा नवम् में प्रवेश हेतु आवेदन।


मान्यवर, सविनय निवेदन है कि मेरे पिताजी की मासिक आय बहुत थोड़ी है। घर में हम 3 भाई बहन है। घर का सामान्य खर्च भी बड़ी कठिनाई से चलता है। इस कारण पिताजी मुझे कक्षा नवम् में प्रवेश दिलाने में असमर्थ है। अत: आप छात्र निधि से मुझे कक्षा नवम् में प्रवेश दिलाने की व्यवस्था करने की कृपा करें । मैं अपनी श्रेणी में सदा प्रथम या द्वितीय रहता हूँ। कृपा के लिए आभारी रहूँगा। अग्रिम धन्यवाद सहित। 

आपका आज्ञाकारी 

शिष्य हिमांशु 

(कक्षा 8) 

दिनांक 10 दिसंबर 2020


प्रश्न .10 नि . लि . में से किसी एक विषय पर निबंध लिखिये । 

( 1 ) किसी महापुरूष की जीवनी 

( 2 ) वर्षा ऋतु 

( 3 ) राष्ट्रीय पर्व 

( 4 ) जल संरक्षण 

उत्तर: 
( 1 ) किसी महापुरूष की जीवनी

अटल बिहारी वाजपेयी जीवनी - 

रूपरेखा: 1. प्रस्तावना 2. आरम्भिक जीवन 3. राजनीतिक जीवन 4.प्रधानमंत्री के रूप में अटल का कार्य 5. उपसंहार

प्रस्तावना:
अटल बिहारी वाजपेयी (जन्म:-25 दिसंबर,1924) भारत के पूर्व प्रधानमंत्री हैं। वे पहले 16 मई से 1 जून 1996 तथा फिर 19 मार्च 1998 से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। वे हिन्दी कवि, पत्रकार व प्रखर वक्ता भी हैं। वे भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वाले महापुरुषों में से एक हैं और 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे। वे जीवन भर भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे। उन्होंने लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। 

उन्होंने अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ किया था और देश के सर्वोच्च पद पर पहुँचने तक उस संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया। वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के पहले प्रधानमन्त्री थे जिन्होंने गैर काँग्रेसी प्रधानमन्त्री पद के 5 साल बिना किसी समस्या के पूरे किए। उन्होंने 24 दलों के गठबंधन से सरकार बनाई थी जिसमें 81 मन्त्री थे। कभी किसी दल ने आनाकानी नहीं की। इससे उनकी नेतृत्व क्षमता का पता चलता है।

आरम्भिक जीवन :--

अटल जी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को ब्रह्ममुहर्त में ग्वालियर में हुआ था। मान्यता अनुसार पुत्र होने की खुशी में जहाँ घर में फूल की थाली बजाई जा रही थी तो वहीँ पास के गिरजाघर में घंटियों और तोपों की आवाज के साथ प्रभु ईसामसीह का जन्मदिन मनाया जा रहा था। शिशु का नाम बाबा श्यामलाल वाजपेयी ने अटल रखा था। माता कृष्णादेवी दुलार से उन्हे अटल्ला कहकर पुकारती थीं। 

पिता का नाम पं. कृष्ण बिहारी वाजपेयी था। वे हिन्दी, संस्कृत और अंग्रेजी तीनो भाषा के विद्वान थे। पं. कृष्णबिहारी वाजपेयी ग्वालियर राज्य के सम्मानित कवि थे। उनके द्वारा रचित ईश प्रार्थना राज्य के सभी विद्यालयों में कराई जाती थी। जब वे अध्यापक थे तो डॉ. शिवमंगल सिहं सुमन उनके शिष्य थे। ये कहना अतिश्योक्ति न होगी कि अटल जी को कवि रूप विरासत में मिला है।

राजनीतिक जीवन :--

ग्वालियर के आर्य कुमार सभा से उन्होंने राजनैतिक काम करना शुरू किये, वे उस समय आर्य समाज की युवा शक्ति माने जाते थे और 1944 में वे उसके जनरल सेक्रेटरी भी बने। 1939 में एक स्वयंसेवक की तरह वे राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हो गये। और वहा बाबासाहेब आप्टे से प्रभावित होकर, उन्होंने 1940-44 के दर्मियान आरएसएस प्रशिक्षण कैंप में प्रशिक्षण लिया और 1947 में आरएसएस के फुल टाइम वर्कर बन गये। विभाजन के बीज फैलने की वजह से उन्होंने लॉ की पढाई बीच में ही छोड़ दी। 

और प्रचारक के रूप में उन्हें उत्तर प्रदेश भेजा गया और जल्द ही वे दीनदयाल उपाध्याय के साथ राष्ट्रधर्म (हिंदी मासिक ), पंचजन्य (हिंदी साप्ताहिक) और दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे अखबारों के लिये काम करने लगे. वाजपेयी ने कभी शादी नही की। वे जीवन भर कुवारे ही रहे। अटल बिहारी वाजपेयी भारत के 10 वे पूर्व प्रधानमंत्री है. वे पहले 1996 में 13 दिन तक और फिर 1998 से 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री बने रहे। वे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता है। भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के बाहर के इंसान होते हुए भारत की पांच साल तक सेवा करने वाले वे पहले प्रधानमंत्री थे।

वाजपेयी की राजनैतिक यात्रा की शुरुआत एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में हुई। 1942 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में भाग लेने के कारण वह अन्य नेताओं के साथ गिरफ्तार कर लिए गए। इसी समय उनकी मुलाकात श्यामा प्रसाद मुखर्जी से हुई, जो भारतीय जनसंघ यानी बी.जे.एस. के नेता थे। उनके राजनैतिक एजेंडे में वाजपेयी ने सहयोग किया। 

स्वास्थ्य समस्याओं के चलते मुकर्जी की जल्द ही मृत्यु हो गई और बी.जे.एस. की कमान वाजपेयी ने संभाली और इस संगठन के विचारों और एजेंडे को आगे बढ़ाया। सन 1954 में वह बलरामपुर सीट से संसद सदस्य निर्वाचित हुए। छोटी उम्र के बावजूद वाजपेयी के विस्तृत नजरिए और जानकारी ने उन्हें राजनीति जगत में सम्मान और स्थान दिलाने में मदद की। 1977 में जब मोरारजी देसाई की सरकार बनी, वाजपेयी को विदेश मंत्री बनाया गया।

दो वर्ष बाद उन्होंने चीन के साथ संबंधों पर चर्चा करने के लिए वहां की यात्रा की। भारत पाकिस्तान के 1971 के युद्ध के कारण प्रभावित हुए भारत-पाकिस्तान के व्यापारिक रिश्ते को सुधारने के लिए उन्होंने पाकिस्तान की यात्रा कर नई पहल की। जब जनता पार्टी ने आर.एस.एस. पर हमला किया, तब उन्होंने 1979 में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। सन 1980 में भारतीय जनता पार्टी की नींव रखने की पहल उनके व बीजेएस तथा आरएसएस से आए लालकृष्ण आडवाणी और भैरो सिंह शेखावत जैसे साथियों ने रखी। स्थापना के बाद पहले पांच साल वाजपेयी इस पार्टी के अध्यक्ष रहे।

प्रधानमंत्री के रूप में अटल का कार्य 

जनता के बीच प्रसिद्द अटल बिहारी वाजपेयी अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे। 13 अक्टूबर 1999 को उन्होंने लगातार दूसरी बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की नई गठबंधन सरकार के प्रमुख के रूप में भारत के प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया। वे 1996 में बहुत कम समय के लिए प्रधानमंत्री बने थे। पंडित जवाहर लाल नेहरू के बाद वह पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो लगातार दो बार प्रधानमंत्री बने।

वरिष्ठ सांसद श्री वाजपेयी जी राजनीति के क्षेत्र में चार दशकों तक सक्रिय रहे। वह लोकसभा (लोगों का सदन) में नौ बार और राज्य सभा (राज्यों की सभा) में दो बार चुने गए जो अपने आप में ही एक कीर्तिमान है। भारत के प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री, संसद की विभिन्न महत्वपूर्ण स्थायी समितियों के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता के रूप में उन्होंने आजादी के बाद भारत की घरेलू और विदेश नीति को आकार देने में एक सक्रिय भूमिका निभाई।

अटलजी प्रधानमंत्री के रूप में यक़ीनन बेहद योग्य व्यक्ति रहे हैं और नेहरूजी ने अपने जीवनकाल में ही यह घोषणा कर दी थी तथापि आडवाणी जी को इस बात का श्रेय अवश्य दिया जाना चाहिए कि उन्होंने अटल जी को प्रधानमंत्री के रूप में प्रचारित किया। आडवाणी जी के इस अथक श्रम को निश्चय ही याद किया जाएगा कि उन्होंने अटल जी के लिए समर्थन जुटाया। 

भाजपा की हिन्दुत्ववादी नीति से वोट बटोरने का कार्य भी उन्होंने किया था। राजनीति में स्थायी मित्रता और शत्रुता का कोई भी स्थान नहीं होता। प्रधानमंत्री बनने के बाद अटलजी के सामने सम्पूर्ण देश और उसकी समस्याएँ थीं। वह भाजपा तक सीमित नहीं रह सकते थे। वह संवैधानिक मर्यादा से बंधे हुए थे। 

यों भी अटलजी नैतिक व्यक्ति रहे हैं। इसके अलावा एन. डी. ए. के प्रति भी उनका उत्तरदायित्व था। आडवाणी जी चाहते थे कि राम मन्दिर का मसला सुलझा लिया जाए। लेकिन अटल जी जानते थे कि एन. डी. ए. में शामिल अन्य दल इसके लिए तैयार नहीं होंगे। वह विवादास्पद प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहते थे। वह दूरगामी परिणामों का आकलन कर रहे थे। यही कारण है कि आडवाणी जी के साथ उनके वैचारिक मतभेद हो गए।

अटल जी की दो प्रसिद्ध कविताएं- परिचय और आवाहन के साथ युवा अटल की श्याम-श्वेत छवि वाला राष्ट्रधर्म के प्रथम अंक का मुखपृष्ठ है, इसके पश्चात पाञ्चजन्य के अप्रैल 1950 अंक का मुखपृष्ठ छपा है जिसका संपादन भी अटल जी ने किया था। मुख्य रूप से इस विशेषांक में कुल 96 पृष्ठों में छोटे-बड़े लगभग 40 लेख और 4 कविताएं संकलित हैं। संपादकीय से पूर्व उस समय के शीर्ष साहित्यकार पं. श्रीनारायण चतुर्वेदी को अटल जी द्वारा लिखा पत्र प्रकाशित है। इसके पश्चात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार को समर्पित अटल जी द्वरा रचित कविता है।

संपादक ने अपनी संपादकीय टिप्पणी में अटल जी की प्रतिभा का प्रसंग लेते हुए कहा है- '1957 के सामान्य-निर्वाचन में बलरामपुर (उ.प्र.) क्षेत्र से जीतकर जब अटल जी पहली बार लोकसभा पहुंचे तो सदन में पहली बार बोलते ही प्रधानमंत्री नेहरू जी उनकी वक्तृता से इतने प्रभावित हुए कि जब जॉन फिट्जराल्ड कैनेडी अमरीका के राष्ट्रपति के चुनाव में खड़े हुए, तो उनके साथ वहां की निर्वाचन-प्रणाली को समझने के लिए उन्होंने अपनी पार्टी के किसी सदस्य को भेजने के बजाय जनसंघ के अटल जी को भेजा। शायद नेहरू जी को तभी उस युवक अटल बिहारी वाजपेयी में भारत के भावी प्रधानमंत्री बनने की योग्य-क्षमता की झलक मिल गयी थी।

उपसंहार

2005 से वे राजनीति से संन्यास ले चुके थे और नई दिल्ली में 6-ए कृष्णामेनन मार्ग स्थित सरकारी आवास में रहते थे । 16 अगस्त 2018 को एक लम्बी बीमारी के बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली में श्री वाजपेयी का निधन हो गया। वे जीवन भर भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे।

समाप्त


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