यह एक ऐसा ऑप्शन होता है जिसमें सॉफ्टवेयर या सिस्टम को कण्ट्रोल करने के सारे तरीके मौजूद होते है। कंट्रोल पैनल के फंक्शन की मदद से आप विंडो की सेटिंग और उसमें बदलाव कर सकते है।
Functions Of Control Panel
कंट्रोल पैनल में बहुत सारे फंक्शन होते है। लेकिन इन फंक्शन में से कम ही फंक्शन का इस्तेमाल किया जाता है, तो जानते है इनके बारे में:Device Manager
डिवाइस मैनेजर का प्रयोग कंप्यूटर के इंटरनल हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को आपस में जोड़ने के लिए किया जाता है। जैसे अगर आप अपने कंप्यूटर में माउस लगाते हो तो वह हार्डवेयर है।आपकी विंडो पर उसकी जो Functionality होगी वह एक सॉफ्टवेयर की मदद से होगी। इन दोनों को आपस में जोड़ने का काम डिवाइस मैनेजर करता है।
Devices And Printer
डिवाइस मैनेजर की तरह यह भी हार्डवेयर को और सॉफ्टवेयर को आपस में जोड़ता है। डिवाइस मैनेजर में कंप्यूटर के इंटरनल हार्डवेयर को सॉफ्टवेयर से कनेक्ट किया जा सकता है।इसी तरह इसमें जो एक्सटर्नल हार्डवेयर है जैसे एक्सटर्नल माउस, एक्सटर्नल की-बोर्ड, प्रिंटर, स्कैनर आदि को आप कनेक्ट करते टाइम देख सकते है की उसकी सेटिंग में कोई दिक्कत तो नहीं आ रही है। और यहाँ से सही भी कर सकते है।
File Explorer Option
इसकी मदद से आप अपने कंप्यूटर के सभी फोल्डर की सेटिंग कर सकते है। जैसे आप फोल्डर को डबल क्लिक से ओपन करना चाहते है या सिंगल क्लिक से या फोल्डर को आप नयी विंडो में ओपन करना चाहते है या उसी विंडो में।अगर आप किसी फोल्डर को छुपाना चाहते है या वापस दिखाना चाहते है तो इस ऑप्शन की मदद से कर सकते है। इस ऑप्शन की मदद से आप अपने कंप्यूटर की फाइल्स की भी सेटिंग कर सकते है। अगर आप किसी फाइल की एक्सटेंशन को बदलना चाहे तो आप उसकी एक्सटेंशन को बदल सकते है।
Display
इसमें आप अपने कंप्यूटर की डिस्प्ले का साइज़ कम या ज्यादा कर सकते है, उसे रोटेट कर सकते है। डिस्प्ले को मैग्नीफ़ाइंग की मदद से ज़ूम करके भी देख सकते है। डिस्प्ले की सेटिंग आपको इससे ज्यादा कंप्यूटर की होम स्क्रीन पर मिलेगी।Fonts
यदि आप अपने कंप्यूटर में फ़ोटो एडिटिंग करते है या डिज़ाइनिंग के लिए टेक्स्ट का इस्तेमाल करते है। तो आपको फ़ॉन्ट के बारे में पता होना चाहिए।आपके कंप्यूटर में जितने भी फ़ॉन्ट होते है वो आप इसमें देख सकते है। अगर आप अपने कंप्यूटर में नए फ़ॉन्ट इनस्टॉल करना चाहते है तो इस ऑप्शन से कर सकते है। और उसे वापस से डिलीट भी कर सकते है।
Keyboard
हम जो भी केरैक्टर लिखते है उनकी रिपीट की जो स्पीड होती है उसे हम कम या ज्यादा कर सकते है। की-बोर्ड में ज्यादा बदलाव करने की जरुरत नहीं होती है।Mouse
माउस कंप्यूटर की सबसे आवश्यक डिवाइस होती है। इसके बिना हम कंप्यूटर का कोई भी कार्य नहीं कर सकते। माउस में आपको बटन कॉन्फ़िगरेशन का ऑप्शन मिलता है।जिससे आप अपने माउस के बटन बदल सकते है। मतलब जो काम लेफ्ट क्लिक करता है वह राईट क्लिक करे। और जो काम राईट क्लिक करता है वह लेफ्ट क्लिक करे। तो इसके लिए आपको Switch Primary And Secondary Buttons पर क्लिक करना होगा।
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