नमस्कार दोस्तों ! इस पोस्ट में हमने MP Board Class 10th Hindi Book Navneet Solutions पद्य खंड Chapter 3 प्रेम और सौन्दर्य के सभी प्रश्न का उत्तर सहित हल प्रस्तुत किया है। हमे आशा है कि यह आपके लिए उपयोगी साबित होगा। आइये शुरू करते हैं।
MP Board Class 10th Hindi Navneet Solutions Chapter 3 प्रेम और सौन्दर्य
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. श्रीकृष्ण के हृदय में किसकी माला शोभा पा रही है?
उत्तर: श्रीकृष्ण के हृदय में गुंजाओं की माला शोभा पा रही है।
प्रश्न 2. गोपाल के कुंडलों की आकृति कैसी है?
उत्तर: गोपाल के कुंडलों की आकृति मछली जैसी है।
प्रश्न 3. श्रद्धा का गायन-स्वर किस तरह का है?
उत्तर: श्रद्धा का गायन-स्वर मधुकरी (भ्रामरी) जैसा है।
प्रश्न 4. ‘मधुर विश्रांत और एकान्त जगत का सुलझा हुआ रहस्य’-सम्बोधन किसके लिए है?
उत्तर: यह सम्बोधन मनु के लिए है। श्रद्धा कहती है कि तुम्हें देखकर ऐसा लगता है मानो तुमने संसार के रहस्य को सुलझा लिया है, इसलिए तुम निश्चित होकर बैठे ह
प्रश्न 5. माथे पर लगे टीके की तुलना किससे की है?
उत्तर: माथे पर लगे टीके की तुलना सूर्य से की गयी है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. गोपाल के गले में पड़ी गुंजों की माला की तुलना किससे की गई है?
उत्तर: गोपाल के गले में पड़ी गुंजों की माला की तुलना दावानल की ज्वाला से की गई है।
प्रश्न 2. श्रीकृष्ण के ललाट पर टीका की समानता किससे की गई है?
उत्तर: श्रीकृष्ण के ललाट पर शोभित टीके की समानता सूर्य से की गयी है।
प्रश्न 3. मनु को हर्ष मिश्रित झटका-सा क्यों लगा?
उत्तर: श्रद्धा की वाणी सुनते ही मनु को एक हर्ष मिश्रित झटका लगा और वे मोहित होकर यह देखने लगे कि यह संगीत से मधुर वचन कौन कह रहा है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. पीताम्बरधारी श्रीकृष्ण के सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर: श्याम वर्ण पर पीताम्बर धारण किए हुए श्रीकृष्ण का स्लौन्दर्य ऐसा लग रहा है मानो नीलमणि के पर्वत पर प्रात:कालीन सूर्य की किरणें पड़ रही हैं।
प्रश्न 2. ‘सरतरु की मनु सिन्धु में,लसति सपल्लव डार’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: नायक कहता है कि इस नायिका का झिलमिली नामक आभूषण अपार चमक के साथ झीने पट में झलक रहा है। उसे देखकर ऐसा लगता है मानो कल्प वृक्ष की पत्तों सहित डाल समुद्र में विलास कर रही है।
प्रश्न 3. अरुण रवि मण्डल उनको भेद दिखाई देता हो, छवि धाम का भावार्थ लिखिए।
उत्तर: कवि कहता है कि श्रद्धा का मुख ऐसा सुन्दर दिखाई दे रहा था जैसे सूर्य अस्त होने से पहले छिप गया हो परन्तु जब लाल सूर्य उन नीले मेघों को चीर कर दिखाई देता है तो वह अत्यन्त सुन्दर दिखाई देता है। श्रद्धा के मुख का सौन्दर्य वैसा ही था।
प्रश्न 4. अधोलिखित पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए
(अ) तो पै वारौ उरबसी …………. खै उरबसी समान।
उत्तर: हे चतुर राधिका! सुन, तू तो इतनी सुन्दर है कि तुझ पर मैं इन्द्र की अप्सरा उर्वशी को भी न्योछावर कर दूँ। हे राधा! तू तो मोहन के उर (हृदय) में उरबसी आभूषण के समान बसी हुई है। अतः दूसरों की बात सुनकर तुम मौन धारण मत करो।
(ब) हृदय की अनुकृति ………….. सौरभ संयुक्त।
उत्तर: पूर्ववत्।
व्याख्या-कवि कहता है कि मनु ने वह सुन्दर दृश्य देखा जो नेत्रों को जादू के समान मोहित कर देने वाला था। श्रद्धा उस समय फूलों की शोभा से युक्त लता के समान लग रही थी। श्रद्धा चाँदनी से घिरे हुए काले बादल के समान लग रही थी। श्रद्धा ने नीली खाल का वस्त्र पहन रखा था इस कारण वह बादल के समान दिखाई दे रही थी। किन्तु उसकी शारीरिक कान्ति उसके परिधान के बाहर भी जगमगा रही थी। श्रद्धा हृदय की भी उदार थी और उसी के अनुरूप वह देखने में उदार लग रही थी, उसका कद लम्बा था और उससे स्वच्छन्दता झलक रही थी। वायु के झोंकों में वह ऐसी लगती थी मानो बसन्त की वायु से हिलता हुआ कोई छोटा साल का पेड़ हो और वह सुगन्धि में डूबा हो।
प्रेम और सौन्दर्य काव्य सौन्दर्य
प्रश्न 1. अधोलिखित काव्यांश में अलंकार पहचान कर लिखिए
(अ) धस्यौ मनो हियगढ़ समरू ड्योढ़ी लसत निसान।’
(ब) ‘विश्व की करुण कामना मूर्ति’।।
उत्तर: (अ) उत्प्रेक्षा अलंकार
(ब) रूपक अलंकार।
प्रश्न 2. फिरि-फिरि चित त ही रहतु, टुटी लाज की लाव।
अंग-अंग छवि झऔर में, भयो भौंर की नाव।”
में छन्द पहचान कर उसके लक्षण लिखिए।
उत्तर: इसमें दोहा छन्द है जिसका लक्षण इस प्रकार है-
दोहा-लक्षण-दोहा चार चरण का मात्रिक छन्द है। इसकी प्रत्येक पंक्ति में 24 मात्राएँ होती हैं। पहले तथा तीसरे चरणों में 13-13 मात्राएँ और दूसरे तथा चौथे चरणों में 11-11 मात्राएँ। होती हैं।
प्रश्न 3.संयोग श्रृंगार का एक उदाहरण रस के विभिन्न: अंगों सहित लिखिए।
उत्तर:
संयोग शृंगार :
जहाँ प्रेमी-प्रेमिका की संयोग दशा में प्रेम का अंकन, माधुर्यमय वार्ता, स्पर्श, दर्शन आदि का वर्णन हो वहाँ संयोग श्रृंगार होता है। इसमें स्थायी भाव-रति, विभाव-प्रेमी-प्रेमिका, अनुभाव-परिहास, कटाक्ष, स्पर्श, आलिंगन आदि तथा संचारी भाव-हर्ष, उत्सुकता, मद आदि होते हैं।
अंगों सहित उदाहरण :
“जा दिन ते वह नन्द को छोहरा, या वन धेनु चराई गयी है। मोहिनी ताननि गोधन, गावत, बेनु बजाइ रिझाइ गयौ है।। वा दिन सो कछु टोना सो कै, रसखानि हियै में समाइ गयौ है। कोऊन काहू की कानि करै, सिगरो, ब्रज वीर, बिकाई गयौ है।”
स्पष्टीकरण :
यहाँ पर आश्रय गोपियाँ तथा आलम्बन श्रीकृष्ण हैं। वन में गाय चराना, वंशी बजाना, गाना आदि उद्दीपन हैं। मोहित होना, लोक लज्जा न मानना आदि अनुभाव हैं। ‘स्मृति’ | संचारी भाव है। इस प्रकार रति स्थायी भाव संयोग-शृंगार में परिणत हुआ है।
प्रश्न 4. वियोग श्रृंगार को परिभाषित करते हुए उदाहरण रस के अंगों सहित लिखिए।
उत्तर: वियोग श्रृंगार-जहाँ प्रेमी-प्रेमिका की वियोग दशा में प्रेम का अंकन, विरह वेदना का सरस वर्णन हो वहाँ वियोग श्रृंगार होता है। इसे विप्रलम्भ श्रृंगार भी कहते हैं। इसमें स्थायी भाव-रति, विभाव-प्रेमी-प्रेमिका, अनुभाव-प्रस्वेद, अश्रु, कम्पन, रुदन आदि तथा संचारी भाव-स्मृति, विषाद, आवेग,आदि होते हैं।
अंगों सहित उदाहरण :
“ऊधौ मोहिं ब्रज बिसरत नाहीं।
वृन्दावन गोकुल वन उपवन, सघन कुंज की छाहीं।
प्रात समय माता जसुमति अरु, नन्द देख सुख पावत।
माखन रोटी दह्यौ सजायौ, अति हित साथ खवावत।
गोपी ग्वाल बाल संग खेलत, सब दिन हँसत सिरात॥”
स्पष्टीकरण :
इसमें आश्रय श्रीकृष्ण तथा आलम्बन गोकुल की वस्तुएँ, नन्द किशोर आदि हैं। वृन्दावन, वन उपवन, रोटी, दही आदि उद्दीपन हैं। आँसू मलिनता आदि अनुभाव हैं। स्मृति संचारी भाव है तथा रति स्थायी भाव है।