प्रेमचंद की प्रतिज्ञा उपन्यास का सारांश और समीक्षा

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प्रेमचंद की प्रतिज्ञा उपन्यास का सारांश और समीक्षा इस लेख में हम प्रेमचंद की प्रतिज्ञा उपन्यास का सारांश और समीक्षा प्रस्तुत कर रहे हैं।  ‘प्रतिज्ञा’ उपन्यास विषम परिस्थितियों में घुट घुट कर जी रही भारतीय नारी की विवशताओं और नियति का सजीव चित्रण है। प्रतिज्ञा का नायक विधुर अमृतराय किसी …

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रीतिकाल ( उत्तर मध्यकाल ) क्या है प्रमुख कवि और इस काल की विशेषताएं [Riti kal ke pramukh kavi aur visheshtayen]

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रीति का अर्थ है प्रणाली , पद्धति , मार्ग , पंथ , शैली , लक्षण आदि । संस्कृत साहित्य में ‘रीति’ का अर्थ होता है ‘विशिष्ट पद रचना’ । सर्वप्रथम वामन ने इसे ‘काव्य की आत्मा‘ घोषित किया । यहाँ रीति को काव्य रचना की प्रणाली के रूप में ग्रहण …

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नाटक की परिभाषा , नाटक के तत्व , हिंदी नाटक साहित्य का काल विभाजन – Natak ki paribhasha aur natak ke tatva

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नाटक की परिभाषा नाटक एक ऐसी अभिनय परक विधा है जिसमें सम्पूर्ण मानव जीवन का रोचक एवं कुतूहल पूर्ण वर्णन होता है । यह एक दृश्य काव्य है । इसका आनन्द अभिनय देखकर लिया जाता है । नाटक के प्रमुख तत्व हैं – 1 . कथावस्तु2 . पात्र एवं चरित्र …

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हिन्दी गद्य साहित्य का विकास कैसे हुआ- hindi gaddya sahity ka vikas kaise hua

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हिन्दी गद्य साहित्य का इतिहास  आधुनिक युग गद्य साहित्य के विकास का युग है । वास्तव में गद्य वह वाक्यवद्ध विचारात्मक रचना है , जिसमें हमारी चेष्टाएँ , हमारे मनोभाव , हमारी कल्पनाएँ और हमारी चिन्तनशील मनः स्थितियाँ सुगमतापूर्वक व्यक्त की जा सकती हैं । यही कारण है कि आज …

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