रीतिकाल ( उत्तर मध्यकाल ) क्या है प्रमुख कवि और इस काल की विशेषताएं [Riti kal ke pramukh kavi aur visheshtayen]

रीति का अर्थ है प्रणाली , पद्धति , मार्ग , पंथ , शैली , लक्षण आदि । संस्कृत साहित्य में ‘रीति’ का अर्थ होता है ‘विशिष्ट पद रचना’ । सर्वप्रथम वामन ने इसे ‘काव्य की आत्मा‘ घोषित किया । यहाँ रीति को काव्य रचना की प्रणाली के रूप में ग्रहण …

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नाटक की परिभाषा , नाटक के तत्व , हिंदी नाटक साहित्य का काल विभाजन – Natak ki paribhasha aur natak ke tatva

नाटक की परिभाषा नाटक एक ऐसी अभिनय परक विधा है जिसमें सम्पूर्ण मानव जीवन का रोचक एवं कुतूहल पूर्ण वर्णन होता है । यह एक दृश्य काव्य है । इसका आनन्द अभिनय देखकर लिया जाता है । नाटक के प्रमुख तत्व हैं – 1 . कथावस्तु2 . पात्र एवं चरित्र …

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हिन्दी गद्य साहित्य का विकास कैसे हुआ- hindi gaddya sahity ka vikas kaise hua

हिन्दी गद्य साहित्य का इतिहास  आधुनिक युग गद्य साहित्य के विकास का युग है । वास्तव में गद्य वह वाक्यवद्ध विचारात्मक रचना है , जिसमें हमारी चेष्टाएँ , हमारे मनोभाव , हमारी कल्पनाएँ और हमारी चिन्तनशील मनः स्थितियाँ सुगमतापूर्वक व्यक्त की जा सकती हैं । यही कारण है कि आज …

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