साहित्य जनसमूह के हृदय का विकास है – बालकृष्ण भट्ट कृत [ Sahitya Jan Samuh Ke Hriday Ka Vikash Hai ]
बालकृष्ण भट्ट भारतेंदु युग के प्रतिनिधि निबंधकार हैं जिनके निबंध लेखन में इस युग की सर्वाधिक सृजनात्मक प्रवृत्ति दिखाई पड़ती है । प्रस्तुत निबंध भारतेंदु युग में खड़ी बोली हिन्दी को बाल्यकालीन अवस्था के बावजूद हिन्दी गद्य के सृजनात्मक प्रयोग का प्रारंभिक एवं प्रतिनिधि उदाहरण है । इस निबंध में …