क्या है Blockchain और Blockchain Technology? कैसे काम करती है?
इस पोस्ट में हम बता रहे हैं कि Blockhain के बारे में, ब्लॉकचेन और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या है? यह कैसे काम करता है और यह कितनी सुरक्षित है? आइये जानते ब्लॉकचेन और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के बारे में सब कुछ.
बिटकॉइन क्या है? (What is bitcoin)
Bitcoin: यह एक तरह की क्रिप्टोकरेंसी है। क्रिप्टो करेंसी का मतलब होता है वर्चुअल करेंसी। जो ब्लॉकचैन पर चलता है। बिटकॉइन का नाम पिछले कुछ महीनों से सभी ने सुना ही होगा। आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि साल 2021 जहां देश और दुनिया के लिए मुसीबतों का साल रहा, वहीं दूसरी तरफ बिटकॉइन ने इस साल अपना ऑल टाइम हाई रिटर्न बनाया। बिटकॉइन की कीमत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2010 में 1 बिटकॉइन की कीमत महज 0.06 अमेरिकी डॉलर (करीब 2.85 रुपये) से भी कम थी, लेकिन अब एक बिटकॉइन की कीमत लभभग 60 लाख रुपये है। और यह ब्लॉकचैन की वजह से संभव हुआ है। क्योंकि यह क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन की वजह से बहुत कीमती, सुरक्षित और लोकप्रिय है।
ब्लॉकचेन क्या है? (Blockchain)
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये ब्लॉकचेन है क्या? यह दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला ब्लॉक और दूसरा चेन। ब्लॉक का मतलब है इस टेक्नोलॉजी में बहुत सारे डेटा ब्लॉक्स में डेटा (करेंसी) रखा जाता है. अलग-अलग बॉक्स में करेंसी यानी डेटा होता है और ये एक दूसरे से जुड़े होते हैं। इस तरह डेटा की एक लंबी श्रृंखला बन जाती है। जैसे ही नया डेटा आता है, इसे एक नए ब्लॉक में दर्ज किया जाता है। एक बार जब ब्लॉक डेटा से भर जाता है तो इसे पिछले ब्लॉक में जोड़ दिया जाता है। इसी तरह सभी ब्लॉक एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। और एक चैन का निर्माण होता है.
डेटा क्या है?
प्रत्येक ब्लॉक में डेटा, हैश(hash) और पिछले ब्लॉक का हैश होता है। अब ये तीन चीजें क्या हैं? आइये जानते है। बिटकॉइन ब्लॉकचेन में रहने वाले डेटा में, लेनदेन का विवरण होता है। इसमें सेंडर, रिसीवर और अकाउंट जैसी जानकारियां दर्ज की जाती हैं। इन डेटा ब्लॉकों में, डेटा को क्रिप्टोग्राफी तकनीक के माध्यम से एन्कोड किया जाता है और ये ब्लॉक एक लंबी श्रृंखला बनाने के लिए एक दूसरे से जुड़ते हैं। प्रत्येक ब्लॉक में अपने पिछले ब्लॉक का क्रिप्टोग्राफिक हैश, टाइमस्टैम्प और लेनदेन डेटा होता है। प्रत्येक ब्लॉक अपने अगले ब्लॉक से जुड़ा है।
हैश क्या है?
आप हैश को एक बायोमेट्रिक के रूप में सोच सकते हैं जो सभी के लिए अद्वितीय है। यानी यह एक तरह का कोड होता है। यह आपके अंगूठे के निशान जितना ही अनोखा है। अगर ब्लॉक में कोई बदलाव होता है तो वह हैश कोड बदल जायेगा। सभी ब्लॉक वस्तुतः एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। यह एक तरह की व्यवस्था है जिसमें छेड़छाड़ की कोई गुंजाइश नहीं होती। यदि आप एक ब्लॉक में डेटा बदलते हैं, तो आपको दूसरे ब्लॉक में भी डेटा बदलना होगा और इस प्रकार से पूरी की पूरी चैन ख़राब हो जाएगी।
हैश खोजने के बाद क्या होता है?
जब एक माइनर (miner secures) एक मजबूत हैश ढूंढकर ब्लॉक को सुरक्षित करता है, तो इसे ब्लॉकचैन में जोड़ा जाता है और नेटवर्क में अन्य नोड्स द्वारा सत्यापित किया जाता है। इस प्रक्रिया को सर्वसहमति(consensus) कहा जाता है।
सर्वसहमति(consensus) बनने के बाद क्या होता है?
यदि आम सहमति बन जाती है, तो ब्लॉक के सुरक्षित होने की पुष्टि हो जाती है। यदि यह सही पाया जाता है, तो इसे सुरक्षित करने वाले माइनर को क्रिप्टोकॉइन दिया जाता है। यह एक इनाम है जिसे काम का सबूत माना जाता है।
क्रिप्टो खनन (माइनिंग) क्या है?
क्रिप्टोग्राफ़ी के माध्यम से ख़रीदना क्रिप्टोक्यूरेंसी माइनिंग कहलाता है क्योंकि डेटाबेस में हर जानकारी को डिजिटल रूप से बनाना होता है। यह खनन (माइनिंग) करने वालों को खनिक (माइनर) कहा जाता है।
क्या इसे हैक किया जा सकता है या इसके साथ छेड़छाड़ की जा सकती है?
ब्लॉकचैन का उपयोग न केवल बिटकॉइन जैसी मुद्रा में, बल्कि कई अन्य क्षेत्रों में भी किया जा सकता है। यह एक सुरक्षित, और विकेंद्रीकृत ( safe and decentralized ) तकनीक है जिसे हैक करना या छेड़छाड़ करना लगभग असंभव है। लेकिन हैकर्स कुछ भी कर सकते हैं।
ब्लॉकचेन तकनीक क्या है?
यह एक तरह की एक्सचेंज प्रोसेस है। जो डाटा ब्लॉक पर चलता है। प्रत्येक ब्लॉक एन्क्रिप्शन द्वारा सुरक्षित है क्योंकि ये ब्लॉक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। यह बहुत पुरानी तकनीक है। इसे पहली बार 1991 में स्टुअर्ट ह्यूबर और डब्ल्यू स्कॉट स्टोर्नेटो द्वारा अपनाया गया था। इसकी तकनीक का मुख्य उद्देश्य डिजिटल दस्तावेजों को टाइमस्टैम्प करना था, ताकि इसमें किसी भी तरह से छेड़छाड़ न की जा सके। इसके बाद 2009 में सातोशी नाकामोतो ने ब्लॉकचेन का इस्तेमाल कर बिटकॉइन का आविष्कार कर दुनिया में क्रांति ला दी।
बिटकॉइन और ब्लॉकचेन में क्या अंतर है?
ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी और बिटकॉइन दोनों में जमीन और आसमान में अंतर है। यानी दोनों बिल्कुल अलग हैं। दरअसल, ब्लॉकचैन एक तकनीक है, एक ऐसा प्लेटफॉर्म जहां न सिर्फ डिजिटल करेंसी बल्कि किसी भी चीज को डिजिटाइज किया जा सकता है और उसका रिकॉर्ड रखा जा सकता है। यानी ब्लॉकचेन एक डिजिटल लेज़र है। वहीं, बिटकॉइन एक डिजिटल माध्यम है, जिसके जरिए कुछ चीजों को बेचा और खरीदा जा सकता है। हालांकि इसे मुद्रा कहना गलत है, क्योंकि वास्तविक दुनिया में इसका कोई अस्तित्व नहीं है। हालांकि, बिटकॉइन क्रिप्टोकरेंसी का सिर्फ एक उदाहरण है; अन्य क्रिप्टोक्यूरेंसी नेटवर्क भी ब्लॉकचेन तकनीक द्वारा संचालित होते हैं।
अन्य देशों में क्रिप्टोकरेंसी की स्थिति क्या है?
चीन और थाईलैंड जैसे देशों में क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग पर बैन है। जब चीन ने प्रतिबंध लगाया, तो बिटकॉइन की दरें तेजी से गिर गईं। उसके बाद अब इसे थाईलैंड में भी बैन कर दिया गया है। थाई सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) ने अत्यधिक सट्टेबाजी के बारे में चिंताओं के कारण क्रिप्टोक्यूरैंक्स और अपूरणीय टोकन (एनएफटी) पर प्रतिबंध लगा दिया है।
चीन ने कोयला या पनबिजली से समृद्ध कम से कम पांच प्रांतों या क्षेत्रों में परिचालन बंद करके क्रिप्टो खनन पर सख्त रुख अपनाया है। इसके पीछे कारण है कि ऐसा चीन की अपनी पर्यावरण नीति की वजह से किया गया है। हालाँकि भारत में क्रिप्टोकरेंसी कानूनी या प्रतिबंधित होगी। इस पर सरकार ने अभी तक खुलकर कुछ नहीं कहा है.
ब्लॉकचेन बच्चों की शिक्षा में कैसे मदद कर सकता है?
शिक्षा में ब्लॉकचेन के संभावित उपयोग के बारे में कुछ समय से अटकलें लगाई जा रही हैं। 92% शिक्षकों का कहना है कि छात्रों के सीखने और एक-दूसरे के साथ बातचीत करने के तरीके पर प्रौद्योगिकी का बड़ा प्रभाव पड़ता है। उन तकनीकों में से एक जिसने सीखने की प्रक्रिया को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है वह है ब्लॉकचेन। वाशिंगटन डीसी स्थित गैर-लाभकारी कंपनी लर्निंग इकोनॉमी, ब्लॉकचेन का उपयोग कर रही है। बिटकॉइन की ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करते हुए, कंपनी कौशल, शिक्षा और कार्य अनुभव को सुरक्षित रूप से साझा करने का एक तरीका तलाश रही है।
Final Words
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