व्यवहार में विनम्रता होना कितना जरूरी है ? अपने व्यवहार में विनम्रता कैसे लाएं (vyavahaar mein vinamrata hona kitana jarooree hai)

व्यक्ति के ऊपर जितना भारी उत्तरदायित्व होता है , उसका मार्ग उतना ही कठिन होता है । उसके मार्ग में उतनी ही अधिक बाधाएं तथा उसे उतने ही अधिक व्यक्तियों के सहयोग की आवश्यकता होती है , जो अधिकारी सदैव अकड़कर बात करता है , व्यवहार में खुरखुरा होता है …

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राट्रभाषा हिंदी के नाविक नाभिक क्यो बनना चाहिए। बदलती सोच (raatrabhaasha hindee ke naavik naabhik kyo banana chaahie)

नमस्कार दोस्तों, जैसा कि आप जानते हैं हिंदी हमारे प्यारे भारत देश की राजभाषा है और यह लगातार अपने महत्व को खोती जा रही है इसीलिए प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मना कर हिंदी भाषा के प्रति जागरूता भी फैलाते हैं । आज हमने हिंदी …

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अपने लक्ष्य का निर्धारण करने से किसी भी व्यक्ति का जीवन पूरी तरह से कैसे बदल जाता है? (apane lakshy ka nirdhaaran karana)

लक्ष्यहीनता का अभाव दिशाहीनता को जन्म देता है और यही हमारे युवा वर्ग का दुर्भाग्य है । लक्ष्यबद्धता शक्तियों का संचय करती है और लक्ष्यहीनता उनका विघटन । लक्ष्यबद्ध व्यक्ति ही समाज और राष्ट्र के गौरव बनते हैं । आप पानी की बूंद की तरह अकेले ही लक्ष्य के प्रति …

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श्रद्धा , शक्ति , सम्मान स्वरूपा नारी का महत्व जानिये

सामाजिक संस्थाओं द्वारा नारी – उत्थान सम्बन्धी प्रस्तावों की भरमार, संविधान के प्रावधानों की घोषणाएं तथा नारी – कल्याण सम्बन्धी वर्षों से चले आ रहे आन्दोलन नारी के प्रति हमारी अवधारणाओं में परिवर्तन नहीं कर सके हैं। दहेज के नाम पर हत्याएं, आत्महत्याएं एवं कुल – वधुओं को दी जाने …

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विकास के लिए परिवर्तन कैसे आवश्यक है ? (vikaas ke lie parivartan kaise aavashyak hai)

प्रत्येक मानव में पूर्ण विकास की सम्भावना उपस्थित है और हमें उसके लिए जागरूक रहना चाहिए । विकास के लिए परिवर्तन आवश्यक है । परिवर्तन के मार्ग में अनेक कठिनाइयाँ आती हैं । हमें सकारात्मक विचारों द्वारा उन पर विजय प्राप्त करनी है । इस प्रकार हम नित नए मानव …

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गुण के ग्राहक – निबंध हिंदी में [ Gun Ke Grahak Nibandh In Hindi ]

लक्ष्मणजी के तीरों के प्रहार से रक्त रंजित हुआ मेघनाद का शव भूमि पर पड़ा था । मेघनाद की पत्नी सुलोचना को रावण ने आदेश दिया कि वह निःसंकोच श्रीराम के पास जाकर पति के शव को अन्त्येष्टि के लिए लौटाने की याचना करे । वह एक महिला को कदापि …

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पुस्तकों को मातृरूप में देखना चाहिए – निबंध हिंदी में [ Pustakon Ko Matrirup Me Dekhna Chahiye ]

SHOW CONTENTS (TOC) प्रस्तावना पुस्तकों को मातृरूप में देखने वाले और उनके प्रति मातृवत् व्यवहार करने वाले व्यक्ति सदैव माँ के स्नेहासिक्त् वरदहस्त की अनुभूति करते हैं । पुस्तकों का अध्ययन व्यक्तित्व को पूर्णता प्रदान करता है । धूर्त इस अध्ययन की भर्त्सना करते हैं , मूर्ख उसकी प्रशंसा मात्र …

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प्रकृति से प्रेरणा – निबंध हिंदी में [ Prakriti Se Prerana Nibandh In Hindi ]

नमस्कार दोस्तों, जैसा कि आप मे से ज्यादातर लोग यह जानते हैं कि प्रकृति हमारे लिए कितनी महत्वपूर्ण है और विश्व पर्यावरण दिवस तथा अन्य किसी भी दिवस में कई स्थानों में तो प्रकृति के लिए जागरूकता पैदा करने के लिए भाषण और निबंध की प्रतियोगिता आयोजित की जाती हैं। …

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भारत दुर्दशा की संवेदना – भारत की दुर्दशा तथा उसके कारण [ Bharat Durdasha Ke Karan ]

भारत दुर्दशा भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा 1875 ई. में रचित एक लघु नाटक है जिसमें उनकी नवजागरण चेतना और राष्ट्रीय बोध विस्तृत रूप से अभिव्यक्त हुआ है । इस प्रतीकात्मक नाटक में भारतेन्दु ने भारत की दुर्दशा के सभी पक्षों को कुछ काल्पनिक प्रतीकों के माध्यम से स्पष्ट किया है । …

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साहित्य जनसमूह के हृदय का विकास है – बालकृष्ण भट्ट कृत [ Sahitya Jan Samuh Ke Hriday Ka Vikash Hai ]

बालकृष्ण भट्ट भारतेंदु युग के प्रतिनिधि निबंधकार हैं जिनके निबंध लेखन में इस युग की सर्वाधिक सृजनात्मक प्रवृत्ति दिखाई पड़ती है । प्रस्तुत निबंध भारतेंदु युग में खड़ी बोली हिन्दी को बाल्यकालीन अवस्था के बावजूद हिन्दी गद्य के सृजनात्मक प्रयोग का प्रारंभिक एवं प्रतिनिधि उदाहरण है । इस निबंध में …

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