कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में श्वास नली के लक्षणों से बचाव की सलाह।
हाल ही में, कोरोना वायरस का प्रकोप देखा गया है, जो मुख्य रूप से श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है। आयुष मंत्रालय निवारक उपाय के रूप में परामर्श जारी कर रहा है। आयुष मंत्रालय के तहत अनुसंधान परिषदें विभिन्न सार्वजनिक स्वास्थ्य गतिविधियों में शामिल हैं और आम जनता के लिए समय-समय पर जीवनशैली की तरफदारी उपलब्ध कराती हैं।
आयुर्वेदिक पद्धतियों के अनुसार निम्नलिखित निवारक प्रबंधन उपाय सुझाए गए हैं-
- शदांग पानिया (मस्टा, परपट, उशीर, चंदन, उडीच्या और नागर) संसाधित पानी (1 लीटर पानी में 10 ग्राम पाउडर डालकर तब तक उबालें जब तक यह आधा हो जाए) पीएं। इस पानी को एक बोतल में भर लें और प्यास लगने पर पी लें।
- आयुर्वेदिक पद्धतियों के अनुसार रोगनिरोधी उपाय/इम्यूनोमॉड्यूलेटरी दवाइयां।
- स्वस्थ आहार और जीवनशैली पद्धतियों के माध्यम से प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए उपाय किए जाएं।
- अगस्त्य हरितकी 5 ग्राम, दिन में दो बार गर्म पानी के साथ लें।
- समशामणि वटी 500 मिलीग्राम दिन में दो बार लें।
- त्रिकटु (पिप्पली, मारीच और शुंठी) पाउडर 5 ग्राम और तुलसी 3 से 5 पत्तियॉं एक लीटर पानी में तब तक उबाले, जब तक पानी आधा लीटर न रह जाएं। इस पानी को एक बोतल में भर लें और आवश्यकतानुसार धीरे-धीरे पीएं।
- प्रतिमर्षा नस्य: अनुतैल/तिल तेल की दो-दो बूंद प्रत्येक नथुने में प्रतिदिन सुबह लगाएं।
विशेषज्ञों के समूह ने परस्पर यह सिफारिश की है कि होम्योपैथी दवा आर्सेनिकम एल्बम 30 संभावित कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ रोगनिरोधी दवा के रूप में ली जा सकती है। इसे आईएलआई की रोकथाम में भी लेने की सलाह दी गई है। आर्सेनिकम एल्बम 30 की एक खुराक तीन दिनों तक रोजाना खाली पेट लेने की भी सलाह दी गई है। अगर समुदाय में कोरोना वायरस का संक्रमण मौजूद हो, तो यह खुराक एक महीने के बाद दोहरायी जानी चाहिए।
Originally posted 2020-02-02 07:52:00.