कार्बनिक अम्ल (organic acid)
कार्बनिक अम्ल (organic acid) वे कार्बनिक यौगिक हैं जिनमें अम्लीय गुण होते हैं। इनमें से कार्बोक्सिलिक अम्ल सर्वाधिक आम हैं। सल्फोनिक अम्ल, अल्कोहल आदि अन्य कार्बनिक अम्ल हैं। कार्बनिक अम्ल प्रायः फलों के रसों में पाये जाते हैं।
कार्बनिक अम्लों के कुछ उदाहरण ये हैं-
- फॉर्मिक अम्ल
- लैक्टिक अम्ल
- एसिटिक अम्ल
- मैलिक अम्ल
- साइट्रिक अम्ल
- आग्जैलिक अम्ल
- यूरिक अम्ल
फॉर्मिक अम्ल ( Formic acid )
फॉर्मिक अम्ल एक कार्बनिक यौगिक है। यह लाल चींटियों, शहद की मक्खियों, बिच्छू तथा बर्रों के डंकों में पाया जाता है। इन कीड़ों के काटने या डंक मारने पर थोड़ा अम्ल शरीर में प्रविष्ट हो जाता है, जिससे वह स्थान फूल जाता है और दर्द करने लगता है। पहले पहल लाल चींटयों (लैटिन नाम ‘फॉर्मिका’) को पानी के साथ गरम करके, उनका सत खींचने पर उसमें फार्मिक अम्ल मिला पाया गया। इसीलिए अम्ल का नाम ‘फॉर्मिक’ पड़ा। इसका उपयोग रबड़ जमाने, रँगाई, चमड़ा कमाई तथा कार्बनिक संश्लेषण में होता है।
एसिटिक अम्ल – Acetic acid
एसिटिक अम्ल CH3COOH जिसे एथेनोइक अम्ल के नाम से भी जाना जाता है, एक कार्बनिक अम्ल है जिसकी वजह से सिरका में खट्टा स्वाद और तीखी खुशबू आती है। यह इस मामले में एक कमज़ोर अम्ल है कि इसके जलीय विलयन में यह अम्ल केवल आंशिक रूप से विभाजित होता है। शुद्ध, जल रहित एसिटिक अम्ल (ठंडा एसिटिक अम्ल) एक रंगहीन तरल होता है, जो वातावरण (हाइग्रोस्कोपी) से जल सोख लेता है और 16.5 °C (62 °F) पर जमकर एक रंगहीन क्रिस्टलीय ठोस में बदल जाता है। शुद्ध अम्ल और उसका सघन विलयन खतरनाक संक्षारक होते हैं।
शुक्ताम्ल (एसिटिक) का साधारण नाम संस्कृत शब्द शौक्त से व्युत्पन्न है, जिसका अर्थ है मोती की सीप। इसका पर्यायवाची शब्द इथेनोइक अम्ल IUPAC के स्थानापन्न नामकरण के अनुसार किया गया है।
पुरातन सभ्यता में सिरका को, बीयर और वाइन के हवा के संपर्क में आने का प्राकृतिक परिणाम माना जाता था क्योंकि, एसिटिक अम्ल उत्पन्न करने वाले जीवाणु पूरे विश्व में मौजूद हैं।
एसिटिक अम्ल रासायनिक यौगिकों के निर्माण के लिए एक रासायनिक अभिकर्मक है। एसिटिक एनहाइड्राइड और एस्टर के अलावा अकेले विनाइल एसिटेट एकलक के निर्माण में ही एसिटिक अम्ल का सबसे बड़ा उपयोग होता है। सिरका में एसिटिक अम्ल का उपयोग तुलनात्मक रूप से कम है।
सांद्र एसिटिक अम्ल एक संक्षारक है और इसलिए उचित सावधानी के साथ संभाला जाना चाहिए, क्योंकि ये त्वचा जला सकता है, स्थायी रूप से आंख को नुकसान पहुँचा सकता है और श्लेष्मा झिल्ली में जलन कर सकता है। ये जलन और फफोले संपर्क में आने के कई घंटों बाद दिख सकते हैं। लेटेक्स के दस्ताने इससे बचाव नहीं कर सकते इसलिए इस यौगिक का उपयोग करते समय विशेष प्रतिरोधी दस्ताने जैसे निट्राइल रबर से बने दस्ताने पहने जाते हैं। सांद्र अम्ल कठिनाई के साथ प्रयोगशाला में प्रज्वलित किया जा सकता है। अगर परिवेश का तापमान 39 °C (102 °F) से बढ़ जाए तो ये एक ज्वलनशील खतरा बन जाता है और इस तापमान से ऊपर हवा के साथ मिल कर एक विस्फोटक मिश्रण बना सकता है (विस्फोटक सीमायें: 5.4–16%)
मैलिक अम्ल (Malic acid)
मैलिक अम्ल (Malic acid) एक कार्बनिक यौगिक है जिसका अणुसूत्र 4H6O5 है। यह एक डाईकार्बोक्सिल अम्ल है जिसका निर्माण सभी जीव करते हैं। फलों का रुचित खट्टा स्वाद इसी अम्ल के कारण होता है। इसका उपयोग भोज्य मिश्रज (food additive) के रूप में किया जाता है। मैलिक अम्ल के दो त्रिविम समावयवी रूप हैं (L- तथा D-enantiomers), यद्यपि केवल L-isomer ही प्राकृतिक रूप में पाया जाता है। मैलिक अम्ल के लवण एवं एस्टरों को ‘मैलेट्स'(malates) कहते हैं।
टार्टरिक अम्ल (Tartaric acid)
टार्टरिक अम्ल (Tartaric acid) एक कार्बनिक अम्ल है जो सफेद, क्रिस्टलीय होता है। यह प्राकृतिक रूप से अनेकों फलों (जैसे अंगूर, केला, इमली आदि) में पाया जाता है। यह अम्ल खाद्य पदार्थों में प्रतिऑक्सीकारक के रूप में, तथा अपना विशिष्ट खट्टा स्वाद देने के लिए मिलाया जाता है।
टार्टरिक अम्ल, अल्फा-हाइड्रॉक्सी कार्बोसिलिक अम्ल अम्ल है।
सिट्रिक अम्ल (Citric acid)
सिट्रिक अम्ल (Citric acid) एक दुर्बल कार्बनिक अम्ल है। नींबू, संतरे और अनेक खट्टे फलों में सिट्रिक अम्ल और इसके लवण पाए जाते हैं। जांतव पदार्थों में भी बड़ी अल्प मात्रा में यह पाया जाता है। नींबू के रस से यह तैयार होता है। नींबू के रस में ६ से ७ प्रतिशत तक सिट्रिक अम्ल रहता है। नींबू के रस को चूने के दूध से उपचारित करने से कैल्सियम सिट्रेट का अवक्षेप प्राप्त होता है। अवक्षेप को हल्के सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ उपचारित करने से सिट्रिक अम्ल उन्मुक्त होता है। विलयन के उद्वाष्पन से अम्ल के क्रिस्टल प्राप्त होते हैं जिनमें जल का एक अणु रहता है। शर्करा के किण्वन से भी सिट्रिक अम्ल प्राप्त होता है। रसायनशाला में सिट्रिक अम्ल का संश्लेषण भी हुआ है।
लैक्टिक अम्ल (Lactic acid)
लैक्टिक अम्ल (Lactic acid) विभिन्न जैवरासायनिक प्रक्रमों में प्रमुख भूमिका निभाने वाला एक रासायनिक यौगिक है। इसे सर्वप्रथम स्वीडेन के रसायनविज्ञानी कार्ल विल्हेल्म शीले ने १७८० में विलगित (isolate) किया था। लैक्टिक अम्ल एक कार्बोक्सिलिक अम्ल है जिसका अणुसूत्र C3H6O3 है। मांसपेशियों मैं इसी अम्ल के एकत्रित हो जाने के कारण ही थकावट पैदा होती है। अगर आपको थकावट महसूस हो रही है तो ताजे ठंडे पानी से नहाने से ये अम्ल टुकड़ो में विभाजित हो जाता है जिससे कि आपको होने वाली थकावट कम हो जाएगी और आप पहले से काफी अच्छा महसूस करेगे | ग्लूकोस बिना ऑक्सीजन की उपस्थिति में मांसपेशियों से प्रतिक्रिया कर लैक्टिक अम्ल बनाता है|
बेंज़ोइक अम्ल (Benzoic Acid)
बेंज़ोइक अम्ल (Benzoic Acid) ऐरोमेटिक कार्बोक्सिलिक अम्ल है। यह हलके, रंगहीन, चमकदार, क्रिस्टलीय चूर्ण के रूप में प्राप्य है। इसका सूत्र (C6H5 COOH), गलनांक 122.4 डिग्री सेल्सियस और क्वथनांक 250 डिग्री सेल्सियस है।
इसका अधिक महत्व का उपयोग खाद्य पदार्थों के परिरक्षण में है। चटनियों, अचार, मुरब्बे, फल फूलों के रस, शरबत आदि तथा डिब्बे और बोतलां में बंद परिरक्षित आहारों को सड़ने, किण्वन और खराब होने से बचाने के लिए उनके साथ थोड़ी मात्रा में सोडियम बेंज़ोएट डाला जाता है और इसके इस उपयोग में वैधानिक आपत्ति भी नहीं है। जल में अल्प विलेय, किंतु ईथर और ऐल्कोहॉल में अपेक्षाकृत सुगमता से विलेय है।
प्रमुख अम्लो के प्राक्रतिक स्त्रोत ( Natural sources of major acids )
सेब के ढेर पर बैठा मालिक जो !! ( सेब – मौलिक एसिड )
अंगूर टरटराता रह गया अब ! ( अंगूर – टारटेरिक एसिड )
इमली संग वो मिल गया जब !! ( इमली – टारटेरिक एसिड )
खट्टे फल अब हटो साइड पर ! ( खट्टे फल – साइट्रिक एसिड )
दूध,दही तुम पियो लेटकर !! ( दूध, दही – लैक्टिक एसिड )
घास के पत्ते मे बैन्जोइक ! ( घास – बैन्जोइक एसिड )
सोडावाटर है काबॅनिक !! ( सोडावाटर -कार्बनिक अम्ल )
तो बिच्छू,चीटी मे है फार्मिक !! ( बिच्छू, चीटी – फार्मिक एसिड )
मूत्र मे होता यूरिक का मरहम ! ( मूत्र – यूरिक एसिड )
याद रखना ये तुम हरदम !!
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