नमस्कार दोस्तों, जैसा कि आप मे से ज्यादातर लोग यह जानते हैं कि 14 सितंबर को हिंदी दिवस ( Hindi Divas ) मनाया जाता है और यह भी आप जानते ही है कि कई जगह तो भाषण और निबंध की प्रतियोगिता आयोजित की जाती हैं। फिर ऐसे में उन प्रतियोगिताओं में ऐसा क्या अलग लिखे और क्या बोलें की सिर्फ आप ही पहले विजेता घोषित हो सके । इसी विषय को लेकर आप हम आपको 14 SEPTEMBER HINDI DIVASH SPEECH का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं । आप इससे पढ़ कर अपने नए विचार बना सकते हैं और अपने से लिखने वाले निबंध या बोलने वाले भाषण में कहीं न कही स्तेमाल कर सकते हैं । तो आइये देखते हैं
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प्रस्तावना
विश्व की दूसरी सबसे बड़ी भाषा हिन्दी है। चीनी भाषा के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। भारत और अन्य देशों में 60 करोड़ से अधिक लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। इतना ही नहीं फ़िजी, मॉरीशस, गुयाना, सूरीनाम जैसे दूसरे देशों की अधिकतर जनता हिन्दी बोलती है। भारत से सटे नेपाल की भी कुछ जनता हिन्दी बोलती है। आज हिन्दी राजभाषा, सम्पर्क भाषा, जनभाषा के सोपानों को पार कर विश्वभाषा बनने की ओर अग्रसर है।
प्रेम, मिलन और सौहार्द की भाषा
हिन्दी भाषा प्रेम, मिलन और सौहार्द की भाषा है। हिन्दी के ज्यादातर शब्द संस्कृत,अरबी और फारसी भाषा से लिए गए हैं। हिन्दी अपने आप में एक समर्थ भाषा है। हिन्दी प्रकृति से उदार ग्रहणशील,सहिष्णु और भारत की राष्ट्रीय चेतना की संवाहिका है।
हिंदी दिवस कब से मनाया जाता है ?
यह विश्व की एक प्राचीन,समृद्ध तथा महान भाषा होने के साथ ही हमारी राज्यभाषा भी है। भारत की स्वतंत्रता के बाद 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी की खड़ी बोली ही भारत की राजभाषा होगी। इस महत्वपूर्ण निर्णय के बाद ही हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रचारित-प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति,वर्धा के अनुरोध पर सन् 1953 से संपूर्ण भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है।
विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी 1975
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी के प्रति जागरुकता पैदा करने और हिन्दी के प्रयोग को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सम्मेलन जैसे समारोह की भी शुरुआत की गई है। 10 जनवरी 1975 को नागपुर से शुरू हुआ यह सफर आज भी जारी है। अब 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस के रूप मे भी मनाया जाने लगा है। हिन्दी भारत की नहीं पूरे विश्व में एक विशाल क्षेत्र और जनसमूह की भाषा है। 1952 में उपयोग की जाने वाली भाषा के आधार पर यह विश्व में पांचवें स्थान पर थी। 1980 के आसपास वह चीनी और अंग्रेजी के बाद तीसरे स्थान पर आ गई।
विश्व में अंग्रेजी भाषियों की संख्या से अधिक है
1991 में यह पाया गया कि हिन्दी बोलने वालों की संख्या पूरे विश्व में अंग्रेजी भाषियों की संख्या से अधिक है,जो मध्यम वर्ग के एक विशाल क्षेत्र को अपने में समेटे हुए है। इस मध्यम वर्ग की क्रय-शक्ति पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ी है। आज अपने माल के प्रचार-प्रसार,पैकिंग,गुणवत्ता आदि के लिए हिन्दी को अपनाना बहुराष्ट्रीय कंपनियों की विवशता है और उनकी यही विवशता आज हिन्दी की शक्ति बन गई है।
उदारीकरण,वैश्वीकरण तथा औद्योगीकरण की प्रक्रिया से खतरा
1980 और 1990 के दशक में भारत में उदारीकरण,वैश्वीकरण तथा औद्योगीकरण की प्रक्रिया तीव्र हुई। इसके परिणामस्वरूप अनेक विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत में आईं तो हिन्दी के लिए एक खतरा दिखाई दिया था,क्योंकि वे अपने साथ अंग्रेजी लेकर आई थीं।
व्यापार और लाभ हिन्दी से ज्यादा संभव हैं
मीडिया महारथी रुपर्ट मर्डोक स्टार चैनल लेकर आए। अंग्रेजी में यह चैनल बड़ी धूमधाम से शुरू हुआ था। इसी तर्ज पर सोनी और अन्य दूसरे चैनल भी अंग्रेजी में अपने कार्यक्रम लेकर भारत में आए। मगर इन सबको विवश होकर हिन्दी की ओर मुड़ना पडा,क्योंकि इन्हें अपनी दर्शक संख्या बढ़ानी थी। अपना व्यापार,अपना लाभ बढाना था जो हिन्दी से ही संभव था।
विज्ञापनों का लगभग 75 प्रतिशत हिन्दी माध्यम में विज्ञापन
आज टी वी चैनलों एवं मनोरंजन की दुनिया में हिन्दी सबसे अधिक मुनाफे की भाषा है। कुल विज्ञापनों का लगभग 75 प्रतिशत हिन्दी माध्यम में है।
हिंदी विकास में सिनेमा का योगदान
हिन्दी फिल्मों तथा फिल्मी गानों ने भी हिन्दी के प्रचार-प्रसार में अपना अहम योगदान दिया है। सन् 1995 के बाद से टी.वी.के चैनलों से प्रसारित कार्यक्रमों की लोकप्रियता भी बढ़ी है। इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि जिन सेटेलाइट चैनलों ने भारत में अपने कार्यक्रमों का आरम्भ केवल अंग्रेजी भाषा से किया था उन्हें अपनी भाषा नीति में परिवर्तन करना पड़ा है।
अब Star Plus, ZEE TV, Zee News, Star News, Discovery, National Geographic आदि टी.वी.चैनल अपने कार्यक्रम हिन्दी में दे रहे हैं। आज सभी चैनल तथा फिल्म निर्माता अंग्रेजी क़ार्यक्रमों और फिल्मों को हिन्दी में डब करके प्रस्तुत करने लगे हैं। इसका जीता जागता उदाहरण है जुरासिक पार्क जैसी बेहद लोकप्रिय फिल्म को हिन्दी में डब किया जाना। इसके हिन्दी संस्करण ने सिर्फ भारत में इतने पैसे कमाए जितने अंग्रेजी संस्करण ने पूरे विश्व में नहीं कमाए थे।
बीसवीं सदी के अंतिम दो दशकों में हिन्दी का अंतर्राष्ट्रीय विकास
बीसवीं सदी के अंतिम दो दशकों में हिन्दी का अंतर्राष्ट्रीय विकास बहुत तेजी से हुआ है। वेब,विज्ञापन,संगीत,सिनेमा और बाजार के क्षेत्र में हिन्दी की मांग जिस तेजी से बढ़ी है वैसी किसी और भाषा में नहीं है।
हिन्दी के अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था
विश्व के लगभग 150 विश्वविद्यालयों तथा सैंकडों छोटे-बड़े केंद्रों में विश्वविद्यालय स्तर से लेकर शोध के स्तर तक हिन्दी के अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था हुई है।
विदेशों से पत्र-पत्रिकाएं हिन्दी में प्रकाशित हो रही हैं
विदेशों से 25 से अधिक पत्र-पत्रिकाएं लगभग नियमित रूप से हिन्दी में प्रकाशित हो रही हैं। यूएई के ‘हम एफ एम’सहित अनेक देश हिन्दी कार्यक्रम प्रसारित कर रहे हैं,जिनमें बीबीसी,जर्मनी के डॉयचे वेले,जापान के एनएचके वर्ल्ड और चीन के चाइना रेडियो इंटरनेशनल की हिन्दी सेवा प्रमुख है।
हिन्दी शब्दों का विश्व की दूसरी भाषाओं में विलय
हिन्दी भाषा और इसमें निहित भारत की सांस्कृतिक धरोहर इतनी सुदृढ और समृद्ध है कि इस ओर अधिक प्रयत्न न किए जाने पर भी इसके विकास की गति बहुत तेज है। ध्यान,योग,आसन और आयुर्वेद विषयों के साथ-साथ इनसे संबंधित हिन्दी शब्दों का भी विश्व की दूसरी भाषाओं में विलय हो रहा है।
संस्कृति की प्राप्ति हिन्दी के रास्ते से
भारतीय संगीत, हस्तकला, भोजन और वस्त्रों की विदेशी मांग जैसी आज है पहले कभी नहीं थी। लगभग हर देश में योग,ध्यान और आयुर्वेद के केन्द्र खुल गए हैं जो दुनिया भर के लोगों को भारतीय संस्कृति की ओर आकर्षित करते हैं। ऐसी संस्कृति जिसे पाने के लिए हिन्दी के रास्ते से ही पहुंचा जा सकता है।
अच्छे संबंध बनाने के लिए हिन्दी सीखना कितना जरूरी है।
भारतीयों ने अपनी कड़ी मेहनत,प्रतिभा और कुशाग्र बुद्धि से आज विश्व के तमाम देशों की उन्नति में जो सहायता की है उससे प्रभावित होकर सभी यह समझ गए हैं कि भारतीयों से अच्छे संबंध बनाने के लिए हिन्दी सीखना कितना जरूरी है।
आज हिन्दी ने अंग्रेजी का वर्चस्व तोड़ रहा है। करोड़ों की हिन्दी भाषी आबादी कंप्यूटर का प्रयोग अपनी भाषा में कर रही हैं।
हिन्दी के महत्व को विश्व में गंभीरता
प्रवासी भारतीयों में हजारों लोग हिन्दी के विकास में संलग्न हैं। अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने 114 मिलियन डॉलर की एक विशेष राशि अमरीका में हिन्दी,चीनी और अरबी भाषाएं सिखाने के लिए स्वीकृत की थी। इससे स्पष्ट होता है कि हिन्दी के महत्व को विश्व में कितनी गंभीरता से अनुभव किया जा रहा है।
उपसंहार
हिंदी भाषा को विभिन्न विदेशी भाषाओं के सामने गिरावट का सामना करना नही पड़े और मातृभाषा की आवश्यकता को समझने के लिए और इसके महत्व को समझने के लिए HINDI DIWAS मनाना जरूरी है, यह हिंदी भाषा और इसके महत्व को जानने का अवसर प्रदान करता है। सभी महान उत्साह के साथ इस दिन को मनाएं और साथ ही दूसरों को भी हिंदी के प्रति जागरूक करें। तभी हिंदी की महिमा चारो ओर फैलेगी।
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