वाहन स्क्रैपिंग नीति (Vehicle Scrapping Policy) क्या है ? इसके उद्देश्य और प्रावधानों की पूरी जानिए यहां आपको दी जायेगी। (Read in english)
Vehicle Scrapping Policy- केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री ने लोकसभा में वाहन स्क्रैपिंग नीति (Vehicle Scrapping Policy) की घोषणा की गयी थी। इस नीति की घोषणा पहली बार केंद्रीय बजट 2021-22 में की गई थी। इस नीति के तहत 20 वर्ष से अधिक पुराने 51 लाख और 15 वर्ष से पुराने 34 लाख हल्के मोटर वाहन (LMV) को कवर किया गया है। भारत ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम भी लागू करेगा और एक साल के भीतर सभी टोल बूथ बंद कर दिए जाएंगे।
वाहन स्क्रैपिंग नीति (Vehicle Scrapping Policy) उद्देश्य:
पुराने और खराब वाहनों को कम कर इनसे होने वाले वायु प्रदूषकों को कम करना, सड़क और वाहनों की सुरक्षा में सुधार करना।
वाहन स्क्रैपिंग नीति (Vehicle Scrapping Policy) के तहत प्रावधान:
फिटनेस टेस्ट (fitness test) 15 साल से पुराने कमर्शियल व्हीकल्स और 20 साल से ज्यादा पुराने प्राइवेट व्हीकल्स को दोबारा रजिस्ट्रेशन से पहले फिटनेस टेस्ट पास करना होगा। ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर में पुराने वाहनों का परीक्षण किया जाएगा, जहां अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार वाहनों का फिटनेस टेस्ट किया जाएगा। इन फिटनेस सेंटरों में वाहनों का उत्सर्जन परीक्षण, ब्रेकिंग सिस्टम, सुरक्षा घटकों आदि की जांच की जाएगी और इस परीक्षण में विफल रहने वाले वाहनों को रद्द कर दिया जाएगा। मंत्रालय ने पंजीकरण प्रक्रिया के लिए सुविधाओं को खत्म करने के नियम भी जारी किए हैं।
रोड टैक्स से छूट (road tax exemption): राज्य सरकारों को सलाह दी गयी है कि वे पुराने वाहनों के मालिकों को पुराने और अनुपयुक्त वाहनों को हटाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए निजी वाहनों के लिए 25% तक और वाणिज्यिक वाहनों के लिए 15% तक रोड टैक्स छूट प्रदान करें।
वाहन में छूट (vehicle discount): वाहन निर्माताओं द्वारा ‘स्क्रैपिंग सर्टिफिकेट’ प्रस्तुत करने वालों को नया वाहन खरीदने पर 5% की छूट दी जाएगी, साथ ही नए वाहन के पंजीकरण शुल्क में भी छूट दी जाएगी।
हतोत्साहित करना (To discourage): 15 साल या उससे अधिक उम्र के वाहनों के लिए पुन: पंजीकरण शुल्क में वृद्धि करके ऐसे वाहनों के उपयोग को हतोत्साहित किया जाएगा।
वाहन स्क्रैपिंग नीति (Vehicle Scrapping Policy) का महत्त्व:
स्क्रैप यार्ड का निर्माण: इससे देश में अधिक स्क्रैप यार्ड बनाने और पुराने वाहनों के कचरे से प्रभावी ढंग से निपटने में मदद मिलेगी।
रोजगार: नए फिटनेस सेंटर लगभग 35,000 लोगों को रोजगार प्रदान करेंगे और 10,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करेंगे।
राजस्व में सुधार: इससे भारी और मध्यम वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री को बढ़ावा मिलेगा जो IL&FS संकट और COVID-19 महामारी से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण आर्थिक मंदी में थे।
इस नीति से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के माध्यम से सरकारी खजाने में लगभग 30,000 से 40,000 करोड़ रुपये आने की उम्मीद है।
कीमतों में कमी: इस्तेमाल किए गए वाहनों से प्राप्त धातु और प्लास्टिक के पुनर्चक्रण से ऑटो घटकों की कीमतों में काफी हद तक कमी आएगी।
स्क्रैप सामग्री सस्ता होने से वाहन निर्माताओं की उत्पादन लागत कम हो जाएगी।
प्रदूषण में कमी: इससे ईंधन दक्षता में सुधार और प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी। पुराने वाहन नए वाहनों की तुलना में 10 से 12 गुना अधिक पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। एक अनुमान के मुताबिक इस समय करीब 17 लाख मध्यम और भारी वाणिज्यिक वाहन हैं जो 15 साल से अधिक पुराने हैं।
वाहन प्रदूषण को रोकने के लिये अन्य पहलें
- गो इलेक्ट्रिक अभियान।
- फेम इंडिया स्कीम फेज II।
- दिल्ली के लिये इलेक्ट्रिक वाहन नीति, 2020।
- हाइड्रोजन ईंधन सेल आधारित बस और कार परियोजना।
- राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन, 2020।
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