रैण्डम एक्सेस मैमोरी ( Random Access Memory – RAM ) क्या है ?

रैण्डम एक्सेस मैमोरी ( Random Access Memory – RAM ) इसे संक्षेप में रैम ( RAM ) कहा जाता है । यह मैमोरी एक चिप पर होती है , जो मैटल – ऑक्साइड सेमीकण्डक्टर ( MOS ) से बनी होती है । हम इस मैमोरी के किसी भी लोकेशन को चुनकर उसका उपयोग सीधे ही किसी डेटा को स्टोर करने या उसमें से डेटा पढ़ने के लिए कर सकते हैं । 

रैण्डम एक्सेस मैमोरी ( Random Access Memory - RAM ) क्या है ?

यह मैमोरी ऐसे रजिस्टरों और उनसे जुड़े हुए परिपथों ( Circuits ) से बनी होती है , जिनसे डेटा को वहाँ तक और वहाँ से स्थानान्तरित करना सम्भव हो । ऐसे प्रत्येक लोकेशन का एक निश्चत पता ( Address ) होता है । जिसकी सहायता से हम उस लोकेशन तक पहुँच सकते हैं । 

इस मैमोरी के रजिस्टरों या लोकेशनों को हम आवश्यकता होने पर कभी भी उपयोग में ला सकते हैं । इसलिए इसका नाम रैण्डम एक्सेस मैमोरी रखा गया है । रैम में भरी जाने वाली सूचनाएँ अस्थाई होती हैं और जैसे ही कम्प्यूटर की बिजली बन्द कर दी जाती है वैसे ही वे समस्त सूचनाएँ नष्ट हो जाती हैं । 

रैम में वे प्रोग्राम और डेटा रखे जाते हैं , जिनको सीपीयू खोज सके और वहाँ से प्राप्त कर सकें । इस मैमोरी को भी कई सेक्शनों में बाँटा जाता है , ताकि उसमें रखी गई सूचनाओं को व्यवस्थित किया जा सके और उन्हें पाया जा सके । ऐसे प्रत्येक सेक्शन का एक निश्चित पता होता हैं । किसी डेटा बस की सहायता से हम रैम से किसी सूचना को निकाल सकते हैं या उसमें कोी सूचना स्टोर कर सकते हैं । 

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इन्स्ट्रक्शन फॉर्मेट ( Instruction Format ) 

कम्प्यूटर द्वारा निर्देशों को केवल 0 व 1 के रूपों में समझा जाता है जिसे मशीनी भाषा कहते हैं । एक कम्प्यूटर प्रोग्राम निर्देशों का एक समूह है , जोकि किसी टास्क ( कार्य ) को पूरा करने के लिए आवश्यक स्टेप्स को विस्तारपूर्वक बताता ( करता ) है । किसी भी प्रोसेसर को कार्य करने के लिए दो प्रकार के इनपुट की आवश्यकता होती है । 

डेटा ( Data ) तथा निर्देश ( Instruction ) 

निर्देश कम्प्यूटर को बताते हैं कि किसी विशेष कार्य को करने के लिए कौन – सी क्रिया की जानी चाहिए । किसी भी निर्देश को दो भागों में बाँटा जा सकता है।

ऑपरेशन ( Operation or Op – code ) तथा ऑपरेण्ड ( Operand ) 

ऑपरेशन वे क्रिया होती हैं , जिन्हें परफॉर्म किया जाता है तथा ऑपरेण्ड वे होते है जिन पर ऑपरेशन किया जाता है । उदाहरण के लिए , + , यहाँ A तथा B ऑपरेण्ड हैं तथा ‘ + ‘ ऑपरेशन हैं ।

इन्स्ट्रक्शन साइकिल (Instruction cycle)

कण्ट्रोल यूनिट को कम्प्यूटर का नाड़ी तन्त्र भी कहते हैं । सारे आदेश कण्ट्रोल यूनिट से गुजरते हैं । यहाँ पर जो प्रोसेसिंग होती हैं , उसे इन्स्ट्रक्शन साइकिल कहते हैं । पूरी इन्स्ट्रक्शन साइकिल में निम्न चार चरण होते हैं । 

इन्स्ट्रक्शन साइकिल (Instruction cycle)

1 . फैचिंग ( Fetching ) इस चरण में मैमोरी से निर्देश को फँच ( Fetch करके निर्देश रजिस्टर ( Introduction Register ) ( एक परिपथ जो एक निर्देश को रखने में सक्षम होता है ) में लाता है , ताकि वह निर्देश डीकोड तथा क्रियान्वित किया जा सके । 

2 . डीकोडिंग ( Decoding ) दिए गए निर्देश को डिकोड करना अर्थात् दिए गए निर्देश की व्याख्या करना ।

3 . प्रभावी पते को पढ़ना ( Read the Effective Address ) यदि निर्देश के पास अप्रत्यक्ष पता ( Indirect Address ) है तो उस पते को मैमोरी पढ़ना । 

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4. निष्पादन ( Execution ) निर्देश का निष्पादन करना । दिए गऐ चरणों में से , चरण 1 और 2 सभी निर्देशों के लिए एक समान होते हैं तथा फँच चक्र कहलाते हैं और चरण 3 व 4 सभी निर्देशों के लिए अलग – अलग होते हैं तथा निष्पादन चक्र ( Execute Cycle ) कहलाते हैं ।

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