भौतिकी: मानव की सदैव अपने चारों ओर फैले विश्व के बारे में जानने की जिज्ञासा रही है । अनादि काल से ही रात्रि के आकाश में चमकने वाले खगोलीय पिण्ड उसे सम्मोहित करते रहे हैं ।
दिन – रात की सतत पुनरावृत्ति , ऋतुओं के वार्षिक चक्र , ग्रहण , ज्वार – भाटे , ज्वालामुखी , इन्द्रधनुष सदैव ही उसके कौतूहल के स्रोत रहे हैं ।
संसार में पदार्थों के आश्चर्यचकित करने वाले प्रकार तथा जीवन एवं व्यवहार की विस्मयकारी विभिन्नताएँ हैं ।
प्रकृति के ऐसे आश्चर्यों एवं विस्मयों के प्रति मानव का कल्पनाशील तथा अन्वेषी मस्तिष्क विभिन्न प्रकार से अपनी प्रतिक्रियाएँ व्यक्त करता रहा है ।
आदि काल से मानव की एक प्रकार की प्रतिक्रिया यह रही है कि उसने अपने भौतिक पर्यावरण का सावधानीपूर्वक प्रेक्षण किया है , प्राकृतिक परिघटनाओं में अर्थपूर्ण पैटर्न तथा संबंध खोजे हैं ,
तथा प्रकृति के साथ प्रतिक्रिया कर सकने के लिए नए औजारों को बनाया तथा उनका उपयोग किया है ।
कालान्तर में मानव के इन्हीं प्रयासों से आधुनिक विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी का मार्ग प्रशस्त हुआ है ।
अंग्रेजी भाषा के शब्द साईंस ( Science ) का उद्भव लैटिन भाषा के शब्द सिंटिया ( Scientia ) से हुआ है , जिसका अर्थ है ‘ जानना ‘ ।
विस्तृत रूप में विज्ञान उतना ही प्राचीन है जितनी कि मानव जाति है । मिस्र , भारत , चीन , यूनान , मैसोपोटामिया तथा संसार के अन्य देशों की प्राचीन सभ्यताओं ने विज्ञान की प्रगति में अत्यावश्यक योगदान दिया है ।
सोलहवीं शताब्दी से यूरोप में विज्ञान के क्षेत्र में अत्यधिक प्रगति हुई । बीसवीं शताब्दी के मध्य तक विज्ञान , वास्तविक रूप में , एक महान द्रुत कार्य बन गया , जिसके अंतर्राष्ट्रीय विकास के लिए अनेक सभ्यताओं एवं देशों ने अपना योगदान दिया ।