भोजन के घटक कौन कौन से होते हैं ? खनिज पदार्थों की कमी से होने वाले रोग जानिए। [Diseases caused by deficiency of food components and minerals]

भोजन के घटक(Food components) : इस आर्टिकल में हमने उन खाद्य पदार्थों के बारे में बताया है , जिन्हें हम खाते हैं भारत के विभिन्न भागों में खाए जाने वाले भिन्न – भिन्न व्यंजनों के बारे में भी हमने बताया है। एक प्रकार के भोजन में चपाती , दाल और बैंगन का भरता हो सकता है तो दूसरे में चावल , सांबर तथा भिडी हो सकती हैं । इसके अतिरिक्त अन्य भोजन में अप्पम , मछली तथा सब्जियाँ हो सकती हैं । आइये ज्यादा जानते हैं। (read in english)

आमतौर पर हमारे आहार (Diet) में अन्न से बना कम से कम एक व्यंजन होता है। दूसरे खाद्य पदार्थों में दाल या मांस का कोई व्यंजन तथा सब्जी हो सकती है। इसमें दही , मट्ठा तथा अचार भी शामिल हो सकते हैं । 

कभी – कभी हम अपने भोजन में वस्तुतः इन सभी व्यंजनों को नहीं ले पाते। यदि हम यात्रा में हों तब हम वही खा लेते हैं जो रास्ते में उपलब्ध हो। हममें से कुछ लोगों के लिए यह संभव नहीं हो पाता है कि इस तरह के विविध व्यंजन हर समय खा सकें। आहार में विभिन्न खाद्य पदार्थों के इस तरह के वितरण का कोई न कोई आधार होना चाहिए। क्या हमारे शरीर को विशेष प्रयोजन के लिए विभिन्न प्रकार के भोजन की आवश्यकता होती है ? आगे जानते हैं।


विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों में क्या क्या होता है ? Different types of foods In Hindi

हम जानते हैं कि प्रत्येक व्यंजन एक या एक से अधिक प्रकार की कच्ची सामग्री से बना होता है, जो हमें पादपों या जंतुओं से मिलते हैं । इन्हें कच्ची सामग्री कहते हैं। कच्ची सामग्री के संघटक क्या होते हैं ? 

कच्ची सामग्री में हमारे शरीर के लिए कुछ आवश्यक घटक होते हैं । इन घटकों को हम पोषक कहते हैं। हमारे भोजन में मुख्य पोषक – कार्बोहाइड्रेट , प्रोटीन , वसा , विटामिन तथा खनिज – लवण हैं इसके अतिरिक्त हमारे भोजन में रुक्षाश तथा जल भी शामिल हैं जिनकी हमारे शरीर को आवश्यकता है ।

कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन - Carbohydrates, Fats and Proteins

कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन – Carbohydrates, Fats and Proteins

कार्बोहाइड्रेटयुक्त भोजन को ‘ऊर्जा देने वाला भोजन‘ भी कहते हैं। कार्बोहाइड्रेट मुख्य रूप से हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं । वसा से भी ऊर्जा मिलती है । वास्तविकता यह है कि कार्बोहाइड्रेट की तुलना में वसा की समान मात्रा से हमें अधिक ऊर्जा प्राप्त होती हैं वसा और प्रोटीन की आवश्यकता शरीर की वृद्धि तथा स्वस्थ रहने के लिए होती हैं । प्रोटीनयुक्त भोजन को प्रायः ‘ शरीर वर्धक भोजन ‘ कहते हैं।

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विटामिन्स – Vitamins

विटामिन रोगों से हमारे शरीर की रक्षा करते हैं। विटामिन हमारी आँख , अस्थियों , दाँत और मसूढों को स्वस्थ रखने में भी सहायता करते हैं। विटामिन कई प्रकार के होते हैं , जिन्हें अलग अलग नामों से जाना जाता है । इनमें से कुछ को विटामिन A , विटामिन B , विटामिन C , विटामिन D , विटामिन E तथा विटामिन K के नाम से जाना जाता है । 

विटामिनों के एक समूह को विटामिन B- कॉम्प्लैक्स कहते हैं। हमारे शरीर को सभी प्रकार के विटामिनों की अल्प मात्रा में आवश्यकता होती है। विटामिन A हमारी त्वचा तथा आँखों को स्वस्थ रखता है। विटामिन C बहुत – से रोगों से लड़ने में हमारी मदद करता है विटामिन D हमारी अस्थियों और दाँतों के लिए कैल्सियम का उपयोग करने में हमारे शरीर की सहायता करता है। 

हमारे शरीर को खनिज लवणों की आवश्यकता अल्प मात्रा में होती है । शरीर के उचित विकास तथा अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रत्येक खनिज लवण आवश्यक है। अधिकांश खाद्य पदार्थों में एक से अधिक पोषक तत्व होते हैं। फिर भी किसी कच्ची सामग्री में एक निश्चित पोषक की मात्रा दूसरे पोषकों की मात्रा से अधिक हो सकती है।

उदाहरण के लिए : चावल में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा दूसरे पोषकों से अधिक होती है। इस आधार पर हम यह कह सकते हैं कि चावल कार्बोहाइड्रेट समृद्ध भोजन है। इन पोषकों के अलावा हमारे शरीर को आहारी रेशों तथा जल की भी आवश्यकता होती है। आहारी रेशे रुक्षांश के नाम से भी जाने जाते हैं। हमारे खाने में रुक्षांश की पूर्ति मुख्यत : पादप उत्पादों से होती है। 

रुक्षांश के मुख्य स्रोत – Main sources of illiteracy In Hindi

रुक्षांश के मुख्य स्रोत साबुत खाद्यान्न , दाल , आलू . ताजे फल और सब्जियाँ हैं। रुक्षांश हमारे शरीर को कोई पोषक प्रदान नहीं करते हैं , फिर भी यह हमारे भोजन का आवश्यक अवयव है और इसका आयतन बढ़ा देते हैं । रुक्षांश बिना पचे भोजन को बाहर निकालने में हमारे शरीर की सहायता करता है ।

जल भोजन में उपस्थित पोषकों को अवशोषित करने में हमारे शरीर की सहायता करता है यह कुछ अपशिष्ट – पदार्थां , जैसे कि मूत्र तथा पसीने को शरीर से बाहर निकालने में सहायता करता है । 

सामान्यतः हमारे शरीर को जितने जल की आवश्यकता होती है वह हमें उन वस्तुओं से प्राप्त होता है जिन्हें हम द्रव रूप में लेते हैं , जैसे कि जल , दूध और चाय आदि। इसके अतिरिक्त हम जो भी भोजन पकाते हैं उसमें भी पानी का प्रयोग किया जाता है । 

संतुलित आहार क्या है – What is a balanced diet

सामान्यतः पूरे दिन में जो कुछ भी हम खाते हैं , उसे आहार कहते हैं । हमारे शरीर की वृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए हमारे आहार में वे सभी पोषक तत्व उचित मात्रा में होने चाहिए जिनकी हमारे शरीर को आवश्यकता है। कोई भी पोषक तत्व न आवश्यकता से अधिक हो और न ही कम। हमारे आहार में पर्याप्त मात्रा में रुक्षांश तथा जल भी होना चाहिए। इस प्रकार के आहार को संतुलित आहार कहते हैं।

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दालें , मूंगफली , सोयाबीन , अंकुरित बीज ( मूंग व चना ) , किण्वित भोजन ( दक्षिण भारतीय भोजन जैसे , इडली ) ,आर्ट का मिश्रण ( मिस्सी रोटी , थेपला – अनाज व दालों से बना ) केला , पालक , सत्तू , गुड़ , उपलब्ध सब्जियाँ तथा इसी प्रकार के अन्य भोजन , कई पोषक उपलब्ध कराते हैं । इसलिए कोई व्यक्ति अल्प व्यय में भी संतुलित आहार खा सकता हैं उचित प्रकार का भोजन करना ही पर्याप्त नहीं है । इसे उचित तरीके से पकाना भी चाहिए ताकि इसके पोषक तत्त्व नष्ट न हों। आइये जानते हैं ऐसा क्यों ?

क्या भोजन पकाते समय कुछ पोषक नष्ट हो जाते हैं – Do some nutrients get lost while cooking food

छिलका उतार कर यदि सब्जियों और फलों को धोया जाता हैं तो यह संभव है कि उनके कुछ विटामिन नष्ट हो जाएँ । सब्जियों और फलों की त्वचा में कई महत्वपूर्ण विटामिन तथा खनिज – लवण होते हैं । चावल और दालों को बार – बार धोने से उनमें उपस्थित विटामिन और कुछ खनिज – लवण अलग हो सकते हैं ।

हम सभी जानते हैं कि पकाने से भोजन का स्वाद बढ़ता है तथा इसे पचाने में आसानी होती है इसके साथ – साथ पकाने में कुछ पोषक तत्त्वों की हानि भी हो सकती है। यदि भोजन पकाने में अत्यधिक जल का उपयोग किया जाता है और बाद में उसे फेंक दिया जाता है तो कई लाभदायक प्रोटीन तथा खनिज – लवणों की हानि हो जाती है पकाने में विटामिन C आसानी से गर्मी से नष्ट हो जाता है । 

Note: मोटापे का कारण

अधिक वसायुक्त भोजन खाना हमारे लिए बहुत हानिकारक हो सकता है। हमारे भोजन में वसा की मात्रा अत्यधिक मोटापे का कारण बनती है ।

अभावजन्य रोग क्या होते हैं – What are scarcity diseases in hindi

एक व्यक्ति खाने के लिए पर्याप्त भोजन पा रहा है , लेकिन कभी – कभी उसके भोजन में किसी विशेष पोषक की कमी हो जाती है यदि यह कमी लंबी अवधि तक रहती है तो वह व्यक्ति उसके अभाव से ग्रसित हो सकता है । एक या अधिक पोषक तत्वों का अभाव हमारे शरीर में रोग अथवा विकृतियाँ उत्पन्न कर सकता है । वे रोग जो लंबी अवधि तक पोषकों के अभाव के कारण होते हैं , उन्हें अभावजन्य रोग कहते हैं । 

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प्रोटीन की कमी से होने वाले रोग – Protein deficiency diseases in hindi

यदि कोई व्यक्ति अपने भोजन में पर्याप्त प्रोटीन नहीं ले रहा है तो उसे कुछ रोग हो सकते हैं जैसे वृद्धि का रुक होना , चेहरे पर सृजन , बालों के रंग का उड़ना , त्वचा की बीमारियाँ और पेचिश आदि । 

यदि प्रोटीन तथा कार्बोहाइड्रेट दोनों ही किसी व्यक्ति के आहार से एक लंबे समय तक अनुपस्थित रहें तो उसकी वृद्धि पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाएगी । ऐसा व्यक्ति बहुत दुबला – पतला हो जाएगा । वह इतना दुर्बल हो जाएगा कि चलने में भी असमर्थ होगा ।

विटामिन के कमी से होने वाले रोग – Vitamin deficiency diseases

विभिन्न विटामिनों और खनिज लवणों के अभाव से विभिन्न रोग अथवा विकृतियाँ हो सकती हैं । इनमें से कुछ नीचे दर्शाए गए हैं ।
विटामिन के कमी से होने वाले रोग - Vitamin deficiency diseases
सभी अभावजन्य रोगों की रोकथाम संतुलित आहार लेने से की जा सकती है। 

इस आर्टिकल में हमने स्वयं से यह जानने की कोशिश की कि विभिन्न क्षेत्रों के भोजन में इतनी अधिक विविधता होते हुए भी आहार में पोषक तत्त्वों का वितरण सामान्य है। यह वितरण हमारे भोजन में आवश्यक पोषक तत्त्वों की उपस्थिति सुनिश्चित करता है ।

सारांश – अपने क्या सीखा

  • हमारे भाजन के मुख्य पोषक तत्त्वों के नाम कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन तथा खनिज – लवण हैं। इनके अतिरिक्त भोजन में आहारी रेशे तथा जल भी होता है । 
  • कार्बोहाइड्रेट तथा बसा हमारे शरीर को मुख्य रूप से ऊर्जा प्रदान करते हैं।
  • प्रोटीन तथा खनिज लवण की आवश्यकता हमारे शरीर की वृद्धि तथा अनुरक्षण के लिए होती है। 
  • विटामिन हमारे शरीर को रोगों से रक्षा करने में सहायता करते हैं । 
  • संतुलित आहार में हमारे शरीर के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्त्वों तथा पर्याप्त रक्षांश और जल उचित मात्रा में उपस्थित रहते हैं। 
  • हमारे आहार में लंबी अवधि तक एक अथवा अधिक पोषक तत्त्वों की न्यूनता से विशिष्ट रोग अथवा विकार उत्पन्न हो सकते हैं ।

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