केन्द्र सरकार ने 29 जुलाई , 2020 को 34 वर्ष बाद नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया । इसके तहत देशभर में उच्च शिक्षा के लिए एक ही विनियामक बनाने और प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट जैसे कई प्रावधान हैं । वहीं , 35 वर्ष बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय ( Human Resource Development – HRD ) का नाम बदल कर दोबारा शिक्षा मंत्रालय किया जाएगा ।
1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के शासन काल में मानव संसाधन विकास मंत्रालय गठित किया गया था । केन्द्रीय मंत्री सूचना नई नीति के लक्ष्य निम्नलिखित होंगे , 21 वीं सदी के प्रमुख कौशल या व्यावहारिक जानकारी से विद्यार्थी वंचित न हों , उनका समग्र विकास हो । डिजिटल शिक्षा की पुख्ता व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय शैक्षणिक तकनीक फोरम ( National Educational Technology Forum- NETF ) का गठन होगा ।
आठ क्षेत्रीय भाषाओं में सामग्री तैयार की जाएगी । विश्व के शीर्ष 100 विदेशी शिक्षण संस्थानों को भारत में कैंपस खोलने की छूट दी जाएगी । इन विदेशी शैक्षणिक संस्थानों के लिए नियमन और प्रशासन के लिए भारतीय संस्थानों के समान नियम बनाए जाएंगे ।
नई नीति का मुख्य उद्देश्यों में एक 2030 तक 100 प्रतिशत बच्चों को स्कूली शिक्षा और 2030 तक उच्च शिक्षा में 50 प्रतिशत तक नामांकन दर करना है । इस दौरान उच्च शिक्षा में 3।5 करोड़ सीटें जोड़ी जाएंगी । प्रौढ़ शिक्षा को 100 प्रतिशत के स्तर तक ले जाने की तैयारी है । देश में शिक्षा पर खर्च जीडीपी का 4।43 % से बढ़ाकर 6।0 % करने का भी लक्ष्य तय किया गया ।
नई शिक्षा नीति की कुछ अहम बातें ( Some important things about the new education policy )
● विद्यालयी शिक्षा में सुधार नई शिक्षा नीति में भाषा के विकल्प को बढ़ा दिया गया है । छात्र 2 से 8 वर्ष की उम्र में जल्दी भाषाएं सीख जाते हैं । इसलिए उन्हें शुरूआत से ही स्थानीय भाषा के साथ तीन अलग – अलग भाषाओं में शिक्षा देने का प्रावधान रखा गया है ।
● नई एजुकेशन पॉलिसी में केन्द्र सरकार द्वारा नया पाठ्यक्रम तैयार करने का भी प्रस्ताव रखा गया है । नया प्रस्ताव 5 + 3 + 3 + 4 का डिजाइन तय किया गया है । यह 3 से 18 वर्ष के छात्रों यानि की नर्सरी से 12 वीं कक्षा तक के छात्रों के लिए डिजाइन किया गया है ।
● इसमें पहले तीन वर्ष प्री – प्राइमरी या स्कूल – पूर्व पढ़ाई की व्यवस्था होगी । इसके बाद पहली और दूसरी कक्षा होंगी । इन पाँच वर्षों के बाद तीन वर्ष की पढ़ाई तीसरी से लेकर पाँचवीं कक्षा की होगी । इसे प्रिपरेटरी स्टेज कहा जाएगा ।
● अगले तीन वर्ष यानी कक्षा छह से आठ तक को मिडिल कहा जाएगा और नौवीं से 12 वीं तक के चार वर्ष सेकंडरी स्कूल कहे जाएंगे । अब तक दूर रखे गए 3-6 वर्ष के बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाने का प्रावधान है , जिसे विश्व स्तर पर बच्चे के मानसिक विकास के लिए अहम चरण के रूप में नई मान्यता दी गई है ।
● नई बोर्ड परीक्षाएं जानकारी के अनुप्रयोग पर आधारित होंगी ।
● छात्रों का मानसिक के साथ शारीरिक विकास भी हो सके इसके लिए पढ़ाई के साथ फिजिकल एजुकेशन को जरूरी बनाने का नियम रखा गया है ।
बोर्ड परीक्षा का नया पैटर्न , छठी से वोकेशनल शिक्षा ( New pattern of board exam, sixth to vocational education )
● बोर्ड परीक्षाओं के पैटर्न में बड़ा बदलाव आएगा ।
● गणित विषय की तरह , सभी विषय दो भाषाओं में पढ़ाए जाएंगे ।
● राज्यों की बोर्ड परीक्षाएं ज्ञान के अनुप्रयोग को जाँचने पर आधारित होंगी , न कि रटने की क्षमता पर ।
● हर विषय के लिए वस्तुगत और विवरणात्मक , दोनों तरह की परीक्षाएं होंगी ।
त्रिभाषा फार्मूला , 5 वीं तक की पढ़ाई स्थानीय भाषा में ( TRIBUSA FORMULA, STUDY UP TO 5TH LANGUAGE )
● पाँचवीं तक की पढ़ाई मातृभाषा में ही करवाई जाएगी ।
● शिक्षा में तीन भाषा के फार्मूले को आगे बढ़ाया जाएगा ।
● इसमें संस्कृत को प्रमुखता से शामिल किया जाएगा ।
● स्कूल से ले कर उच्च शिक्षा तक में इसे प्रमुखता से जगह दी जाएगी ।
● छठी कक्षा से ही वोकेशनल शिक्षा पर जोर दिया जाएगा ।
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