बघेलखण्ड की लोककथा : मनुष्य का मोल – लखनप्रताप सिंह [Manushya ka mol]

बघेलखण्ड की लोककथा : मनुष्य का मोल

विक्रमाजीत नाम के एक राजा थे। वह बड़े न्यायी थे। उनके न्याय की प्रशंसा दूर-दूर तक फैली थी। एक बार देवताओं के राजा इंद्र ने विक्रमाजीत की परीक्षा लेनी चाही, क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं ऐसा न हो कि अपनी न्यायप्रियता के कारण राजा विक्रमाजीत उनका पद छीन लें। इसके लिए उनहोंने आदमी के तीन कटे हुए सिर भेजकर कहला भेजा कि यदि राजा इनका मूल्य बतला सकेंगे तो उनके राज में सब जगह सोने की वर्षा होगी। 

यदि न बता सके तो गाज गिरेगी ओर राज्य में आदमियों का भयंकर संहार होगा। राजा ने दरबार में तीनों सिर रखते हुए सारे दरबारी पंडितों से कहा, “आप लोग इन सिरों का मूल्य बतलाइये।” पर कोई भी उनका मूल्य न बतला सका, क्योंकि तीनों सिर देखने में एक समान थे और एक ही आदमी के जान पड़ते थे। उनमें राई बराबर भी फर्क न था। सारे सभासद् मौन थे। राज-दरबार में सन्नाटा छाया हुआ था, सब एक-दूसरे का मुंह ताक रहे थे। पंडितों का यह हाल देखकर राजा चिंतित हुए।

उन्होंने पुरोहित को बुलाकर कहा, “तुम्हें तीन दिन की छुटटी दी जाती है। जो तुम इन तीन दिनों में इनका मूल्य बता सकोगे तो मुंहमांगा पुरस्कार दिया जायगा, नहीं तो फांसी पर लटका दिये जाओगे।”

दो दिन तक पुरोहितजी ने बहुत सोचा, परंतु वह किसी भी फैसले पर न पहुंच। तब तीसरा दिन शुरु हुआ, तो वह बहुत व्याकुल हो उठे। खाना-पीना सब भूल गये। चिंता के मारे चादर ओढ़कर लेटे रहे। पंडिताइन से न रहा गया। वह उनके पास गई और चादर खींचकर कहने लगी, “आप आज यूँ कैसे पड़े हैं ? चलिये, उठिये, नहाइये, खाइये।” पंडित ने उन तीनों सिरो का सब किस्सा पंडिताइन को कह सुनाया। सुनते ही पंडिताइन होश-हवास भूल गई, बड़े भारी संकट में पड़ गयी। मन में कहने लगी-हे भगवान, अब मैं क्या करूं ? कहां जाऊं ? कुछ भी समझ में नहीं आता। उसने सोचा कि कल तो पंडित को फांसी हो ही जायगी, तो मैं पहले ही क्यों न प्राण त्याग दूं? पंडित की मौत अपनी आंखों से देखने से तो अच्छा है। यह सोचकर मरने की ठान आधी रात के समय पंडिताइन शहर से बाहर तालाब की ओर चली।

See also  विक्रम - बैताल की कहानियाँ [Vikram Betaal Hindi Kahaani – Story 4]

इधर पार्वती ने भगवान शंकर से कहा कि एक सती के ऊपर संकट आ पड़ा है, कुछ करना चाहिए।

शंकर भगवानने कहा, “यह संसार है। यहां पर यह सब होता ही रहता है। तुम किस-किसकी चिंता करोगी ?” पर पार्वती ने एक न मानी। कहा, “नहीं, कोई-न-कोई उपाय तो करना ही होगा।” शंकर भगवान् ने कहा, “अगर तुम नहीं मानती हो तो चलो।” दोनों सियार और सियारिन का भेष बनाकर तालाब की मेड़ पर पहुंचे, जहां पंडिताइन तालाब में डूबकर मरने को आई थी। 

पंडिताइन जब तालाब की मेड़ के पास पहुंची तो उसने सुना कि एक सियार पागल की तरह जोर-जोर से हंस रहा है। कभी वह हंसता है और कभी “हूके-हुके, हुवा-हुआ” की आवाज करता है। 

सियार की यह दशा देखकर सियारिन ने पूछा, “आज तुम पागल हो गये हो क्या? क्यों बेमतलब इस तरह हंस रहे हो ?” सियार बालो, “अरे, तू नहीं जानती। अब खूब खाने को मिलेगा, ,खूब खायेंगे और मोटे-ताजे हो जायेंगे।” सियारिन ने कहा, “कैसी बातें करते हो? कुछ समझ में नहीं आती; जो कुछ समझूं तो विश्वास करूं।” 

सियार ने कहा, “राजा इन्द्र ने राजा विक्रमाजीत के यहां तीन सिर भेजे हैं और यह शर्त रखी है जो राजा उनका मोल बता सकेगा तो राज्य भर में सोना बरसेगा; जो न बता सकेगा तो गाजें गिरेंगी। तो सुनो, सिरों का मूल्य तो कोई बता न सकेगा कि सोना बरसेगा। 

अब राज्य में हर जगह गाज ही गिरेगी। खूब आदमी मरेंगे। हम खूब खायेंगे और मोटे होंगे।” इतना कहकर सियार फिर “हुके-हुके, हुवा-हुआ” कहकर हंसने लगा। सियाररिन ने पूछा, “क्या तुम इन सिरों का मूल्य जानते हो ? ” सियार बोला, “जानता तो हूं, किंतु बतलाऊंगा नहीं, क्योंकि यदि किसी ने सुन लिया तो सारा खेल ही बिगड़ जायगा।” सियारिन बोली, “तब तो तुम कुछ नहीं जानते, व्यर्थ ही डींग मारते हो। यहां आधी रात कौन बैठा है, जो तुम्हारी बात सुन लेगा और भेद खुल जायगा!” सियार को ताव आ गया। वह बोला, “तू तो मरा विश्वास ही नहीं करती ! अच्छा तो सुन, तीनों सिरों का मूल्य मैं बतलाता हूं। 

See also  तेनाली राम की कहानियाँ – उधार का बोझ – Tenaliram Stories – Burden of debt

तीनों सिरों में एक सिर ऐसा है कि यदि सोने की सलाई लेकर उसके कान में से डालें और चारों ओर हिलाने-डुलाने से सलाई मुंह से न निकले तो उसका मूल्य अमूल्य है। 

दूसरे सिर में सलाई डालकर चारों ओर हिलाने-डुलाने से यदि मुंह से निकल जाय तो उसका मूल्य दस हजार रुपया है। 

तीसरा सिर लेकर उसके कान से सलाई डालने पर यदि वह मुंह, नाक, आंख सब जगह से पार हो जाय तो उसका मूल्य है, दो कौड़ी।” पंडिताइन यह सब सुन रही थी। चुपचाप दबे पांच घर की ओर चल पड़ी।

पंडिताइन खुशी-खुशी घर पहुंची। पंडित अब भी मंह पर चादर डाले पहले के समान चिंता में डूब पड़े थे। पंडिताइन ने चादर उठाई और कहा, “पड़े-पड़े क्या करते हो? चलो उठो, नहाओ-खाओ। क्यों व्यर्थ चिंता करते हो ! मैं बताऊंगी उन सिरों का मूल्य।”

सवेरा होते-होते पंडित उठे तो देखा, दरवाजे पर राजा का सिपाही खड़ा है। पंडित ने ठाठ के साथ सिपाही को फटकारते हुए कहा, “सवेरा नहीं होने पाया और बुलाने आ गये ! जाओ, राजा साहब से कह देना कि नहा लें, पूजा-पाठ कर लें, खा-पी-लें, तब आयंगे।” सिपाही चला गया। पंडित आराम से नहाये-धोये, पूरा-पाठ और भोजन किया, फिर पंडिताइन से भेद पूछकर राज-दरबार की ओर चले। पंडित ने पहुंचते ही कहा, “राजन, मंगवाइये वे तीनों सिर कहां हैं ?”

राजा ने तीनों सिर मंगवा दिये। पंडित ने उन्हे चारों ओर इधर-उधर उलट-पलटकर देखा और कहा, “एक सोने की सलाई मंगवा दीजिये।” सलाई मंगवायी गई। पंडित ने एक सिर को उठाकर उसके कान में सलाई डाली। चारों ओर हिलाई-धुलाई, पर वहकहीं से न निकली। पंडित कहने लगा, “यह आदमी बड़ा गंभीर है, इसका भेद नहीं मिलता। देखिये महाराज, इसका मूल्य अमूल्य है।” फिर दूसरा उठाकर उसके कान में सलाई डाली। हिलाई-डुलाई तो सलाई उसके मुंह से निकल आई। वह कहने लगा, “आदमी कान का कुछ कच्चा है, जो कान से सुनता है, वह मुंह से कह डालता है। लिखिये, महाराज, इसका मूल्य दस हजार रूपया।” पंडित ने तीसरा सिर उठाया, उसके कान से सलाई डालते ही उसके मुंह, नाक, आंख सभी जगह से पार हो गई।

See also  विक्रम - बैताल की कहानियाँ [Vikram Betaal Hindi Kahaani – Story 6]

उसने मुंह बनाकर कहा, “अरे, यह आदमी किसी काम का नहीं। यह कोई भेद नहीं छिपा सकता। लिखिये, महाराज, इसका मूल्य दो कौड़ी। ऐसे कान के कच्चे तथा चुगलखोर आदमी का मूल्य दो कौड़ी भी बहुत है।”

पंडित का उत्तर सुनकर राजा प्रसन्न हुआ। उसने पंडित को बहुत-सा धन, हीरा-जवाहारात देकर विदा किया।

इधर राजा ने तीनों सिरों का मूल्य लिखकर राजा इन्द्र के दरबार में भिजवा दिया। इंद्र प्रसन्न हुए। सारे राज्य में सोना बरसा। प्रजा खुशहाल हो गयी।

तो दोस्तों, कैसी लगी आपको हमारी यह पोस्ट ! इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें, Sharing Button पोस्ट के निचे है। इसके अलावे अगर बीच में कोई समस्या आती है तो Comment Box में पूछने में जरा सा भी संकोच न करें। अगर आप चाहें तो अपना सवाल हमारे ईमेल Personal Contact Form को भर कर भी भेज सकते हैं। हमें आपकी सहायता करके ख़ुशी होगी । इससे सम्बंधित और ढेर सारे पोस्ट हम आगे लिखते रहेगें । इसलिए हमारे ब्लॉग “Variousinfo” को अपने मोबाइल या कंप्यूटर में Bookmark (Ctrl + D) करना न भूलें तथा सभी पोस्ट अपने Email में पाने के लिए हमें अभी Subscribe करें। अगर ये पोस्ट आपको अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें। आप इसे whatsapp , Facebook या Twitter जैसे सोशल नेट्वर्किंग साइट्स पर शेयर करके इसे और लोगों तक पहुचाने में हमारी मदद करें। धन्यवाद !

Sharing Is Caring:

Hello friends, I am Ashok Nayak, the Author & Founder of this website blog, I have completed my post-graduation (M.sc mathematics) in 2022 from Madhya Pradesh. I enjoy learning and teaching things related to new education and technology. I request you to keep supporting us like this and we will keep providing new information for you. #We Support DIGITAL INDIA.

Leave a Comment