प्रोग्रामिंग भाषा एक कृत्रिम भाषा है जिसका उपयोग कंप्यूटर प्रोग्रामिंग करते समय कंप्यूटर को निर्देश देने के लिए प्रोग्राम बनाते समय किया जाता है, लेकिन केवल प्रोग्रामिंग भाषा का उपयोग केवल कंप्यूटर के लिए ही नहीं किया जाता है बल्कि कुछ मशीनों को प्रोग्राम करने के लिए भी किया जाता है, तो आइए इसके बारे में थोड़ा और जानें कि “प्रोग्रामिंग भाषा क्या होती है“? –
प्रोग्रामिंग भाषाएँ ( Programming Languages
कम्प्यूटर एक मशीन है तथा हमारी सामान्य बोलचाल की भाषाओं मे लिखे प्रोग्रामों को नहीं समझ सकता । इसलिए कम्प्यूटर के लिए विशेष प्रकार की भाषाओं में प्रोग्राम लिखे जाते हैं । इन भाषाओं को प्रोग्रामिग भाषाएँ कहते हैं ।
इन भाषाओं की अपनी एक अलग व्याकरण ( Grammar ) होती है और प्रोग्राम लिखते समय उनके व्याकरण का पालन करना आवश्यक है । आजकल ऐसी सैकड़ों भाषाएँ प्रचलन में हैं । ये भाषाएँ कम्प्यूटर और प्रोग्रामर के बीच सम्पर्क या संवाद बनाती है ।
कम्प्यूटर उनके माध्यम से दिए गए निर्देशों के समझकर उनके अनुसार कार्य करता है । ये निर्देश इस प्रकार दिए जाते हैं , कि उनका क्रमशः पालन करने से कोई कार्य पूरा हो जाए ।
प्रोग्रामिंग भाषाओं को तीन प्रमुख भागों में विभाजित किया गया है- निम्न स्तरीय भाषाएँ , मध्य स्तरीय भाषाएँ और उच्च स्तरीय भाषाएँ
1. निम्न स्तरीय भाषाएँ ( Low Level Languages )
निम्न स्तरीय भाषाएँ कम्प्यूटर की आन्तरिक कार्यप्रणाली के अनुसार बनाई जाती है तथा ऐसी भाषाओं में लिखे गए प्रोग्रामों के पालन करने की गति अधिक होती है , क्योंकि कम्प्यूटर उसके निर्देशों का सीधे ही पालन कर सकता है ।
इनके दो प्रमुख उदाहरण मशीनी भाषाएँ तथा असेम्बली भाषाएँ ।
( a ) मशीनी भाषाएँ ( Machine Languages )
ये भाषा केवल बाइनरी अंको ( 0 या 1 ) से बनी होती है प्रत्येक कम्प्यूटर के लिए उसकी अलग मशीनी भाषा होती है । मशीनी भाषा का प्रयोग प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटरों में किया जाता था तथा इनमें त्रुटियों का पता लगाना एवं उन्हें ठीक करना लगभग असम्भव होता है ।
( b ) असेम्बली भाषाएँ ( Assembly Languages )
ये भाषाएँ पूरी तरह मशीनी भाषाओं पर आधारित होती है , परन्तु इनमें से 1 की शृंखलाओं के स्थान पर अंग्रेजी के अक्षरों और कुछ गिने चुने शब्दों को कोड के रूप में प्रयोग किया जाता है । इन भाषाओं में लिखे गए प्रोग्रामों में त्रुटि का पता लगाना एवं उन्हें ठीक करना सरल होता है ।
2 . मध्य स्तरीय भाषाएँ ( Medium Level Languages )
ये भाषा निम्न स्तरीय तथा उच्च स्तरीय भाषाओं के मध्य पुल का कार्य करती है । C भाषा को मध्य स्तरीय भाषा कहा जाता है , क्योंकि इसमें उच्च स्तरीय तथा निम्न स्तरीय दोनों भाषाओं के गुण हैं।
3 . उच्च स्तरीय भाषाएँ ( High Level Languages )
ये भाषाएँ कम्प्यूटर की आन्तरिक कार्यप्रणाली पर आधारित नहीं होती है । इन भाषाओं में अंग्रेजी के कुछ चुने हुए शब्दों और साधारण गणित में प्रयोग किए जाने वाले चिन्हों का प्रयोग किया जाता है । इनमें त्रुटियों का पता लगाना और उन्हें ठीक करना सरल होता है , किन्तु इन भाषाओं में लिखे प्रोग्राम्स को मशीनी भाषा में कम्पाइलर या इण्टरप्रेटर के द्वारा अनुवादित ( Translated ) कराया जाना आवश्यक होता है ।
लिंकर ( Linker )
जब वास्तविक भाषा में लिखे प्रोग्राम को मशीनी भाषा में अनुवादित किया जाता है , तो इस प्रकार प्राप्त होने वाले आउटपुट को ऑब्जेक्ट प्रोग्राम ( Object Program ) या ऑब्जेक्ट फाइल ( Object File ) कहा जाता है । जिसके बाद लिंकर ( Linker ) नामक प्रोग्राम सभी आब्जेक्ट फाइल को मिलाकर एक वास्तविक एक्जीक्यूटेबल फाइल ( Executable File ) बना देता है ।
लोडर ( Loader )
एक प्रकार का सिस्टम सॉफ्टवेयर है , जो किसी एक्जीक्यूटेबल प्रोग्राम को मेन मैमोरी में लोड करने ( डालने ) का कार्य करता है । यह एक निर्देशों की श्रृंखला होती है , जो प्रोग्राम को हार्ड डिस्क या फ्लॉपी से मैमोरी में भेजती है । ये ऑपरेटिंग सिस्टम का वह हिस्सा है , जो डिस्क पर पड़ी एक्जीक्यूटेबल फाइल को मेन मैमोरी पर लोड करता है और इसका क्रियान्वयन शुरू करता है ।
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