पृथ्वी पर ‘ जीवन की उत्पत्ति ( Origin of life ) के प्रश्न पर वैज्ञानिकों एवं दार्शनिकों के मतों में एकरूपता नहीं आ पाई जाती है बल्कि मतांतर बना हुआ है। प्राचीन काल से ही भिन्न भिन्न समयों पर विभिन्न वैज्ञानिकों एवं दार्शनिकों ने इसके संदर्भ में अपनी अलग – अलग संकल्पनाएं प्रस्तुत की हैं। लेकिन अब तक प्रस्तुत की गई सारी संकल्पनाओं में ‘जीवन की उत्पत्ति के संदर्भ में सबसे आधुनिक , विस्तृत और सर्वमान्य परिकल्पना रूसी जीवन – रसायनशास्त्री , ए . आई . ओपैरिन ( A. I. Oparin ) ने सन् 1924 में भौतिकवाद या पदार्थवाद ( Mate rialistic Theory ) के नाम से प्रस्तुत की । उन्होंने 1934 ई . में अपनी पुस्तक “ The Origin of Life ‘ में इसकी विस्तृत व्याख्या की है।
पृथ्वी पर पानी और कार्बनिक यौगिकों का निर्माण कैसे हुआ – Creation of water and organic compounds on Earth
‘ जीवन की उत्पत्ति – Origin of life‘ अचानक रासायनिक उद्विकास के फलस्वरूप हुई सर्वप्रथम पृथ्वी का उद्भव अंतरिक्ष के एक ज्वलनशील एवं घूर्णनशील ( Rotating ) गैसीय पिण्ड से हुआ । ओपैरिन ने विश्वास व्यक्त किया कि पृथ्वी के प्रारम्भिक वातावरण में ( ताप 3000 – 6000 °C ) गैसीय अवस्था में बहुत सारे तत्वों के अलावा उन सारे रासायनिक तत्वों ( हाइड्रोजन , कार्बन , नाइट्रोजन , गंधक , सूक्ष्म मात्रा में ऑक्सीजन , फॉस्फोरस इत्यादि ) के स्वतंत्र परमाणु थे , जो जीवद्रव्य का प्रमुख संघटक होता है।
क्रमश : पृथ्वी ठंडी होती गई और इनके स्वतंत्र परमाणुओं ने पारस्परिक प्रतिक्रिया के फलस्वरूप तत्वों के साथ – साथ सरल अकार्बनिक यौगिकों का भी निर्माण किया , आदिवायुमण्डल वर्तमान उपचायक या ऑक्सीकारक ( Oxidising ) वायुमण्डल के विपरीत अपचायक ( reducing ) था , क्योंकि इसमें हाइड्रोजन के परमाणु संख्या में सबसे अधिक और सर्वाधिक क्रियाशील थे।
हाइड्रोजन ने ऑक्सीजन के सारे परमाणुओं से मिलकर जल ( H2O ) बना लिया। अतः ऑक्सीजन ( O2 ) के स्वतंत्र परमाणु आदिवायुमण्डल में नहीं रह गए । स्थल मण्डल इस समय तक बहुत गर्म था। अतः सारा जल वाष्प के रूप में वायुमण्डल में ही एकत्रित होता रहा। नाइट्रोजन के परमाणुओं ने अमोनिया ( NHI ) भी बनाई।
जीवद्रव्य को बनाने वाले कार्बनिक यौगिकों का निर्माण कैसे हुआ – Formation of organic compounds that make up organisms
ताप के और कम होने पर अणुओं के पारस्परिक आकर्षण एवं प्रतिक्रिया के फलस्वरूप कार्बनिक यौगिकों ( Organic Compounds ) का निर्माण हुआ । जैसे – एमिनो एसिड , वसीय अम्ल , प्यूरिन्स , मीथेन और शुगर आदि । इन सभी रासायनिक प्रति क्रियाओं के लिए ऊर्जा कास्मिक किरणों और अल्ट्रावायलट किरणों से प्राप्त हुई । इन्हीं सब कार्बनिक यौगिकों के निर्माण के फल स्वरूप ‘ जीवन की उत्पत्ति ‘ की सम्भावना हुई , क्योंकि जीवद्रव्य के निर्माण में इन्हीं घटकों की आवश्यकता होती है ।
एक अमरीकी वैज्ञानिक स्टैनले मिलर ( Stanley Miller ) ने ओपैरिन की परिकल्पना को ऊर्जा की उपस्थिति में , मीथेन , हाइड्रोजन , जलवाष्प एवं अमोनिया के संयोजन से अमीनो अम्लों , सरल शर्कराओं तथा अन्य कार्बनिक यौगिकों के निर्माण की सम्भावना को 1955 ई . में सिद्ध कर दिखाया । उन्होंने एक विशेष वातावरण में अमोनिया , मीथेन , हाइड्रोजन एवं जलवाष्प के गैसीय मिश्रण में विद्युतधारा प्रवाहित की ।
इस प्रयोग के फलस्वरूप एक गहरा लाल रंग का तरल पदार्थ मिला और उसके विश्लेषण के फलस्वरूप यह निष्कर्ष निकला कि यह अमीनो अम्ल , सरल शर्कराओं , कार्बनिक अम्लों तथा अन्य कार्बनिक यौगिकों का मिश्रण था ।
पृथ्वी पर ऑक्सीजन का निर्माण कैसे हुआ – Oxygen formation on earth
ओपैरिन के अनुसार , तत्पश्चात् कार्बनिक यौगिकों की इकाइयों ने पारस्परिक संयोजन से जटिल कार्बनिक यौगिकों के बहुलक ( Polymers ) बने। इस प्रकार शर्कराओं के अणुओं से मण्ड , ग्लाइकोजन एवं सेलुलोज आदि पॉलीसैकराइड्स तथा वसीय अम्लों एवं ग्लिसराल के अणुओं से वसाओं का निर्माण हुआ । इनमें प्रोटीन्स तथा न्यूक्लिक अम्लों की प्रतिक्रिया से न्यूक्लिओ प्रोटीन्स बनी । जिसमें स्वः द्विगुणन ( Self Duplication ) की क्षमता थी ।
न्यूक्लिओ प्रोटीन्स के कणों के बनने के बाद झिल्ली युक्त ( Membrane bound ) कोशारूपी आदिजीव का निर्माण हुआ । आदिजीव ( आदिकोशाएं ) आजकल के नीले – हरे शैवालों ( Algae ) जैसी थीं । इनके द्वारा प्रकाश संश्लेषण ( Photosynthesis ) क्रिया से वायु मण्डल में स्वतंत्र ऑक्सीजन ( O2 ) मुक्त हुआ ।
ऑक्सीजन ने आदिवायुमण्डल की मीथेन एवं अमोनिया को कार्बन डाइ ऑक्साइड ( CO ) , नाइट्रोजन और जल में विघटित करना शुरू कर दिया। अतः वायुमण्डल का संयोजन वही हो गया जो आजकल वायुमण्डल में उपस्थित है ।
ऑक्सीजन का उत्पादन प्रकाश – संश्लेषण करने वाले जीव ही करते हैं और ऑक्सीजन ने पूरे वातावरण को अपचायक से ऑक्सीकारक बना दिया । इन महत्वपूर्ण परिवर्तनों के कारण इसे ऑक्सीजन क्रान्ति ( Oxygen revolution ) कहा जाता है ।
इस प्रकार जीवन का उद्भव जटिल रासायनिक प्रति क्रिया के फलस्वरूप हुआ , इसलिए यह परिकल्पना ‘ जीवन का रासायनिक संश्लेषण सिद्धांत Chemical synthesis theory of life‘ के रूप में भी जानी जाती है ।
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