नाटक की परिभाषा
नाटक एक ऐसी अभिनय परक विधा है जिसमें सम्पूर्ण मानव जीवन का रोचक एवं कुतूहल पूर्ण वर्णन होता है । यह एक दृश्य काव्य है । इसका आनन्द अभिनय देखकर लिया जाता है ।
नाटक के प्रमुख तत्व हैं –
2 . पात्र एवं चरित्र चित्रण
3 . संवाद या कथोपकथन
4 . भाषा – शैली
5 . देशकाल एवं वातावरण ( संकलन – त्रय )
6 . उद्देश्य
7 . अभिनेयता
प्रमुख नाटककार और उनके नाटक
1. भारतेंदु हरिश्चन्द्र – वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति , प्रेम जोगिनी , विद्या सुन्दर ।
2 . लाला श्रीनिवासदास – श्री प्रहलाद चरित्र , संयोगिता स्वयंबर ।
3 . जयशंकर प्रसाद – स्कन्दगुप्त , चन्द्रगुप्त , ध्रुवस्वामिनी ।
4 . लक्ष्मी नारायण मिश्र – संन्यासी , मुक्ति का रहस्य , सिन्दूर की होली ।
5 . विष्णु प्रभाकर – डॉक्टर , युगे – युगे क्रान्ति , टूटते परिवेश ।
6 . जगदीशचन्द्र माथुर – कोणार्क , शारदीया , पहला राजा ।
7 . मोहन राकेश – आषाढ़ का एक दिन , लहरों के राजहंस , आधे – अधूरे ।
8 . उपेन्द्रनाथ अश्क – स्वर्ग की झलक , छठा बेटा , उड़ान ।
9 . · उदयशंकर भट्ट नाटक – मुक्ति पथ , दाहर , नया समाज ।
हिन्दी नाटकों के दो रूप इस समय मिलते हैं साहित्य और रंग मंचीय । हिन्दी में रंगमंचीय नाटकों का आरंभ भारतेन्दु हरिश्चंद्र से माना जाता है । भारतेन्दु के साथ हिन्दी नाट्य साहित्य की परम्परा आरंभ हो गई जो अब तक चली आ रही है ।
हिन्दी नाटक साहित्य काल विभाजन
हिन्दी नाटक साहित्य का सर्वमान्य काल विभाजन निम्नलिखित प्रकार से किया गया है
1 . भारतेन्दु काल – 1837 – 1904 ई . तक
2 . संधि काल – 1904 – 1915 ई . तक
3 . प्रसाद युग – 1915 – 1933 ई . तक
4 . वर्तमान युग – 1933 से आज तक
भारतेन्दु काल –
इस युग के नाटककारों में भारतेन्दु का सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान है । भारतेन्दु ने देशप्रेम एवं समाज सुधार की भावना से प्रेरित होकर प्रभावशाली नाटक लिखे । इस काल में नाटकों की रचना का मूल उद्देश्य मनोरंजन के साथ – साथ जनमानस को जाग्रत करना और उसमें आत्मविश्वास भरना था ।
इस युग के अन्य प्रमुख नाटककार हैं – बालकृष्ण भट्ट , लाला श्रीनिवास दास , राधाचरण गोस्वामी , राधाकृष्ण दास , किशोरी लाल गोस्वामी आदि ।
संधिकाल –
प्रसाद युग –
इस युग के प्रमुख नाटककार हैं – दुर्गादत्त पांडे , वियोगी हरि , कौशिक , मिश्र बंधु , सुदर्शन , गोविन्द वल्लभ पंत , पांडेय बेचन शर्मा उग्र , सेठ गोविन्द दास , जगन्नाथ प्रसाद मिलिंद , लक्ष्मी नारायण मिश्र , ब्रजनंदन सहाय आदि ।
वर्तमान युग –
इस युग के प्रमुख नाटककार हैं – सेठ गोविंद दास , चतुरसेन शास्त्री , किशोरी दास वाजपेयी , गोविंद वल्लभ पंत , हरिकृष्ण प्रेमी , जगन्नाथ प्रसाद मिलिंद आदि ।
इस युग में ऐतिहासिक , प्रेम प्रधान , पौराणिक आदि धाराएँ प्रमुख रहीं । प्रचलित धाराओं के अतिरिक्त भाव नाट्य और गीति नाट्य भी हिन्दी में मिलते हैं । यह प्रसाद और परवर्ती लेखकों की नई देन है ।