तरंग यांत्रिकी या क्वांटम यांत्रिकी (quantum mechanics) आइन्स्टाइन ने बताया कि ऊर्जा केवल Back body से ही quanta में उत्सर्जित या अवशोषित नहीं होती वरन् व्योम (space) में भी सभी विकिरणें इन्हीं क्वाण्टाओं में चलती हैं ।
फिर सन 1923 में डी – ब्रॉगली ने अपना सुझाव दिया और सिद्ध किया कि इलेक्ट्रॉन , प्रोटॉन , अणु ,परमाणु जैसे सूक्ष्म कण जब गति (motion) में होते हैं , तब उनमें संवेग (momentum) के साथ एक तरंगदैर्घ्य संलग्न (associate) रहती है अर्थात् उनकी प्रकृति तरंग जैसी हो जाती है ।
अत: ” डी ब्रॉगली के अनुसार प्रत्येक पदार्थ में, तरंग के गुण , जैसे – आवृत्ति (frequency) , तरंगदैर्घ्य (wavelength) , तरंग आयाम आदि तथा कणों के सभी गुण होते हैं ।”
तरंग यांत्रिकी या क्वांटम भौतिकी ( Wave mechanics or quantum physics )
विज्ञान की वह शाखा जिसके अन्तर्गत पदार्थ की प्रकृति को तरंग एवं कण दोनों ही प्रकार का मान कर अध्ययन किया जाता है । उसे तरंग यांत्रिकी या क्वांटम यांत्रिकी कहते हैं।
19वीं शताब्दी के अन्त में तथा बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में कुछ ऐसे प्रायोगिक तथ्य सामने आए जिनमें द्रव्य के साथ विकिरण की अन्योन्य क्रियाएँ होती हैं । ऐसे सभी तथ्यों की व्याख्या चिरसम्मत् यान्त्रिकी द्वारा नहीं की जा सकी । इन सभी घटनाओं की सफल व्याख्या करने के लिए एक नवीन सिद्धान्त प्रतिपादित किया गया जिसे क्वाण्टम सिद्धान्त (Ouantum theory) कहते हैं ।
नीचे कुछ ऐसे प्रमुख प्रायोगिक तथा सैद्धान्तिक तथ्य दिये गये हैं । जिन्हें चिरसम्मत यान्त्रिकी द्वारा नहीं समझाया जा सका , लेकिन इनकी व्याख्या क्वाण्टम सिद्धान्त द्वारा की जा सकी।
- प्रकाश विद्युत् प्रभाव ( Photo electric effect )
- कृष्ण पिण्ड विकिरण ( Black body radiation )
- कॉम्पटन प्रभाव (Compton effect )
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