उद्यमी के प्रकार या स्वरूप (udyami ke prakar) | Types of Entrepreneurs
उद्यमिता के स्वरूप के आधार पर उद्यमी विभिन्न तरह के हो सकते है, जैसे
निजी तथा सार्वजनिक उद्यमी, संयुक्त तथा सहकारी उद्यमी, विकासात्मक तथा
क्रान्तिकारी उद्यमी, बड़े एवं छोटे उद्यमी और शहरी तथा ग्रामीण उद्यमी
आदि।
क्लेरेन्स डेनहाॅफ के अनुसार उद्यमी निम्न चार प्रकार के होते है–
1. नवप्रवर्तक उद्यमी
जब उद्यमियों मे नवीनता व सृजनात्मकता जैसे गुणों से व्यावसायिक क्षेत्रों
मे नवीन विचारधार, नवीन पद्धति, नवीन तकनीक व नवीन प्रबंध व्यवस्था उत्पन्न
होती है, ऐसे उद्यमी जो नवीनता के सूत्रधार होते है वे नवप्रवर्तक उद्यमी
कहलाते है। ऐसे उद्यमी शोध, अनुसंधान, परिवर्तित दशाओं, अवसर मूल्यों व
प्रतिकूल परिस्थितियों से प्रेरित होकर व्यवसाय व उद्योग मे नवप्रवर्तन को
बढावा देते है।
2. अनुकरणीय या “नकलची” उद्यमी
जब कोई उद्यमी नवप्रवर्तक उद्यमियों द्वारा आरंभ किये गये सफल नवकरणों को
अपने उधोग मे अपना लेता है, वह “नकलची” उद्यमी कहलाता है। ये उद्यमी
अपेक्षाकृत जोखिम कम लेते है। विकासशील देशों मे ज्यादातर उद्यमी
नव-प्रवर्तक उद्यमियों का अनुसरण करने की प्रवृत्ति रखते है। लेकिन इन
देशों के विकास मे अनुकरणीय उद्यमियों की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है।
3. सावधान उद्यमी
जब साहसी सफल नवकरणों की नकल भी बहुत सावधानी से करता है अथवा अनुकरणों के
प्रयोग को टालने की प्रवृत्ति रखता है, तब वह सावधान उधमी कहलाता है। यह
उद्यमी जहाँ तक सम्भव होता है, पुरानी पद्धति से ही कार्य करना पसंद करता
है। नयी बातों को अपना कर वह किसी भी तरह की जोखिम नही लेना चाहता है।
लेकिन जब वह आश्वस्त हो जाता है कि नवीनता का प्रयोग करने से वास्तव मे लाभ
होगा, तब नकलची उद्यमियों का अनुकरण कर लाभ प्राप्त करता है। उद्यमिता के
विकास की प्रारम्भिक अवस्था मे ग्रामीण तथा कम आमदनी वाले उद्यमी इसी
प्रकृति के होते है।
4. आलसी उद्यमी
जब उद्यमी नवकरणों के प्रति उदासीन हो जाता है एवं आरामदायक जीवन व्यतीत
करना पसंद करता है, तब वह आलसी उद्यमी कहलाता है। यह कालान्तर मे उद्यशील
क्रियाओं से थकावट महसूस करने लगता है। व्यवसाय के संचालन मे किसी भी तरह
का जोखिम लेना, या चुनौतीपूर्ण कार्य करना पसंद नही करता है। वास्तव मे यह
किसी भी प्रकार व्यवसाय के चलते रहने मे विश्वास रखते है। ऐसे उद्यमी
दीर्घकाल मे व्यावसायिक असफलताओं का सामना करते है।
कार्ल वेस्पर ने विभिन्न क्रियाओं के आधार पर उद्यमियों के निम्म प्रकार बतलाये है–
1. एकल स्व-नियुक्त उद्यमी
ये उद्यमी स्वतंत्र एवं स्व-नियुक्ति अपना कार्य करते है। जैसे रंगमंच के कलाकार, नलसाज, चिकित्सा आदि।
2. कार्यशक्ति निर्माता उद्यमी
इस श्रेणी मे वे उद्यमी आते है जो स्वतंत्र रूप से यन्त्रशालाओं कम्प्युटर,
एयरलाइंस, अभियान्त्रिकी सेवा फर्मों का निर्माण एवं संचालन करते है।
3. उत्पादन नवप्रवर्तक उद्यमी
ये उद्यमी नये-नये उत्पादों की डिजाइन तैयार करते है तथा उनका निर्माण करके
बाजार मे लाते है। नये उत्पादों को निर्मित करने के कारण इनकी
प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति सुदृढ़ होती है।
4. अप्रयुक्त संसाधन विदोहक
ये उद्यमी राष्ट्र के प्राकृतिक संसाधनों का विदोहन कर उन्हें उत्पादक
कार्यों के लिए उपलब्ध कराते है इस श्रेणी मे खान पूर्वेक्षक अतिरिक्त
युद्ध सामग्री के व्यापारी, भूसम्पत्ति एवं जायदाद को विकसित करने वाले
उद्यमी आदि सम्मिलित है।
5. मितव्यय-स्तर उद्यमी
ये उद्यमी उपभोक्ताओं की क्रय-शक्ति मे बचत करवाते है। इनमे छूट भण्डार, डाक व्यवसाय व्यापारी आदि सम्मिलित है।
6. पूँजी संचायक उद्यमी
ये पूँजी के संग्रहण मे विशेष दक्षता रखते है। बैंकों व बीमा कम्पनियों
जिनमे वृहद संसाधनों के संचयन की आवश्यकता होती है की स्थापना मे सहायता
करते है।
7. प्रारूप उद्यमी
यह उद्यमी उत्पादन के विभिन्न सूत्रों का विदोहन करके वस्तुओं के प्रारूप
मे वृद्धि करता है। अन्य कम्पनियाँ इन्ही सूत्रों का प्रयोग करने के लिए
विशेष अधिकार प्रदान कर देती है।
8. अधिग्रहण उद्यमी
यह उद्यमी छोटी-छोटी फर्मों का अधिग्रहण करके उनका संचालन करता है। कभी-कभी
वह इन फर्मों का अपने व्यवसाय मे पूर्ण विलय करके व्यवसाय संचालन का कार्य
करता है।
9. सट्टा लगाने वाला
यह उद्यमी स्वयं किसी व्यवसाय का निर्माण अथवा उसे प्रारंभ नही करता है,
बल्कि विभिन्न तरह के स्वामित्व प्रपत्रों मे व्यावसाय करके लाभ प्राप्त
करता है।