उद्यमी किसे कहते है? उद्यमी का अर्थ (udyami kya hai) | Who is Entrepreneur? Meaning of Entrepreneur
udyami meaning in hindi; सामान्यतः ” उद्यमी ” उस व्यक्ति को कहा जाता है
जो नया उपक्रम प्रारंभ करता है आवश्यक संसाधनों को जुटाता है तथा व्यवसाय
की क्रियाओं का प्रबंध एवं नियंत्रण करता है। वह व्यवसाय की विभिन्न
जोखिमों को झेलता है तथा व्यावसायिक चुनौतियों का समान करता है। जोखिम वहन
करना उद्यमी का मुख्य कार्य है। पर आधुनिक युग मे उसे उद्यमी का एकमात्र
लक्षण नही माना जा सकता। अतः जोखिम उठाने के साथ-साथ व्यवसाय मे नई
वस्तुओं, यंत्रों तथा विधियों को स्थान देने वाले व्यक्ति को उद्यमी के रूप
मे देखा जाने लगा है।
प्रबंध विशेषज्ञ पीटर एफ. ड्रकर ने लिखा है कि ” उद्यमी वह व्यक्ति होता है
जो सदैव परिवर्तन की खोज करता है, उस पर प्रतिक्रिया करता है तथा एक अवसर
के रूप मे उनका लाभ उठाता है।” इस प्रकार उद्यमी देश मे औधोगिकरण तथा
सामाजिक-आर्थिक नवीनता का सूत्रपात करता है, विकास की प्रक्रिया को निरंतर
बढ़ता है तथा नवीन अवसरों एवं सामाजिक, आर्थिक आवश्यकताओं के अनुरूप सतत्
नयी वस्तुओं एवं सेवाओं की पूर्ती करता है तथा समृद्ध समाज एवं राष्ट्र का
निर्माण करता है।
उद्यमी का अर्थ जानने के बाद आगे जानेंगे उद्यमी की परिभाषा, विशेषताएं और उद्यमी कार्य।
उद्यमी की परिभाषा (udyami ki paribhasha)
उद्यमी की परिभाषा देश के आर्थिक विकास की अवस्था के अनुसार बदलती रही है।
अधिकांश परिभाषाएं उधमी की भूमिका एवं कार्यों के सन्दर्भ मे दी गई है।
विभिन्न अर्थव्यवस्था के अनुसार उद्यमी की कुछ परिभाषाएं निम्म प्रकार से
है–
(अ) परम्परागत अर्थव्यवस्था मे उधमी की परिभाषा
जे.बी. के अनुसार ” उद्यमी वह व्यक्ति है जो आर्थिक संसाधनों को उत्पादकता एवं लाभ के निम्म क्षेत्रों से उच्च क्षेत्रों की ओर हस्तांतरित करता है।”
जेम्स बर्ब ” उद्यमी वह व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह है जो किसी नये उपक्रम की स्थापना के लिए उत्तरदायी होता है।”
फ्रेंक नाइट ” उद्यमी वह विशिष्ट व्यक्तियों का समूह है जो जोखिम सहते है तथा अनिश्चितता की व्यवस्था करते है।”
एफ. वी. हाने के शब्दों मे ” उत्पत्ति मे निहित जोखिम उठाने वाला साधन उद्यमी होता है।”
(ब) विकासशील अर्थव्यवस्था मे परिभाषा
अल्फ्रेड मार्शल ” उद्यमी वह व्यक्ति है जो जोखिम उठाने का साहस
करता है, किसी कार्य हेतु आवश्यक पूँजी तथा श्रम की व्यवस्था करता है; जो
इसकी सामान्य योजना बनाता है एवं जो इसकी छोटी-छोटी बातों का निरीक्षण करता
है।
आर. टी. इली के शब्दों मे ” उद्यमी वह व्यक्ति है जो उत्पादक घटक को संगठित तथा निर्देशित करता है।
(स) विकसित अर्थव्यवस्था मे परिभाषा
जोसेफ ए. शुम्पीटर के शब्दों मे ” उद्यमी वह व्यक्ति है जो किसी
अवसर की पूर्व कल्पना करता है एवं किसी नयी वस्तु, नयी उत्पादन विधि, नये
कच्चे माल, नये बाजार या उत्पादन के साधनों के नये संयोजन को अपनाते हुए
अवसर का लाभ उठाता है।”
हर्बटन इवेन्स ” उद्यमी प्रबंधक से बड़ा होता है। वह नवप्रवर्तक तथा प्रवर्तक दोनों है।
हर्बटन इवेन्स के अनुसार ” उद्यमी वह व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह है
जिसे संचालित किये जाने वाले व्यवसाय के निर्धारण का कार्य करना होता है।
(द) उद्यमी की सरल परिभाषा
“उद्यमी वह व्यक्ति है जो व्यवसाय मे लाभप्रद अवसरों की खोज करता है,
आर्थिक संसाधनों को संयोजित करता है, नवकरणों को जन्म देता है एवं उपक्रम
मे निहित विभिन्न जोखिमों और अनिश्चितताओं का उचित प्रबंध करता है।
उद्यमी की विशेषताएं या लक्षण (udyami ki visheshta)
1. नवप्रवर्तनकर्ता
समाज मे उद्यमी ही नवप्रवर्तन करते है। ये निम्म उपक्रम की स्थापना करते
है, नये उत्पाद की खोज करते है, उत्पादन मे नई विधि अपनाते है, नये बाजारों
की खोज करते है। यही कारण है कि विकसित राष्ट्रों मे नवप्रवर्तन करने वाले
व्यक्ति ही उद्यमी कहलाते है।
2. जोखिम वहनकर्ता
उद्यमी व्यक्ति सदैव जोखिम मे जीना पसंद करता है। अपनी विवेकपूर्ण योजनाओं व
ठोस निर्णयों से जोखिमों का समाना करते है। साहसी सदैव सामान्य जोखिम लेना
ही पंसद करते है, अत्यधिक जोखिम नही। उनका प्रत्येक निर्णय संतुलित होता
है, जुआरी की भाँति आवेश मे लिया हुआ नही।
3. साधन प्रदान करने वाला
उद्यमी उपक्रम की स्थापना हेतु सभी जरूरी साधनों जैसे-पूँजी, श्रम, भूमि,
यंत्र आदि की व्यवस्था करता है। वह व्यवसाय मे जरूरी सभी सूचनाएं तकनीक तथा
तथ्य उपलब्ध कराता है।
4. कार्य ही संतुष्टि
उद्यमी की एक विशेषता यह है कि उद्यमी व्यक्तियों के लिए उनका “कार्य” ही
अपने आप मे लक्ष्य तथा संतुष्टि का एक बड़ा स्त्रोत होता है। हालांकि वे
सामाजिक प्रतिष्ठा तथा आत्म-संतुष्टि के साथ-साथ मौद्रिक प्रतिफल भी
प्राप्त करना चाहते है, पर मौद्रिक लाभ उनके लिए गौण होता है। वे मुद्रा को
सिर्फ अपने कार्य की प्रगति के मापक के रूप मे ही देखते है।
5. अवसरों का विदोहन
उद्यमी हमेशा व्यावसायिक अवसरों की खोज मे रहता है। वह इनका विदोहन करके
लाभ-अर्जित करता है। उद्यमी हर अवसर को एक चुनौती की भाँति स्वीकार करता
है, पर अवसरों का लाभ उठाने के लिए वह अपनी नैतिकता कभी नही खोता है।
6. एक संस्था
एक उद्यमी स्वयं मे एक संस्था है, क्योंकि इसके कारण समाज मे विभिन्न
संस्थाओं का जन्म होता है। आज विकासशील देशों मे कई संस्थाएं ” उद्यमी ” के
रूप मे कार्य करती है। सरकार स्वयं एक उद्यमी बनकर राष्ट्र के औधोगिक
विकास मे योगदान करती है। आधुनिक युग मे उद्यमी का संस्थागत स्वरूप अत्यंत
महत्वपूर्ण हो गया है।
7. निष्ठा व समर्पण
उद्यमियों की साहसवादिता का आधार उनका अपने कार्य व कर्त्तव्य के प्रति
निष्ठा व समर्पण बनाये रखना है। वे अपनी संस्था के उद्देश्यों व कार्य
योजनाओं के प्रति पूर्ण लगन व निष्ठा बनाये रखते है।
8. स्वतंत्र भूमिका
उद्यमी व्यक्ति का व्यक्तित्व पूर्णतः स्वतंत्र व निर्भीक होता है वह किसी
अन्य व्यक्तियों के समूह का हस्तक्षेप, नियन्त्रण व पराधीनता कभी भी
स्वीकार नही करता। अतः उद्यमी की स्वतंत्र भूमिका के कारण उनमे स्वावलम्बन व
आत्मनिर्भरता के गुण पाये जाते है।
9. निष्पक्षता
उद्यमी सदैव निष्पक्ष स्वभाव के व्यक्ति होते है वे अपने व्यवहार व आचरण मे
कभी भी किसी प्रकार की पक्षपाततापूर्ण स्थिति अपने कार्य व आचरण मे नही
लाते है। इससे उनके कार्य परिणाम उचित व निष्पक्ष रूप मे होते है।
10. पेशेवर वर्ग
आधुनिक युग मे उद्यमी एक पेशेवर वर्ग के रूप मे विकसित हो रहे है। प्राचीन
मत के अनुसार उद्यमी पैदा होते है, बनाये नही जाते। किन्तु अब यह धारणा
समाप्त होती जा रही है। व्यवसायिक ज्ञान, प्रशिक्षण सुविधाओं एवं विभिन्न
प्रेरणाओं की उपलब्धि के कारण अब उद्यमी भी विकसित किये जा सकते है।
11. नये उपक्रम की स्थापना
विकासशील राष्ट्रों मे उत्पादन सीमित होने के कारण उत्पादन एवं वितरण का
कार्य महत्वपूर्ण होता है। विकसित देशों मे भी उद्यमी नये-नये उपक्रमों को
स्थापित करके औधोगिक क्रियाओं का विस्तार करते है।
12. साहसी एवं प्रबंधक भिन्न होते है
कुछ लोग प्रबन्धन एवं साहसी को एक ही मानते है। वास्तविकता यह है कि दोनों
भिन्न है। प्रबंधक स्थापित उपक्रम का प्रबंध करता है जबकि साहसी नये उपक्रम
की स्थापना तो करता ही है, उनका संचालन भी करता है।
13. व्यक्ति अथवा व्यक्तियों का समूह
उद्यमी व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह होता है। छोटे उपक्रम मे एकाकी
व्यक्ति ही उद्यमी की भूमिका निभाते है। पर आधुनिक युग मे व्यवसाय की
स्थापना बड़ी-बड़ी कंपनियों तथा निगयों के रूप मे की जाने लगी है, जिनके
प्रबंध तथा संचालन के लिए संयुक्त उद्यमियों की जरूरत होती है।