उद्यमिता किसे कहते है? उधमिता का अर्थ (udyamita kya hai)

उद्यमिता किसे कहते है? उधमिता का अर्थ (udyamita kya hai)

उद्यमिता किसे कहते है? उधमिता का अर्थ (udyamita kya hai)

udyamita meaning in hindi; विलियम बोमाॅल लिखते है कि ” उधमिता का विषय सैध्दांतिक रूप मे भ्रामक रहा है।” परिणामस्वरूप, उधमिता को विभिन्न अर्थ मे प्रयुक्त किया जाता है। राष्ट्र के आर्थिक विकास के बदलते हुए स्तर के अनुसार भी उधमिता का आश्य भिन्न हो जाता है।

सामान्य अर्थ मे, ” उद्यमिता व्यवसाय मे निहित अनेक प्रकार के जोखिमों को उठाने एवं अनिश्चितताओं का समाना करने की योग्यता एवं प्रवृत्ति है।” जिन व्यक्तियों मे जोखिम वहन करने की यह इच्छा या शक्ति होती है, वे “उधमी” कहलाते है।

आधुनिक अर्थ में ” उद्यमिता नये उपक्रम की स्थापना, नियंत्रण एवं निर्देशन करने की योग्यता के साथ-साथ उपक्रम मे नये-नये सुधार एवं परिवर्तन करने की साहसिक क्षमता भी है।

इस अर्थ मे, उद्यमिता नेतृत्व एवं नवप्रवर्तन का गुण है, जिसके द्वारा व्यवसाय मे उच्च उपलब्धियों एवं लाभों को प्राप्त किया जा सकता है।

स्पष्ट है की उधमिता व्यवसाय मे विभिन्न जोखिमों को वहन करने लाभप्रद
साहिसिक निर्णय लेने, सामाजिक नव-प्रवर्तन करने एवं गतिशील नेतृत्व प्रदान
करने की योग्यता है।

उद्यमिता को हिन्दी मे अनेक नामों, जैसे साहसवादिता, साहस, साहसिकता, उद्यमशीलता, उद्यमवृति इत्यादि नामों से पुकारा जाता है।

उधमिता किसे कहते है जानने के बाद अब आगे जानेंगे उद्यमिता की परिभाषा एवं विशेषताएं।


उद्यमिता की परिभाषा (udyamita ki paribhasha)

फ्रेंकलिन लिंडसे के शब्दों मे, उधमिता समाज की भावी आवश्यकताओं
का पूर्वानुमान करने एवं संसाधनों के नवीन, सृजनात्मक तथा कल्पनाशील
संयोजनों के द्वारा इन आवश्यकताओं को सफलतापूर्वक पूरा करने का कार्य है।

जोसेफ शुम्पीटर ” उद्यमिता एक नव-प्रवर्तनकारी कार्य है। यह स्वामित्व की अपेक्षा एक नेतृत्व कार्य है।

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एन.एच. पाठक ” उद्यमिता उन व्यापक क्षेत्रों को सम्मिलित करती है, जिनके सम्बन्ध मे अनेक निर्णय लिये जाते है।

जे.इ. स्टेपनेक के शब्दों मे” उद्यमिता किसी उपक्रम मे जोखिम उठाने की क्षमता, संगठन की योग्यता एवं विविधीकरण करने तथा नव-प्रवर्तन को जन्म देने की इच्छा है।

एच. डब्ल्यू. जाॅनसन के अनुसार ” उद्यमिता तीन आधारभूत तत्वों का जोड़ है– अन्वेषण, नव-प्रवर्तन तथा अनुकूलन।”

उद्यमिता की विशेषताएं (udyamita ki visheshta)

1. जोखिम लेने की क्षमता
उद्यमिता का यह आधारभूत तत्व है कि इसमे व्यवसाय की भावी अनिश्चितताओं का
सामना करने व जोखिम उठाने की भावना निहित होती है। जोखिम से प्रभावी ढंग से
नही निपटने पर व्यवसाय समाप्त भी हो सकता है। उद्यमिता मे जोखिम वहन करने
की क्षमता होती है।

2. रचनात्मक क्रिया
उधमिता व्यक्ति को नये-नये अवसरों को खोज करने, प्रति पल रचनात्मक चिन्तन
करने व नवीन विचारों को क्रियान्वित करने की प्रेरणा देती है।

3. निरंतर प्रक्रिया
उद्यमिता अपने आप मे एक निरंतर प्रक्रिया है। सिर्फ नवीन व्यवसाय को
प्रारंभ करना ही उद्यमिता नही है, वरन्  उसका दक्षतापूर्ण संचालन करना,
व्यवसाय को विकास की तरफ अग्रसर करने जैसे लंबी अवधि के लक्ष्य पाना एवं
दिन-प्रतिदिन के निर्णय लेने की प्रक्रिया आदि उद्यमिता मे ही समाहित है।

4. प्रेरणात्मक क्रिया
चूंकि उद्यमिता व्यवसायियों व उद्यमियों के प्रत्येक कार्य व व्यवहारों को
रचनात्मक एवं सृजनशीलता की ओर उन्मुख करती है। इसी प्रकार उन्हें नये
विचारों, नये दृष्टिकोण एवं नये सुअवसरों की खोज करने के लिए भी
अभिप्रेरणाएं प्रदान करती है समग्र रूप मे उद्यमिता एक प्रेरणात्मक क्रिया
है जो उद्यमियों को अपने कार्यों व लक्ष्यों की ओर अग्रसर करती है।

5. पेशेवर प्रक्रिया
वर्तमान समय मे उद्यमिता एक पेशे के रूप मे विकसित हो रहा है। चिकित्सा,
विधि, इंजीनियरिंग, प्रबंध आदि पेशों की तरह उद्यमिता की योग्यता को
शिक्षण, प्रशिक्षण द्वारा विकसित किया जा रहा है।

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6. सार्वभौमिक क्रिया
उद्यमिता को एक सार्वभौमिक क्रिया माना जाता है। मानव जीवन के सभी
क्षेत्रों मे उद्यमिता की आवश्यकता होती है। सामाजिक, व्यावसायिक, आर्थिक,
तकनीकी, शिक्षा, चिकित्सा, अनुसंधान, सेना व खेलकूद आदि सभी क्षेत्रों मे
अनिश्चितताओं को वहन करने, जोखिम का सामना करने व नवप्रवर्तन आदि करने मे
उद्यमियी प्रवृत्तियाँ आवश्यक होती है। अतः सर्वव्यापकता के कारण यह
सार्वभौमिक क्रिया मानी गयी है।

7. वातावरण-प्रेरित क्रिया
उद्यमिता की की एक विशेषता यह की उद्यमिता वातावरण से जुड़ी हुई एक बाहरी
एवं खुली प्रणाली है। उधमी सदैव सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक एवं भौतिक
वातावरण के घटकों को ध्यान मे रखकर वस्तुओं का निर्माण करते है तथा उनमे
परिवर्तन करने का जोखिम उठाते है।

8. उद्यमिता अर्जित कार्य है
उद्यमिता स्वाभाविक रूप से संगठन मे विद्यमान नहो होती, वरन् प्रयास द्वारा अर्जित की जाती है।

9. संसाधनों का संयोजन तथा उपयोग
उद्यमिता द्वारा यत्र-तत्र बिखरे संसाधनों को संयोजित कर दक्षतापूर्वक
उपयोग किया जाता है। वर्तमान समय मे उत्पादन के विभिन्न साधन यथा-भूमि,
श्रम, पूँजी, संगठन आदि विभिन्न व्यक्तियों के पास होते है। उधमी इन
संसाधनों को एकत्रित करता है तथा उनमे संयोजन कर उत्पादन प्रक्रिया आरंभ
करता है।

10. उद्यमिता एक आचरण है
उद्यमिता एक व्यक्तिगत गुण नही है,वरन् आचरण का परिणाम होती है। व्यवसाय के
विभिन्न क्षेत्रों मे निर्णय लेने की आवश्यकता होती है, पर निर्णय लेने मे
जोखिम निहित होता है, जिसे अनुभव द्वारा ही वहन किया जा सकता है। एक
निरंतर प्रक्रिया होने के कारण उद्यमिता आचरण का हिस्सा बन जाती है।

11. प्रबंध उद्यमिता का माध्यम है
किसी भी व्यावसायिक इकाई मे प्रबंध ही समस्त साहसिक निर्णयों तथा योजनाओं
के क्रियान्वयन का माध्यम है। प्रबंध के द्वारा ही साहसी अथवा उधमी अपने
मूल लक्ष्यों की प्राप्ति मे योजना को अमल मे लाने का प्रयास करता है।

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12. सभी व्यवसाओं एवं अर्थव्यवस्था मे आवश्यक
उद्यमिता छोटे-बड़े सभी प्रकार के व्यवसायों मे आवश्यक है। वस्तुतः यह
प्रत्येक व्यवसाय के जीवित रहने एवं विकसित होने के लिए अनिवार्य है।

13. परिवर्तनों का परिणाम
उद्यमिता कोई आर्थिक घटना या क्रिया मात्र नही3 है, वरन् समाज मे होने वाले
सामाजिक, राजनीतिक, वैंज्ञानिक व तकनीकी परिवर्तनों का परिणाम भी है।

Final Words

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